पिछली बार मैंने बताया था कि किस तरह वेबसाईट्स हैक होने से रातों की नींद, दिन का चैन गायब है. हालांकि अब काफी हद तक काबू पा लिया है हम लोगों ने. लेकिन अगर आप इंटरनेट का प्रयोग करते है तो एक बुरी खबर है कि 8 मार्च को या फिर 8 मार्च से दुनिया के लाखों कम्प्यूटर इंटरनेट से संबंध स्थापित नहीं कर पायेंगे. इनमे भी बड़ी तादाद भारत के कम्यूटरों की है.
इसकी सबसे बड़ी वजह है डीएनएस चेंजर नाम का एक शातिर वायरस जो पूरी दुनिया में परेशानी का सबब बन चुका है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी, एफबीआई ने 150 से अधिक देशों में इस वॉयरस को फैलने से रोकने के लिए एक सर्वर लगाया था जिसे वह आर्ठ मार्च को बंद कर सकता है जिसके चलते 8 मार्च को पूरी इंटरनेट की सेवाएं बंद होने की आशंका उठ खडी हुई है.
डीएनएस चेंजर एक प्रकार का मॉलवेयर है जिसे समाप्त करने के लिए अनेक समूह दिन रात एक किए हुए हैं. इस वॉयरस से ग्रस्त कंप्यूटर पर खोली गई अधिकतर वेबसाईट अपने असल ठिकाने को ना दिखा कर उन वेबसाईट की और मुड़ जाती हैं जिनके विज्ञापन दिखाने के लिए दुष्ट वायरस निर्मातायों ने पैसे लिए हैं अपने ग्राहकों से.
इसके अलावा यह वॉयरस बार बार कंप्यूटर को वॉयरस से मुक्त करने के लिए कई विकल्प देता है और जैसे ही कंप्यूटर उपयोग करने वाला उन विकल्पों का प्रयोग करता है, वेबसाईट का रूख मोड़ देने वाला सॉफ्टवेयर अपने आप एक बार फिर अपलोड हो जाता है। और यह किसी एंटीवायरस को स्थापित होने नहीं देता ना ही काम करने देता है.
पिछले साल डीएनएस चेंजर वायरस बनाने और उसे सभी कंप्यूटर्स में फैलाने के आरोप में पुलिस ने 6 लोगों को नवंबर 2011 में इस्टोनिया से गिरफ्तार किया था तथा इसे विश्व के सभी कंप्यूटर्स में फैलने से रोकने के लिए एक कोर्ट के आदेश के मुताबिक एफबीआई ने इन वायरस निर्मातायों के सर्वर के स्थान पर एक अस्थाई डीएनएस सर्वर लगाया था लेकिन उस सर्वर की मियाद आठ मार्च को खत्म हो रही है और अभी तक इस वायरस से मुक्ति नहीं मिली।
इस वायरस ने 150 से अधिक देशों के कंप्यूटर्स को खराब कर दिया। अकेले अमेरिका में ही लाखों कंप्यूटर्स इससे प्रभावित हुए। फॉर्च्यून 500 की आधी कंपनियां और जानी मानी सरकारी संस्थाओं में से अधिकतर के कंप्यूटर्स इस वायरस से प्रभावित हैं।
ये संक्रमित कंप्यूटर्स 120 दिनों के लिए एफबीआई के लगाए गए अस्थाई डीएनएस सर्वर पर निर्भर हैं इंटरनेट के लिए। कोशिश चल रही कि कोर्ट इस मियाद को बढ़ा दे लेकिन अगर कोर्ट का आदेश नहीं आता है तो एफबीआई को कानूनी तौर पर उन डीएनएस सर्वर्स को हटाना होगा, जिससे इस कुख्यात वायरस से ग्रस्त कम्प्यूटरों के लिए इंटरनेट सेवा बंद हो जाएगी।
अब बात की जाए ब्लॉगों की. पिछली बार मैंने दो पहेलियाँ पूछी थीं जिसका परिणाम देख ही चुके हैं आप.
इस बार फिर दो पहेलियाँ हैं जिनका सही सही ज़वाब बताने वाला मास्टर ब्लॉगर होगा और एक सही ज़वाब वाला जागरूक ब्लॉगर. बाक़ी सब तो ब्लॉगर हैं हीं :-)
दरअसल इन लिंक्स का ख्याल मुझे तब आया जब हिंदी ब्लॉग जगत में सक्रिय महिला ब्लॉगरों पर आधारित एक अखबारी लेख देखा मैंने. घूम फिर कर वही चेहरे उन्ही ब्लॉगों के नाम. एक तरफ तो सभी कहते हैं नए ब्लॉग नहीं दिखते , शैशव काल चल रहा, हिंदी ब्लॉगिंग मर रही. दूसरी ओर विश्लेषणों और लेखों में वही पुराने ब्लॉग दिखाए बताए जाते हैं :-( कथित विकास कैसे हो?
तभी तो शायद महक कहती हैं कि
हम दोनो की अच्छाई से गुलशन महका/ मगर कुछ खामियाँ हम दोनो की/ तुम्हारी खामियों को तुमने खुशबू का नाम दिया/ और मेरी खामियाँ काटों का ताज कैसे बन गयी ?
इधर इंदु की ह्रुद्यानूभूति है कि
”‘टूटता बदन’ इश्क की थकान है/ हर अँगड़ाई पे,खिँचा तेरा नाम है/ उफ!ये टूटन,है कितनी बेदर्द/ चली आती हर सुबह-शाम है
लेकिन प्रेयशी मिश्रा की दुनिया में
कुछ कदम फिर बढ़ी/ सख्त ठोकर लगी/ चोट दिल पे लगी थी/ बुरा हाल था/ दिन अधूरा सा लगता/ जिया जाये ना/ आयी आफत बुरी थी/ सहा जाये ना
ममता गोयल बता रहीं कि
मैंने भी एक सपना देखा/ हर चेहरे को हँसते देखा/ जीवन मधुर खुशियों का मेला/ कोई ना रहे यहाँ अकेला
मै भी कुछ ऐसा कम करूँ/ जो बन जाऊं हर आँख का सपना…
शशि परगनिहा भी क्षोभग्रस्त हैं
क्या बिना किसी पुख्ता जानकारी के इस तरह की टिप्पणी जायज है? ऐसी लेखिका को अब छत्तीसगढ़ की जमी पर पैर नहीं धरने का हमें संकल्प लेना होगा.
वैसे पिछले दिनों यहीं भैसों की कैटवाक भी दिखी थी
मंजू मिश्रा की एक सहज अभिव्यक्ति देखिए
शब्दों की सखी गायत्री कहती है
तेरे वजूद से खुद को जुदा करके जानम/ सायो की दुनिया से रुखसत हो रही हूँ/ तेरे खयालो की धुन्द में जो खो गया था/ उस अक्स को पोशीदा से रिहा कर रही हूँ
डॉ रमा द्विवेदी के अनुभूति कलश से
दादी का चश्मा/ नाक चढ़ खिसके/ दादी टिकाए/ पर ढीठ चशमा/ फिर खिसक जाए|
लिंक्स तो देख ली ना आपने. अब पहेलियों का ज़वाब दीजिए कि उपरोक्त सभी ब्लॉगों में कौन सी दो समानताएं हैं? सही ज़वाब मिलेंगे 24 घंटे बाद :-)
हालांकि ऊपर बताए गए वायरस के बारे में बहुत कुछ (हिंदी में) लिख रहा हूँ अपनी वेबसाईट ज़िंदगी के मेले पर. आखिर यह अजीबोगरीब वायरस क्या है? कैसे पहचानें? क्या क्या कर सकता है यह? लेकिन यह जान लीजिए कि इससे छुटकारा पाने का तरीका बहुत थकाऊ और उबाऊ है. जिसे मुक्ति पानी होगी वह इस मुद्दे को ब्लॉग मंच पर उठा सकता है. फिर सारी बात वहीं करेंगे :-)
इसकी सबसे बड़ी वजह है डीएनएस चेंजर नाम का एक शातिर वायरस जो पूरी दुनिया में परेशानी का सबब बन चुका है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी, एफबीआई ने 150 से अधिक देशों में इस वॉयरस को फैलने से रोकने के लिए एक सर्वर लगाया था जिसे वह आर्ठ मार्च को बंद कर सकता है जिसके चलते 8 मार्च को पूरी इंटरनेट की सेवाएं बंद होने की आशंका उठ खडी हुई है.
डीएनएस चेंजर एक प्रकार का मॉलवेयर है जिसे समाप्त करने के लिए अनेक समूह दिन रात एक किए हुए हैं. इस वॉयरस से ग्रस्त कंप्यूटर पर खोली गई अधिकतर वेबसाईट अपने असल ठिकाने को ना दिखा कर उन वेबसाईट की और मुड़ जाती हैं जिनके विज्ञापन दिखाने के लिए दुष्ट वायरस निर्मातायों ने पैसे लिए हैं अपने ग्राहकों से.
इसके अलावा यह वॉयरस बार बार कंप्यूटर को वॉयरस से मुक्त करने के लिए कई विकल्प देता है और जैसे ही कंप्यूटर उपयोग करने वाला उन विकल्पों का प्रयोग करता है, वेबसाईट का रूख मोड़ देने वाला सॉफ्टवेयर अपने आप एक बार फिर अपलोड हो जाता है। और यह किसी एंटीवायरस को स्थापित होने नहीं देता ना ही काम करने देता है.
पिछले साल डीएनएस चेंजर वायरस बनाने और उसे सभी कंप्यूटर्स में फैलाने के आरोप में पुलिस ने 6 लोगों को नवंबर 2011 में इस्टोनिया से गिरफ्तार किया था तथा इसे विश्व के सभी कंप्यूटर्स में फैलने से रोकने के लिए एक कोर्ट के आदेश के मुताबिक एफबीआई ने इन वायरस निर्मातायों के सर्वर के स्थान पर एक अस्थाई डीएनएस सर्वर लगाया था लेकिन उस सर्वर की मियाद आठ मार्च को खत्म हो रही है और अभी तक इस वायरस से मुक्ति नहीं मिली।
इस वायरस ने 150 से अधिक देशों के कंप्यूटर्स को खराब कर दिया। अकेले अमेरिका में ही लाखों कंप्यूटर्स इससे प्रभावित हुए। फॉर्च्यून 500 की आधी कंपनियां और जानी मानी सरकारी संस्थाओं में से अधिकतर के कंप्यूटर्स इस वायरस से प्रभावित हैं।
ये संक्रमित कंप्यूटर्स 120 दिनों के लिए एफबीआई के लगाए गए अस्थाई डीएनएस सर्वर पर निर्भर हैं इंटरनेट के लिए। कोशिश चल रही कि कोर्ट इस मियाद को बढ़ा दे लेकिन अगर कोर्ट का आदेश नहीं आता है तो एफबीआई को कानूनी तौर पर उन डीएनएस सर्वर्स को हटाना होगा, जिससे इस कुख्यात वायरस से ग्रस्त कम्प्यूटरों के लिए इंटरनेट सेवा बंद हो जाएगी।
अब बात की जाए ब्लॉगों की. पिछली बार मैंने दो पहेलियाँ पूछी थीं जिसका परिणाम देख ही चुके हैं आप.
इस बार फिर दो पहेलियाँ हैं जिनका सही सही ज़वाब बताने वाला मास्टर ब्लॉगर होगा और एक सही ज़वाब वाला जागरूक ब्लॉगर. बाक़ी सब तो ब्लॉगर हैं हीं :-)
दरअसल इन लिंक्स का ख्याल मुझे तब आया जब हिंदी ब्लॉग जगत में सक्रिय महिला ब्लॉगरों पर आधारित एक अखबारी लेख देखा मैंने. घूम फिर कर वही चेहरे उन्ही ब्लॉगों के नाम. एक तरफ तो सभी कहते हैं नए ब्लॉग नहीं दिखते , शैशव काल चल रहा, हिंदी ब्लॉगिंग मर रही. दूसरी ओर विश्लेषणों और लेखों में वही पुराने ब्लॉग दिखाए बताए जाते हैं :-( कथित विकास कैसे हो?
तभी तो शायद महक कहती हैं कि
हम दोनो की अच्छाई से गुलशन महका/ मगर कुछ खामियाँ हम दोनो की/ तुम्हारी खामियों को तुमने खुशबू का नाम दिया/ और मेरी खामियाँ काटों का ताज कैसे बन गयी ?
इधर इंदु की ह्रुद्यानूभूति है कि
”‘टूटता बदन’ इश्क की थकान है/ हर अँगड़ाई पे,खिँचा तेरा नाम है/ उफ!ये टूटन,है कितनी बेदर्द/ चली आती हर सुबह-शाम है
लेकिन प्रेयशी मिश्रा की दुनिया में
कुछ कदम फिर बढ़ी/ सख्त ठोकर लगी/ चोट दिल पे लगी थी/ बुरा हाल था/ दिन अधूरा सा लगता/ जिया जाये ना/ आयी आफत बुरी थी/ सहा जाये ना
ममता गोयल बता रहीं कि
मैंने भी एक सपना देखा/ हर चेहरे को हँसते देखा/ जीवन मधुर खुशियों का मेला/ कोई ना रहे यहाँ अकेला
मै भी कुछ ऐसा कम करूँ/ जो बन जाऊं हर आँख का सपना…
शशि परगनिहा भी क्षोभग्रस्त हैं
क्या बिना किसी पुख्ता जानकारी के इस तरह की टिप्पणी जायज है? ऐसी लेखिका को अब छत्तीसगढ़ की जमी पर पैर नहीं धरने का हमें संकल्प लेना होगा.
वैसे पिछले दिनों यहीं भैसों की कैटवाक भी दिखी थी
मंजू मिश्रा की एक सहज अभिव्यक्ति देखिए
दिलों के बीच/ अगर फ़ासले न हों/ घरों के बीच फ़ासले/ कोई माने नहीं रखते
शब्दों की सखी गायत्री कहती है
तेरे वजूद से खुद को जुदा करके जानम/ सायो की दुनिया से रुखसत हो रही हूँ/ तेरे खयालो की धुन्द में जो खो गया था/ उस अक्स को पोशीदा से रिहा कर रही हूँ
डॉ रमा द्विवेदी के अनुभूति कलश से
दादी का चश्मा/ नाक चढ़ खिसके/ दादी टिकाए/ पर ढीठ चशमा/ फिर खिसक जाए|
लिंक्स तो देख ली ना आपने. अब पहेलियों का ज़वाब दीजिए कि उपरोक्त सभी ब्लॉगों में कौन सी दो समानताएं हैं? सही ज़वाब मिलेंगे 24 घंटे बाद :-)
हालांकि ऊपर बताए गए वायरस के बारे में बहुत कुछ (हिंदी में) लिख रहा हूँ अपनी वेबसाईट ज़िंदगी के मेले पर. आखिर यह अजीबोगरीब वायरस क्या है? कैसे पहचानें? क्या क्या कर सकता है यह? लेकिन यह जान लीजिए कि इससे छुटकारा पाने का तरीका बहुत थकाऊ और उबाऊ है. जिसे मुक्ति पानी होगी वह इस मुद्दे को ब्लॉग मंच पर उठा सकता है. फिर सारी बात वहीं करेंगे :-)
अति उत्तम,सराहनीय प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंNEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
हम्म। आठ मार्च से ब्लॉगिंग से छुट्टी।
जवाब देंहटाएंनाम करना हो तो ऐसा काम कर
रोज तू ब्लॉगिंग की फिकर कर
हर पोस्ट लिखना कि जैसे अब मरा
काट दे सस्पेंस में सारी उमर।
डरें वो जिनकी जड़ें हों बरगदी
अधर में लटके हुए को क्या फिकर।
आपने तो सर डरा ही दिया...अब तक जो लिखा है वो सब ८ मार्च के पहले पब्लिश कर देंगे..
जवाब देंहटाएं;-)
लिंक्स बहुत बढ़िया एक दम नये नवेले...
शुक्रिया..
अब क्या होगा ?! ८ मार्च से पहले ऐसे ही बेहतरीन लिंक्स पढ़ने को दे दीजिये
जवाब देंहटाएं8 मार्च तो आ ही गई नजदीक...कागज पर ब्लॉग का बैक अप बनाना पड़ेगा. :)
जवाब देंहटाएंक्यों डरा डरा कर मार रहे हैं अभी तो जी ही लें …………
जवाब देंहटाएंएक बार तो सबने मर ही जाना है
जवाब देंहटाएंफिर रोज रोज क्यों मरें
किससे डरें उस इंटरनेट ने
जो पहले था ही नहीं
आगे होगा भी नहीं
फिर मन से मन के होंगे संवाद
इंटरनेट हो चुका होगा बेबुनियाद
फिर से गांव महकेंगे
चौपालें सजेंगी
चारपाईयां सड़कों पर
तारों की छांव में बिछेंगी
वहीं बैठकर हम तुम सब
दिल की बात करेंगे
नहीं इंटरनेट होगा
तो जो जी रहे हैं
अब घुट घुट कर
डर मर कर
फिर निडर होकर
जी रहे होंगे।
ब्लॉग बुलेटिन पर मै पहली बार आई, लेकिन इसकी रंग-बिरंगी प्रस्तुति ने मन मोह लिया.. काफ़ी मेहनत से रूप रेखा तैयार की गयी है ऐसा प्रतीत होता है... ब्लॉग बुलेटिन पर मेरी रचना का उल्लेख करने के लिए धन्यवाद ! शशि परगनिहा जी का क्षोभ एवं आक्रोश सर्वथा उचित है ... किसी को भी व्यक्तिगत आक्षेप वाली टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिये.
जवाब देंहटाएंsundar link aur vairas se sawdhan..sab bariya aabhar
जवाब देंहटाएंक़यामत से पहले बड़ी सोहणी लिंक्स दिखाईं है जी आपने :)
जवाब देंहटाएंखतरनाक वायरस पर सुन्दर सूत्र...
जवाब देंहटाएंachchhi jaankari (kalyankari ) ke liye shukriya
जवाब देंहटाएंडरावनी सुन्दर पोस्ट .
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन पढ़ने आयी थी पर यहाँ आकर तो डर गई .....खैर सुंदर ब्लॉग बुलेटिन.
जवाब देंहटाएंमै पहली बार ब्लॉग बुलेटिन पर आई हूँ |ब्लॉग की लिंक्स और प्रस्तुति अच्छी लगी |
जवाब देंहटाएंआशा
पाबला जी ,
जवाब देंहटाएंअच्छा हुआ , आपने ये खबर दे दी , अब आराम है .. ब्लॉग्गिंग और फेसबुक और कंप्यूटर तीनो ही कुछ दिन तक शांत हो जायेंगे.
अहा चैन की नींद सोयेंगे .
वैसे पहेली में दो समानताये ये है .
१. सब महिला है
२. सब ब्लॉग्गिंग करती है .
अब जल्दी से कोई इनाम हो तो मुझे दे दीजिए .
आपका
विजय
विजय जी,
जवाब देंहटाएंपूर्वनिर्धारित ज़वाबों की बात की जाए तो
आपका एक ज़वाब सही है कि
सभी महिलाएं हैं
दूसरा ज़वाब था कि
सभी ब्लॉग वर्डप्रेस पर बने हैं, गूगल वगैरह पर नहीं
इस लिहाज़ से आपको जागरूक ब्लोगर माना जाता है और यही आपका ईनाम है
अच्छे नए लिंक्स पढने को मिले ...
जवाब देंहटाएंजागरूक करती पोस्ट के लिए आभार !
आज तो ९ तारीख हो गई .....
जवाब देंहटाएंऐसा अभी तक तो कुछ न हुआ ....
अलबत्ता हमने पोस्ट भी रात १ बजे के करीब डाली .....
बधाई ....:))
अब पहेलियों का ज़वाब में सभी महिलाएं हैं ऐसा तो हमने भी सोचा था ....
तो आधी जागरूक तो हुई न ....?