प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
कल हुयी इस नयी शुरुआत पर जो आप सब का प्यार मिला है उसके लिए हमारी पूरी टीम आप सब के सामने नतमस्तक है और हम सब यही आशा करते है कि हमारे लिए आपका यह प्यार दिन दुगनी रात चौगुनी बढता जाए !
जैसा कि आप सब जानते ही है आज १४ नवम्बर है ... यानी बाल दिवस ... पर क्या केवल साल के एक दिन ही बाल दिवस मना लेने से हमारा फ़र्ज़ पूरा हो जाता है ???
बाकी ३६४ दिन का क्या ???
आजादी के छह दशक से अधिक समय गुजरने के बावजूद आज भी देश में सबके लिए शिक्षा एक सपना ही बना हुआ है। देश में भले ही शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की कवायद जारी है, लेकिन देश की बड़ी आबादी के गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने के मद्देनजर सभी लोगों को साक्षर बनाना अभी भी चुनौती बनी हुई है।
सरकार ने छह से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं मुफ्त शिक्षा प्रदान करने का कानून बनाया है, लेकिन शिक्षाविदों ने इसकी सफलता पर संदेह व्यक्त किया है क्योंकि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जद्दोजहद में लगा हुआ है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने के लिए देश में दस लाख अतिरिक्त शिक्षकों की जरूरत पर जोर देते हुए शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की संख्या में वृद्धि और व्यापक शिक्षा के लिए आईसीटी के इस्तेमाल के अलावा शिक्षण के पेशे की गरिमा और मान सम्मान को बहाल करने की आवश्यकता बताई है।
इग्नू के जेंडर एजुकेशन संकाय की निदेशक सविता सिंह ने कहा था कि गरीब परिवार में लोग कमाने को शिक्षा से ज्यादा तरजीह देते हैं। उनकी नजर में शिक्षा नहीं बल्कि श्रम कमाई का जरिया है।
ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार किए बिना शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी नीति या योजना कारगर नहीं हो सकती है बल्कि यह संपन्न वर्ग का साधन बन कर रह जाएगी। आदिवासी बहुल क्षेत्र में नक्सलियों का प्रसार इसकी एक प्रमुख वजह है।
सरकार के प्रयासों के बावजूद प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। इनमें बालिका शिक्षा की स्थिति गंभीर है।
विश्व बैंक की रपट में भी भारत में माध्यमिक शिक्षा की उपेक्षा किए जाने पर जोर देते हुए कहा गया है कि इस क्षेत्र में हाल के वर्षो में निवेश में लगातार गिरावट देखने को मिली है।
भारत में माध्यमिक शिक्षा पर विश्व बैंक रपट में माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में निवेश में गिरावट का उल्लेख किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले खर्च का जहां प्राथमिक शिक्षा पर 52 प्रतिशत निवेश होता है वहीं दक्ष मानव संसाधान को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में कुल खर्च का 30 प्रतिशत ही निवेश होता है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा के कुल खर्च का 18 प्रतिशत हिस्सा आता है।
भारत में माध्यमिक स्तर पर 14 से 18 वर्ष के बच्चों का कुल नामांकन प्रतिशत 40 फीसदी दर्ज किया गया जो पूर्वी एशिया और लैटिन अमेरिका में वैश्विक प्रतिद्वन्दि्वयों के कुल नामांकन अनुपात से काफी कम है।
भारत से कम प्रति व्यक्ति आय वाले वियतनाम एवं बांग्लादेश जैसे देशों में भी माध्यमिक स्तर पर नामांकन दर अधिक है।
उच्च शिक्षा की स्थिति भी उत्साहवर्द्धक नहीं है। फिक्की की रपट में कहा गया कि महत्वपूर्ण विकास के बावजूद भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली में कई तरह की खामियां हैं जो भविष्य की उम्मीदों के समक्ष चुनौती बन कर खड़ी है।
रपट के अनुसार इन चुनौतियों में प्रमुख उच्च शिक्षा के वित्त पोषण की व्यवस्था, आईसीटी का उपयोग, अनुसंधान, दक्षता उन्नयन और प्रक्रिया के नियमन से जुड़ी हुई है।
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन दर की खराब स्थिति को स्वीकार करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि स्कूल जाने वाले 22 करोड़ बच्चों में केवल 2.6 करोड़ बच्चे कालेजों में नामांकन कराते हैं। इस तरह से 19.4 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
सरकार का लक्ष्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन दर को 12 प्रतिशत से बढ़ा कर 2020 तक 30 प्रतिशत करने का है। इन प्रयासों के बावजूद 6।6 करोड़ छात्र ही कालेज स्तर में नामांकन करा पाएंगे, जबकि 15 करोड़ बच्चे कालेज स्तर पर नामांकन नहीं जा पाएंगे।क्या एसे ही 'बाल दिवस' मनाया जाएगा ?? मतलब मालूम है किसी नेता को 'बाल दिवस' का ...
क्यों मनाया जाता है यह ?? क्या भावना थी 'बाल दिवस' मनाने के पीछे ??? कोई जवाब देगा क्या ... ???
शायद आज के भारत में किसी भी नेता के पास इसका कोई जवाब नहीं है !! होगा भी कैसे ?? जो नेता अपने नेताओ को भूल गए वो उनकी बातो को याद रखेगे ... न.. न ... हो ही नहीं सकता ...
एक छोटा सा संवाद पेश कर रहा हूँ :-
"टाइम कहाँ है इतना ... और भी काम है ...बड़े आए 'बाल दिवस' मनाने ... कल आ जाना ... मूंछ दिवस के लिए ... तुम सब के सब हो ही ठलुआ ........चलो भागो यहाँ से !! यहाँ अपने लिए टाइम नहीं है और यह आए है 'बाल दिवस' मनाने ??
अच्छा सुनो जब आ ही गए हो तो P.A से मिल लो ... कुछ करवा देते है ... अरे कुछ और नहीं तो बच्चा सब टाफी तो खा ही लेगा ... है कि नहीं ?? अब खुश मना दिए न तुम्हारा 'बाल दिवस' !! अब जाओ बहुत काम बाकी है देश का निबटने को !! "
वैसे यह नेता ठीक कहते है क्या लाभ है 'बाल दिवस' मनाने का ?? जब आज भी हम इन बच्चो को वह माहौल नहीं दे पाये जब यह दो वक्त की रोटी की चिंता त्याग शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित कर पाए ! 'बाल दिवस' केवल मौज मस्ती के लिए तो नहीं था ... इसका मूल उद्देश तो हर बच्चे तक सब सरकारी सुविधाओ को पहुँचाना था ... कहाँ हो पाया यह आज़ादी के ६४ साल बाद भी ....
ज़रा सोचियेगा इस विषय पर ...
चलिए अब लिए चलता हूँ आपको आज के 'ब्लॉग बुलेटिन' की ओर ...
आज १४ नवम्बर को बाल दिवस मनाते हुए नीचे दिए जा रहे है १४ चित्र - हर चित्र पर चटका लगाने पर एक ब्लॉग पोस्ट खुलेगी ... पर हाँ यह साफ़ कर दूँ ... यह जरुरी नहीं कि पोस्ट का विषय भी बाल दिवस हो ... आप तो जानते ही है हम लोग संजीदा कहाँ है बाल दिवस को ले कर जो अब उस पर पोस्ट भी लिखने बैठे ... है कि नहीं ... ;-)
सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिये - कल फिर मुलाकात होगी ...
बाल दिवस की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
यह एक बहुत ही अच्छी शुरुआत है।
जवाब देंहटाएं'जो मेरा मन कहे' को शामिल करने के लिए आभार।
सादर
shukriya is naye blog ki jankari ke liye. badhayi aapko is naye prayas ke liye.
जवाब देंहटाएंlekin hamari post ki khabar aapne kahan lee....hame to dikhe nahi.
एक दिन मै भी यहीं शामिल होऊंगा... बस थोड़ा इंतज़ार करिये :)
जवाब देंहटाएं1-2 ko khola to nahi mila tha. shukriya ab thikana mil gaya.
जवाब देंहटाएंaabhar.
सुबह सुबह हमने बच्चों को विश किया , मिठाइयां दीं... बालदिवस को यूँ जीना अच्छा लगता है ===== नयी शुरुआत को शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंपद्मावलि
जवाब देंहटाएंये अच्छा किया भैया...कम से कम सभी हर पोस्ट को एक नज़र देखेंगे तो :)
जवाब देंहटाएंबाई द वे ,थैंक यू :)
बाल दिवस पर अच्छी ब्लॉग बुलेटिन. सभी लिंक्स देख आये हैं.आभार.
जवाब देंहटाएंशिवम भाई ,
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो सूत्रधार को हमारा भी अभिवादन , जो कि हम जानते हैं कि आप हैं इस बुलेटिन के । बडा ही सपाट शीर्षक धर दिया आपने एकदम सीने पे खचैक जैसे । सभी चित्रों में छुपी पोस्टें भी उतनी ही मनमोहक लगीं । अंत में इस बच्चे की मुस्कुराहट ने बता दिया कि हां इस मासूमियत को बचा के रखना है हमें
पदम भाई और अनामिका जी की शिकायत मीठी झप्पी वाले रिपोर्टरों तक पहुंचा दी गई है वे कह रहे हैं लौटती टरेन भी जवाबी चिट्ठी ले आती है ..डाकिया डाक लाया डाकिया डाक लाया
जवाब देंहटाएंएक छोटे से बच्चे को पहले तो चांटा मारा
जवाब देंहटाएंफिर उसके हाथ में चाकलेट थमाया तो
फिर वो खूब हंसा और मुस्कराया बोला
अंकल, एक चांटा दूसरे गाल पर भी मारो
और जेब में बचे सारे चाकलेट निकालो
हमने तो बाल दिवस की शुरूआत ऐसे ही की
जब नींद से जगे तो सपना मेरा टूट गया
पता नहीं कौन मेरी चाकलेट बाल दिवस के दिन
सारी की सारी स्वाद वाली लूट कर ले गया।
जे हुई ना बात
जवाब देंहटाएंबाल दिवस को समर्पित यह अंक भी अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंमुझे तो समझ में नहीं आता ये सब दिवस का चक्कर... एक दिन मनाया और हो गयी जिम्मेवारी पूरी!! जो सालों भर सेवा करते हैं, प्यार करते हैं, सम्मान करते हैं, आदर करते हैं उन्हें एक दिन का "दिवस" मनाने की आवश्यकता नहीं होती!! तभी तो हर साल इसे मनाना पडता है!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा और शिवम भईया आपनें ब्लाग चर्चा के सूत्रधार के रूप मे बहुत अच्छा मिश्रण किया...... इस ब्लाग बुलेटिन को सरल और निष्पक्ष भाव से चलाते रहना एक चुनौती होगा..... और इसे हमें बखूबी निभाना होगा.....
जवाब देंहटाएंअब बाल दिवस एक ही दिन क्यों..... हा हा, अरे भाई कम से कम एक दिन तो ऐसा था जब हमें स्कूल में मार नहीं पडती थी और हमारे मास्स्साब भी हमारे साथ कबड्डी खेलते थे.... नहीं तो बाकी हर रोज़ तो मामला बयां करनें के लायक नहीं है.... :-)
बहुत अच्छा बुलेटिन...... हमारी ओर से ढेरों शुभकामनाएं.....
जय हिन्द
बढिया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ब्लागों का संकलन।
सभी ब्लाग पढा और सबमें अपनी टिप्प्णी दी।
कोई भी ब्लाग छोडने लायक नहीं लगा।
मेरे ब्लाग को इसमें शामिल करने के लिए आभार.....
शुभकामनाएं आपको......
इस बुलेटिन ने नई जगहों पर पहुँचाया है ...आभार...
जवाब देंहटाएंबढिया प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंअच्छे अच्छे पोस्टों तक पहुंचाने का शुक्रिया !!
बाल-दिवस कि बहुत सुन्दर चर्चा!!!
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