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शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

होनहार बिरवान के होत चिकने पात



होनहार बिरवान के होत चिकने पात " इसकी सार्थकता की सार्थक कड़ी के साथ आज की बुलेटिन है . मुझे बहुत ख़ुशी होती है , जब कोई नया अध्याय मेरे हाथ आता है ... आशीर्वचनों के साथ मैं उस अध्याय को काला टीका लगा देती हूँ - नज़र ना लगे .
इतिहास तो समृद्ध रहा ही , वर्तमान आगत की उंचाई दिखाता है - वर्तमान के रास्ते से मैं उन्नत भविष्य लेकर आई हूँ . पटना डीपीएस के छात्र अनुभव की आवाज़ में सुनिए 'अज्ञेय' की कहानी 'शत्रु'...
और मेरे संग सुर मिलाइए कि " ज़रा नम हो तो यह मिट्टी बड़ी ज़रखेज़ है साक़ी "


अब एक नज़र सागर जी के सोचालय पर भी डालें -



Chubby cheeks, dimple chin
Rosy lips, teeth within,
Curly hair, very fair,
Eyes are blue, lovely too,
Mama's pet, is that you??
Yes! Yes! Yes!

बहती नाक में इत्ते सारे काम गिल्ली ही संभाल सकती है। गिल्ली। इस नाम के पीछे सीधा सा परिचय यह कि महादेवी वर्मा के एक कविता की आधार पर यह नाम रखा गया है। लंबे से एक नेवी ब्लू स्कर्ट और सफेद कमीज़ में डेढ़ हाथ की गिल्ली। बदन पर एक तिहाई कमीज और दो तिहाई बहुमत में लिपटी गिल्ली। प्यारी गिल्ली। दुलारी गिल्ली। मोटू गिल्ली। ऐसी गिल्ली, वैसी गिल्ली। जाने, कैसी कैसी गिल्ली। पूरे घर में बस गिल्ल ही गिल्ली।


वटवृक्ष की छाँव में बैठते हैं राजेंद्र तेला जी के साथ ... पेशे से इंसानी डॉक्टर , मरीज़ के साथ पंछियों की व्यथा भी सुनते हैं -

रंग बिरंगी चिड़िया एक दिन बोली मुझसे


सोच के समंदर में हर लहरों की अपनी भाषा है , अपना दृष्टिकोण है . अरुण साथी जी के दृष्टिकोण से मिलिए -

बदनाम होने का हैसला चाहिए।


यूं ही विचारों कें समुद्र में उतर कर शब्दों को ढुंढने और
संजोने की आदत से लाचार कुछ लिख लेता हूं,
आपसे साझेदारी कर रहा हूं।


कविता का क्या प्रभाव होता है , इसे बता रही हैं महेश्वरी कनेरी जी -

कविता

कविता
अविरल कल-कल
भावों की बहती सरिता
कभी युगों का कभी
मन का दर्पण कविता


चलते चलते अनंत का दर्द दिए जाती हूँ ... सब के शब्द उनके दर्द को मरहम देंगे ...

मजूरा जनता है......



तनी भृकुटी पर,
अनमने से मन की,
बलि दे कर,
फिर से लग गया था काम पर,
हाड-मांस की काया है,
मशीन नहीं है बाबू जी!..
ये भी नहीं कह सका,
क्योंकि जवाब का जूता,
खा चुका था कई बार ,
तुम नहीं तो कोई और सही,
बहुत हैं काम करने को,
कामचोर! कहीं के......
कहा जोर से,
मालिक ने,
सुना दुनिया ने,


अब आपके अनुभवों को जानना चाहूँगी - बताइए !..........





25 टिप्‍पणियां:

  1. srajan kaa ye safar yun hee chaltaa rahe
    nirantar aage badhtaa rahe

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  2. एक सकारात्मक पहल और रचनात्मक प्रयास

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  3. सच है दी..

    आपका काला टीका अचूक है :-)
    आपका आशीर्वाद जिन्हें मिला, वो बड़भागी :-)

    सुन्दर प्रस्तुति..अच्छे लिंक्स..
    शुक्रिया.
    सादर.

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  4. हौसला - बढाने का अंदाज आपका निराला ,
    जिसे मिल जाए आपका साथ,उसे,
    सपनों को सच करना हो जाए आसान.... !!

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  5. रश्मि दी,
    आप बड़ों का आशीर्वाद अनुभव जैसे बच्चों का मार्ग प्रशस्त करेंगे.. काला टीका लगाने की ज़रूरत नहीं.. भला माँ के बोसे से कहीं बच्चों के गाल छिलते हैं!!
    नई पोस्ट्स से परिचय कराने का आभार!!

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  6. बहुत ही अच्छे लिंक्स विशेषकर अनुभव की रेडियो प्रस्तुति कमाल की है।


    सादर

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  7. सुन्दर प्रस्तुति..बहुत ही अच्छे लिंक्स

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहद खूबसूरत पोस्टों के कतरे सहेजे रश्मि दी । आभार ।

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  9. बढ़िया बुलेटिन रश्मि दी ......
    सभी सूत्र पढ़े बहुत बढ़िया हैं .......

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  10. आपके बुलेटिन से हमेशा नए सूत्र मिलते हैं .... आभार ।

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  11. सुन्दर प्रस्तुति..बहुत ही अच्छे लिंक्स

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर प्रस्तुति..बहुत ही अच्छे लिंक्स है.मेरी कविता को मान देने के लिये आभार...

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  13. अनुभव को यहाँ पाकर और भी अच्छा लगा ..आभार

    जवाब देंहटाएं
  14. सार्थक प्रस्तुति..अच्छे लिंक्स..बहुत सुंदर!

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  15. आपकी पारख़ी नज़रों ने अनुभव जी को हम सबसे मिलाया ...जिनके साथ यह बेहतरीन लिंक्‍स संयोजन .. सार्थकता लिए हुए, आभार ।

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