तीन साल.... तीन साल हो गए.... किस तरह १० हमलावरों ने मुंबई को ख़ून से रंग दिया था. हमलों में २०० से ज़्यादा लोग मारे गए थे, कई घायल हुए थे... और कैसे उस दिन की केवल याद से आज भी सिहरन हो उठती है.... सबसे पहले तो नमन उन शहीदों को, जो शहीद हो गए... हमारी श्रद्धांजलि...
लेकिन आज भी सवाल वही है की आखिर इतनी बड़ी साज़िश कैसे रची गयी... और हमने उन हमलो से कुछ सीखा? शायद कुछ खास नहीं... आज ३ साल के बाद कम से कम लगता तो ऐसा ही है....
२६/११ के बाद महाराष्ट्र सरकार ने हथियार और गाड़ियों के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गये। करीब सात करोड़ रुपए में मोबाइल स्केनर वैन खरीदी गई।
२६/११ के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने बीच के खुफ़िया नेटवर्क को मजबूत करने और अपने आपस में इन्फ़ार्मेशन नेटवर्क को और मज़बूत करनें की भी गारंटी दी..... लोगों को यह भरोसा भी दिया की अब इस प्रकार की कोई घटना नहीं होगी.... लेकिन जब संदिग्ध डेविड हेडली और तहव्वुर राणा की एफ़ बी आई नें पोल खोली तो पता लगा की वह २६/११ के बाद भी कई बार मुम्बई आये हैं.....
२६/११ के बाद सी एस टी स्टेशन पर और शापिंग माल में मेटल-डिटेक्टर भी लगाए गये.... लेकिन क्या वह किसी काम के हैं.... अरे भाई वह पूं पूं करते हैं और लेकिन कोई ध्यान देनें वाला नहीं.... सरकार नें कहा की फ़ोर्स-वन बनाएगी, लेकिन शायद मुम्बई पुलिस की ज़िन्दगी नाकाबन्दी और कोर्ट कचहरी और कसाब की रखवाली करनें में ही बीतेगी.....
कुछ भी कहिये, लेकिन आज यह बात समझ पाना कठिन है की कसाब जिंदा क्यों है ? आखिर उसको पालने में हो रहे पैसे का बोझ आम आदमी पर क्यों.... आखिर टैक्स-पेयर्स का पैसा इस दरिन्दे को पालने में क्यों? सवाल का ज़वाब कोई नहीं देगा.... क्योंकि यहाँ भी राजनीति की बू आ रही है..... जब पूरी दुनिया को पता है की आतंकियों को ट्रेनिंग पाकिस्तानी नौसेना ने दी.... और कैसे उन दरिंदो ने इतनी बड़ी साज़िश को अंजाम दिया...... फ़िर भी कसाब ज़िन्दा क्यों.... क्या कहिएगा..... थोडा सोचिये बस......
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चलिए आज की ब्लाग बुलेटिन पर नज़र डालिए.....
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कुम्भकर्ण का श्राप :
बुनियाद.... -सतीश सक्सेना
यह भी हमारी ही बेटियाँ है........
फुरसत के लम्हे
प्यार के पापकार्न
पहाड़ों की .. रानी
जो भी चाहे तू फैसला कर दे
एक थप्पड़
लाल डब्बे की बाकी चिट्ठियां
घंटी
जूठन
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चलिए आज का बुलेटिन समाप्त होता है, कल फ़िर एक नये मुद्दे के साथ आएंगे.....
बुनियाद.... -सतीश सक्सेना
यह भी हमारी ही बेटियाँ है........
फुरसत के लम्हे
प्यार के पापकार्न
पहाड़ों की .. रानी
जो भी चाहे तू फैसला कर दे
एक थप्पड़
लाल डब्बे की बाकी चिट्ठियां
घंटी
जूठन
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चलिए आज का बुलेटिन समाप्त होता है, कल फ़िर एक नये मुद्दे के साथ आएंगे.....
जय हिन्द
देव कुमार झा
हम शहीदों को भुला नहीं पाएंगे
जवाब देंहटाएंजय हिंद !!!!
दहशत का , शहीदों के परिवार का जवाब नहीं मिलता - दूसरा मामला , दूसरा विस्फोट सोच की दिशा बदल देते हैं
जवाब देंहटाएं२६/११ के सभी अमर शहीदों को सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से शत शत नमन ! जय हिंद !!!!
जवाब देंहटाएंThe more different are among them, in my point of view, Very well written and certainly a pleasure to get into a blog
जवाब देंहटाएंFrom everything is canvas
सादर नमन उन सभी शहीदो को ............ जय हिन्द !!
जवाब देंहटाएंमुंबई हमले के शहीदों को सलाम.....
जवाब देंहटाएंमुंबई के जज्बे को सलाम....
बढिया लिंक्स।
वह मंजर कैसे भूल सकता है कोई .....जिसके दिल में इंसानियत है .....!
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन!
जवाब देंहटाएंबुलिटन बांच गया।
जय हिंद!
जवाब देंहटाएंशहीदों को सादर नमन .. जय हिन्द !!
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन ..
जवाब देंहटाएंकरते हैं रविवार सुबह की शुरूआत इन लिंक्स के साथ
जवाब देंहटाएंशुक्रिया