रविवार की सुबह पाम बीच रोड पर हुए सडक हादसे में चार नौजवानों की मौत हो गई। मरने वाले चारों नौजवान १८ से २२ साल की उम्र के थे और सभी नवी मुंबई के ही रहने वाले हैं। शनिवार की रात पब में गुज़ारनें के बाद वह लोग सुबह के ६ बजे इस रास्ते से घर की ओर जा रहे थे.... इस तरह की खबर कोई नई नहीं है.... आए दिन इस प्रकार की घटनाएं होती ही रहती हैं.... माता-पिता की ज़िम्मेदारी भी बनती है जो इस प्रकार इतनी कम उम्र में इतनी छूट दिए रखते हैं, जो पूरी रात बेटा गायब हो तो फ़िर उसकी खबर न पता लगे... गलती तो है ही भाई..... होण्डा एकोर्ड जैसी कार का ये हाल हुआ.... सोचिए कार की स्पीड क्या रही होगी.... मेरे हिसाब से कम से कम १८० से ज्यादा.... कोई नहीं बचा, चारो के चारो बच्चों की दुर्घटना स्थल पर ही मौत..... दर्दनाक!!
वैसे हमारे देश में सडक कानूनों का जितना मखौल उडाया जाता है, उसकी अगर सही मायनें में गिनती हो तो फ़िर आंकडे कहीं अलग तस्वीर दिखाएंगे....
- ज़ेब्रा क्रासिंग वायलेशन: लाल बत्ती पर गाडी रुकनें पर ज़ेब्रा क्रासिंग के पीछे रुकना भारतीयों के लिए अपमान है..... पैदल चलनें वालों की दिक्कत की किसी को परवाह नहीं...
- लेन कटिंग: बस के ड्राईवर से ले कर, रिक्शा, बाईक और कार सब के सब गो-कार्टिंग स्टाईल में कार चलानें में अपनी बहादुरी समझते हैं....
- ओवर स्पीड: आखिर जिस सडक पर स्पीड लिमिट ६० है, उस पर १८० की रफ़्तार से कार चलानें पर उसे किसी ने रोका क्यों नहीं.... क्या भारतीय सडकों पर कारों के लिए कोई दिशा-निर्देश है या नहीं..
- बन्द या फ़ेल सिग्नल : बन्द पडे सिग्नल, जिन पर चलनें वाली कारों को भगवान भरोसे छोड दिया जाता है, उस बीच अगर कोई गाडी अगर बन्द पड जाये तो फ़िर क्या कहिए....
- भ्रष्ट आर टी ओ के कर्मचारी: आर टी ओ भ्रष्ट है इसमें कोई दो राय नहीं है..... भारत के कितनें लोगों के पास लायसेंस होंगे जिन्हे गाडी चलानी भी नहीं आती होगी, बस भ्रष्टाचार का सहारा है तो जेब में ड्राईविंग लायसेंस हैं...
- ट्रकों को ले के कोई कानून न होना: मुम्बई शायद हिन्दुस्तान का एक एसा अकेला शहर होगा जहां ट्रकों को ले के कोई कानून नहीं है..... किसी भी सडक पर कभी भी बेधडक ट्रक ले जाया जा सकता है, इस बाबत जब मैनें एक आर टी ओ इन्सपेक्टर से बात करनी चाही तो उन्होनें मुझे कहा की हर रोड पर ट्रक ले जानें की समय सीमा है, और जो सडके हायवे को कनेक्ट करती हैं उन पर सुबह के ७ से ११:३० और फ़िर शाम को ४ बजे से रात के ९ बजे तक ट्रकों के लिए नो-इंट्री है.... लेकिन यह तो बात किताबों की हुई... असल में तो यह ट्रक कभी भी आ जा सकते हैं..... बस आर टी ओ के कांस्टेबल की ज़ेब गरम करनी हैं......
आज के लिए इतना ही..... चलिए आज का बुलेटिन देखते हैं....
--------------------------------------------------------
आज धीरू सिंह की वैवाहिक वर्षगांठ है
कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग ( भाग -३ )
जन आंदोलनों को सियासी बैसाखियों की ज़रूरत..?
उसके होठों को छूते ही नदी ओक भर प्यास में विलीन हो गयी
छिद्र-प्रकाश
'डर्टी पिक्चर' को ब्लॉग पर डालना कितना सही...खुशदीप
श्रद्धा -सतीश सक्सेना
प्रभु की लीला !
बीज और वृक्ष
आप कितना जानते हैं नेत्रदान के बारे में?
जब मौन प्रखर हो...
--------------------------------------------------------
कुरुक्षेत्र - द्वितीय सर्ग ( भाग -३ )
जन आंदोलनों को सियासी बैसाखियों की ज़रूरत..?
उसके होठों को छूते ही नदी ओक भर प्यास में विलीन हो गयी
छिद्र-प्रकाश
'डर्टी पिक्चर' को ब्लॉग पर डालना कितना सही...खुशदीप
श्रद्धा -सतीश सक्सेना
प्रभु की लीला !
बीज और वृक्ष
आप कितना जानते हैं नेत्रदान के बारे में?
जब मौन प्रखर हो...
--------------------------------------------------------
आज का बुलेटिन यहीं समाप्त करते हैं, कल फ़िर मुलाकात होगी...
जय हिन्द
देव कुमार झा
बढ़िया जानकारी मिली साथ साथ मस्त लिंकों की रेल भी मिली ... बहुत बहुत आभार देव भाई
जवाब देंहटाएंबहुत सही विषय पर सवाल उठाया है. कानून के साथ साथ हमें खुद भी थोडा 'सिविक सेन्स' के बारे में सोचना चाहिए. कानून तो शायद बनाये गए थे, लेकिन बिना डंडा खाए हम में से कितना पालन करते हैं?
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट और सही चयन
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट अच्छी जानकारी..
जवाब देंहटाएंबढिया जानकारी।
जवाब देंहटाएंबेहतर लिंक्स।
इस ब्लॉग की खास बात यह है कि यहां जानकारी के साथ लिंक्स भी उत्तम कोटि के होते हैं।
जवाब देंहटाएंवाह! यह हुई न चर्चा... जागरूक करने का सही तरीका...
जवाब देंहटाएं