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शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

प्रतिभाओं की कमी नहीं - अवलोकन २०११ (आखिरी कड़ी) - ब्लॉग बुलेटिन



कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिला ! ऐसे वार्षिक अवलोकन आपको आगे भी पढने को मिलते रहेंगे !

तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ की २१ वी और आखिरी कड़ी ...
 

सुबह दोपहर , शाम, रात - पुकारा मैंने - कलम के , एहसासों के सहचरों को ,... किसी ने सुना , कुछ को एहसासों के समंदर से गोते लगा मैं ढूंढ लायी ... जो मेरा सामर्थ्य था , वह सामने है , पर इससे परे प्रतिभाएं और हैं . यह शुरुआत है , जब तक हूँ - वार्षिक अवलोकन करुँगी और अनगिनत प्रतिभाओं की ऊँगली थामकर मैं भी आपसबों से मिलती रहूंगी .
लम्बी उड़ान भरूँ
सपने सजाऊं
तिनके चुन चुन
घर मैं बनाऊं .... ब्लॉग जगत में इतने सशक्त लोग हैं कि यह साहित्यिक घर विस्तार ही पाता जायेगा ... आँगन, दीवारें, छत , दालान बचपन, यौवन , अनुभवी उम्र - सब है यहाँ .

घर की क्या अहमियत है , जानिए डॉ टी एस दराल से http://tsdaral.blogspot.com/2011/01/blog-post_10.html
"क्या आपने कभी किसी कुम्हार को चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाते देखा है ? देखिये किस तरह वह मिट्टी को गूंधकर चाक पर घुमाकर मन चाही आकृति प्रदान कर मिट्टी के बर्तन बना देता है । पसंद न आने पर तोड़कर फिर एक नया बर्तन बना देता है ।फिर वह उसे अंगारों में दबाकर पका देता है । और बर्तन हो गए तैयार इस्तेमाल के लिए ।लेकिन अब यदि वह चाहे भी तो उन्हें तोड़कर दोबारा नए बर्तन नहीं बना सकता । " ऐसा ही होता है बच्चों के साथ ... उन्हें ऊँगली पकड़ चलना सिखाते हैं , संस्कारों के रंग देते हैं .... पर चूक गए तो फिर बदरंग रंग बदले नहीं जा सकते !!!

अपने अपने में गुम , बदलते चक्र में , सीख के अभाव में वह बहुत कुछ खो हो गया है , जिसकी अहमियत हर छोटे - बड़े घरों में थी ...

"याद है, एक शब्द हमारी भाषा में बहुत प्रचलित था " मनुहार " ! अक्सर हम इस शब्द का उपयोग अपने बड़ों को या उन्हें, जिन्हें देख हमारे चेहरे खिल जाते थे, को मनाने में उपयोग करते थे ! मान सम्मान के साथ, जब भी मनुहार की जाती थी, उस समय कठोर वज्र समान दिल को भी, पिघलते देर नहीं लगती थी !" पर अब अपने झूठे अहम् में रिश्तों की चिन्दियाँ उड़ रही हैं . प्राइवेट कम्पनी ने इतने पैसे दिए कि पैसे की होड़ में प्यार मर गया और पैसा रिश्ते नहीं बनाता , स्पर्धा बढ़ाता है ...

हर शाख गिरवी , परिंदे परकटे से .......... किस दोस्त , किस मेहरबां की बात हो इस आलम में !

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ http://cbmghafil.blogspot.com/2011/09/blog-post_25.html
"वो तअन्नुद आपका हमसे हमेशा बेवजह,
याद आता है बहुत तुझको गंवा जाने के बाद।" जब सबकुछ पास होता है, हम उसकी अहमियत से दूर होते हैं , खो जाने के बाद याद करते हैं !

जीवन की सच्चाइयों के रंग अपने अपने होते हैं .... किसी को सागर की तलाश होती है , किसी को ख़ामोशी की -

पल्लवी सक्सेना http://aapki-pasand.blogspot.com/2011/12/blog-post_05.html
"कहते हैं हर दुख आने वाले सुख कि चिट्ठी होती है ,
जैसे हर रात की सुबह होती है," दुःख सुख का संदेशवाहक होता है , उसकी भाषा में उलझकर मन डूबने लगता है, तभी सुख दस्तक देता है .

अन्दर ही अन्दर जो पी लेते हैं गरल , उनके बिना बोले जो उन्हें समझ ले - प्यार की पराकाष्ठा उसे ही कहते हैं , आत्मा-परमात्मा का एकसार होना वहीँ दिखाई देता है ...

"एक बात बताओ ,उद्धव !
जब कृष्ण ने तुम्हे भेजा था 'हमें' समझाने के लिए,
ख़ास मुझ बावरी को ही समझाने के लिए
आने से पहले क्या तुमने देखी थी कान्हा की आँखें ?
जिव्हा से तो कुछ भी कह दिया होगा निर्मोही ने " प्रेम के इस रंग में उद्धव ने वह ज्ञान पाया , जो किताबी नहीं थे . ऊपर से कुछ कहना सच नहीं होता , पर इसकी समझ उसे ही होती है, जो उस मन से ही जुड़ा होता है .

समय कब रुकता है ... उसकी गति के आगे हमें विदा लेना होता है - चाहो न चाहो ... उत्तरदायित्व और भी हैं , जीवन के रंग और भी हैं . तो आइये हम एक साथ २०११ को विदा करें . गौर से देखिये उसके चेहरे पर प्रतिभाओं की गहरी चमक है और विश्वास कि आनेवाला साल भी इस चमक से परिपूर्ण होगा .

सबकी ओर से इस मंच से मेरी रचना नए वर्ष के स्वागत में -

"कई पुराने साल
मन में
प्रकृति की रगों में
इतिहास के पन्नों में
जीवंत मूल्यों के साथ जज़्ब अपनी गरिमा लिए -
घोंसले से झांकती मीठी लाल चोंच
डाली पर झूमती एक कोमल पत्ती
और घड़ी की सूई के संग
२०१२ के चेहरे से २०११ का घूँघट उठाते
नए संकल्प का आह्वान करते हैं ...
अपने प्रयासों का हिसाब
नए हाथों में रखते हुए
आशीर्वचनों के साथ
दुआ करते हैं -
" जो हम न कर सके वो तुम करना
ईश्वर की हर रचना का मान रखना
दुध्मुहें सपनों को ठोस जमीन देना
जिनकी उम्मीदें डांवाडोल हैं
उनका हौसला बनना ---
तुम्हारे कदम २०१३ के लिए अनुकरणीय रहें
ऐसे कुछ निशां ज़रूर बनाना ....
पूरी दुनिया की आँखें ख्वाब संजोये है
पलकें उठाओ
हमारे साथ ओ २०१२
तुम भी कहो
- नया वर्ष तुम्हारा हो , तुम्हारा हो ...."

रश्मि प्रभा

24 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ पल के लिए चाहा था कृष्ण हो जाऊँ .... ब्रह्मांड के छोर से प्रतिभाओं को लाऊं ... सारथी होने का अथक प्रयास किया , २१ कदम लिए - सामर्थ्य सीमित , कर्तव्य असीमित - तो जो कदम रह गए , उनको मैं उठाऊंगी - पृथ्वी के एहसासों से रूबरू होते हुए आपको भी वहाँ तक ले चलूंगी ...

    नया वर्ष मंगलमय हो - यही कामना है

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  2. आपके द्वारा किया गया विश्‍लेषण निश्चित रूप से सर्वश्रेष्‍ठ एवं सराहनीय है .. सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई आपको नववर्ष की अनंत मंगलकामनाएं ... ।

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  3. बहुत अच्छा लगा सभी को पढ़ना।

    आने वाले नए वर्ष की आप सभी एवं ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम को अग्रिम अशेष शुभकामनाएँ।


    सादर

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  4. ब्लॉग बुलेटिन:....के अवलोकन का प्रयास बेहद खूबसूरती से आपने सबसे सामने रखा .....इसके लिए आपको और आपकी सम्पूर्ण टीम को शुभकामनायें

    आप सब के लिए नव वर्ष मंगलमय हो

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  5. mere aur se bhi sabhi ko shubhkanayen... aur aise hi iss bande pe khubsurat sa pyar banaye rakhen..:))
    issi ahsaas ke saath... naye varsh me milte hain!!

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  6. Gazal ka sanklan kiya hai aapne ... Sabhi bindoo kamaal ke hai ...
    Aapke nav varsh mangal may ho ...

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  7. बेहतरीन श्रृंखला ...
    आभार ...
    नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें !

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  8. बहुत अच्छा प्रयास रहा... सार्थक और बहुत ही सृजनकारी पहल थी यह.. पूरे ब्लॉग जगत को नए साल की ढेरो बधाई...

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  9. आदरणीय रश्मि जी ,
    सादर नमस्कार । वर्षांत सामने है , इस बुलेटिन का आगाज़ पूर्णत: भाई शिवम मिश्रा की परिकल्पना थी । मैं तो बस एक सिपहसलार की तरह इसे अमली जामा पहना रहा था । आपका आना और इस तरह आना कि पूरा परिदृश्य ही बदल गया और मुझे खुशी है कि इतने कम समय में ..सौ समर्थक के रूप में ,अन्य दोस्तों के साथ मुझे भी ये प्रिय है ।

    वर्ष की चुनिंदा पोस्टों को यूं खूबसूरती से पिरो कर आपने हमारे सामने रख कर एक नया प्रतिमान स्थापित कर दिया है । उम्मीद है कि हमारे जैसे लोग इसे पथ प्रदर्शक के रूप में देखेंगे । आज श्रंखला की आखिरी कडी पर आकर ये तो कहने का ही मन है कि ....आदत हो गई थी इस श्रंखला की ।

    चलिए आने वाला नया वर्ष स्वागत के लिए तैयार है फ़िर आने वाले समय में तो बुलेटिन की धार और रफ़्तार और भी तीखी होगी , सबको शुभकामनाएं

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  10. "कुछ पल के लिए चाहा था कृष्ण हो जाऊँ .... ब्रह्मांड के छोर से प्रतिभाओं को लाऊं ... सारथी होने का अथक प्रयास किया , २१ कदम लिए - सामर्थ्य सीमित , कर्तव्य असीमित - तो जो कदम रह गए , उनको मैं उठाऊंगी - पृथ्वी के एहसासों से रूबरू होते हुए आपको भी वहाँ तक ले चलूंगी ..."

    रश्मि दीदी ... हम सिर्फ़ इतना ही कह सकते है ...


    "आमीन" ...

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  11. अच्छी बुलेटिन दी... बढ़िया लिंक और रचनाएं मिलीं...
    नव वर्ष का स्वागत करती आपकी रचना शानदार है...
    नव वर्ष की सादर बधायाँ/शुभकामनाएं....

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  12. नव वर्ष की शुभकामनायें .. आपकी ख्वाहिश पूरी हो यही कामना है .

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  13. आदरणीय अजय जी
    मुझे भी आप जैसे लेखकों की आदत है.... शुक्रिया इतनी ख़ूबसूरती से सराहने के लिए ....
    यह श्रृंखला ख़त्म हुई है , पिक्चर तो कई बनने को आतुर हैं

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  14. बहुत सुन्दर रचना । नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ।

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  15. रश्मि दी आपका प्रयास सराहनीय है ....!!
    sabhi ko nav varsh ki shubhkamnayen.

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  16. jashi jii baht achha laga biog buletin
    aapko nav warsh kii shubh kaamnayen

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  17. स्वागत है इस आशा के साथ कि आपके द्वारा बेहतरीन सृजन होगा !
    शुभकामनायें आपको !

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  18. अप्रतिम प्रयास ब्लॉगरों का उत्कृष्ट प्रदर्शित करने का।

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  19. SRAAHNIY KARYA KE LIYE AAPKO DHERO BADHAAEEYAN
    AUR SHUBH KAMNAAYEN .

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!