Pages

सोमवार, 26 दिसंबर 2011

प्रतिभाओं की कमी नहीं - अवलोकन २०११ (17) - ब्लॉग बुलेटिन



कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०११ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !

तो लीजिये पेश है अवलोकन २०११ का १७ वां भाग ...
 

आँखों में एक नशा होता है , नशा ख्यालों का , नशा उसे जीने का .... कतरा कतरा उतरता जाता है सीने में , सुलगता जाता है ! यह आग ही ऐसी होती है कि इसकी तपिश से हर कोई गुजरना चाहता है ....... सर चढ़कर बोलता है ये नशा
"उठा है वो गुबार कि अपने वजूद के पांव उखड़ जाएं, चढ़ा है वो बुखार कि तेरे ही जिस्म को पिघला कर फिर अशर्फी में ढ़ल जाए। ऐ मलिका-ए-नील... खोल अपने आंचल कि प्यास का मारा मैं तेरी रूह तक पहुँच जां दे सकूं। हटा वो परदा कि मेरे अंदर का सन्नाटा तेरे रानाईयों में जज्ब हो जाए। " इश्क का बुखार चढ़ता है तो चढ़ता ही जाता है ...

कहीं इश्क कहीं ज़िन्दगी के दाव पेंच - शतरंज की बिसात और स्थिति !

"थक गया मैं पूरी ज़िन्दगी शतरंज खेलते ...
मेरे सारे सैनिक खोटे निकले" बचपन जब मासूमियत के बिस्तरे पर ख्वाब देखता है तो क्षणांश को भी यह ख्याल नहीं आता कि न सिकंदर रहेंगे न रहेगा अपने होने का सुकून , होगी सिर्फ थकान और हर खेल से विरक्त मन !

ख़्वाबों की उड़ान बड़ी ऊँची , बड़ी ज़बरदस्त होती है .... एक सूरज की कौन कहे , ख़्वाबों में उभरे कई सूरज हथेलियों में रहते हैं - इस उड़ान के आगे बुद्धि भी हैरां होती है -

"ख्वाब परिंदों की तरह होते हैं
छूना चाहो तो ये उड़ जाते हैं
और फिर हाथ नहीं आते हैं ..." एक तो ज़िन्दगी की रफ़्तार , उस पर ख्वाब - कई बार ठेस लगती है, जाने अनजाने - रिसता है खून या रिसता है मन , कौन जाने !

पर डरना क्या ... हौसला है ज़िन्दगी से हर हिसाब किताब करने का .
"आ जिंदगी तू आज मेरा कर हिसाब कर
या हर जबाब दे, या मुझे लाजबाब कर " प्रश्न ज़िन्दगी से भी है , उसके जवाब का भी इंतज़ार है ... इंतज़ार है वो कुछ ऐसा कह जाए कि अपना आप लाजवाब हो जाए ...

तो जीवन की तमाम राहों से आप रूबरू हों तब तक.... मैं आती हूँ कुछ नए एहसास लिए ...

रश्मि प्रभा

11 टिप्‍पणियां:

  1. सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं सभी को बधाई आपका बहुत-बहुत आभार ..।

    जवाब देंहटाएं
  2. "ख्वाब परिंदों की तरह होते हैं
    छूना चाहो तो ये उड़ जाते हैं
    और फिर हाथ नहीं आते हैं ..."बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. खूबसूरत लिंक्स और पोस्टें । रश्मि जी का आभार इस पारखी नज़र और श्रम के लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  4. लाजवाब खोज है आपकी रश्मि जी ! सभी लिंक्स बेमिसाल हैं ! बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  5. जय हो रश्मि दीदी ... बेहद उम्दा चल रहा है यह सफ़र अवलोकन २०११ का ... जय हो !

    जवाब देंहटाएं
  6. "आ जिंदगी तू आज मेरा कर हिसाब कर
    या हर जबाब दे, या मुझे लाजबाब कर "
    इन पंक्तियों का सौन्दर्य, तर्क और माधूर्य अभिभूत किये हुए है जबसे इसे पढ़ा है... यहाँ आनंद जी की इन पंक्तियों का ज़िक्र करने के लिए आभार!
    इस श्रृंखला के रूप में श्रमसाध्य कार्य करने हेतु आप कोटि कोटि आभार और अनंत बधाइयाँ!!!

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!