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शनिवार, 14 दिसंबर 2019

2019 का वार्षिक अवलोकन  (चौदहवां)




  सुधा देवरानी और उनकी 

nayisoch

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क्रोध आता नहीं , बुलाया जाता है



कितनी आसानी से कह देते हैं न हम कि
 क्या करें गुस्सा आ गया था ...
  गुस्से में कह दिया....

                       गुस्सा !!
   गुस्सा (क्रोध) आखिर बला क्या है ?
 
               सोचें तो जरा !

    क्या सचमुच क्रोध आता है.....?
    मेरी नजर में तो नहीं
    क्रोध आता नहीं
    बुलाया जाता है
    सोच समझ कर
    हाँ !  सोच समझ कर
   किया जाता है गुस्सा
  अपनी सीमा में रहकर......
    हाँ ! सीमा में  !!!!
   वह भी
   अधिकार क्षेत्र की ......

   तभी तो कभी भी
  अपने से ज्यादा
  सक्षम पर या अपने बॉस पर
  नहीं कर पाते क्रोध
  चाहकर भी नहीं......
  चुपचाप सह लेते हैं
  उनकी झिड़की, अवहेलना
  या फिर अपमानजनक डाँट
  क्योंकि जानते हैं
  कि भलाई है सहने में......

  और इधर अपने से छोटों पर
  अक्षम पर या अपने आश्रितों पर
  उड़ेल देते हैं सारा क्रोध
  बिना सोचे समझे.....
  बेझिझक, जानबूझ कर
  हाँ !  जानबूझ कर ही तो
  क्योंकि जानते हैं.....
  कि क्या बिगाड़ लेंगे ये
  दुखी होकर भी........

  तो क्या क्रोध हमारी शक्ति है ?
  या शक्ति का प्रदर्शन ?

   हाँ! मात्र प्रदर्शन !!!
   और कुछ भी नही......

  यदि सच को स्वीकारें तो
  ये क्रोध है .......
  हमारी बौद्धिक निर्बलता/अज्ञानता
  जिससे उपजती असहिष्णुता
  और फिर प्रदर्शन !
  वह भी
  अधिकार क्षेत्र की सीमा में........

     तो क्रोध आता नहीं ,
       बुलाया जाता है.....
        ........है ना.........

17 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं सुधा जी।

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद, अनुराधा जी !
    सस्नेह आभार...

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  3. सुधा जी की रचनाओं ने सर्वदा एक सार्थक और 'नई सोच' को अभिव्यक्ति दी है। बहुत बहुत आभार और बधाई!!!

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    1. हृदयतल से धन्यवाद विश्वमोहन जी !
      सादर आभार...

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  4. वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएँ सुधाजी।सादर

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  5. वाह सुधा जी। बहुत-बहुत बधाई सुधा जी शुभकामनाएँ।
    सुधा जी का सीमित और सार्थक लेखन समाजोपयोगी वैचारिकी मंथन प्रदान करता है सदैव।
    सुधा जी एक बहुत अच्छी पाठिका भी हैं।

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    1. हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी इतना स्नेह और मान देने के लिए...

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  6. क्रोध आता नहीं है बल्कि किसी को डराने के लिए उसे जताया जाता है. वैसे ही जैसे कि कोई गुर्राता है, कोई दहाड़ता है.

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    1. मेरे विचारों से सहमत होकर सुन्दर प्रतिक्रिया से मेरा उत्साहवर्धन करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद गोपेश जी !

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  7. प्रिय सुधा जी , आज इस मंच पर विशेष अवलोकन के तहत आपकी सार्थक रचना देखकर अपार हर्ष हुआ | आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें और बधाई |रचना पर मेरे विचार यहाँ भी लिख रही हूँ | ---

    सार्थक प्रस्तुति प्रिय सुधा जी | एक कहावत है घोड़े पर बस ना चले तो गधे के कान मरोड़ना | यही हाल क्रोध करने वाले व्यक्ति का है| |जहाँ मज़बूरी और क्रोध से खुद का नुकसान होने की संभावना है , वहां मौन धारण कर खुद को सहनशील जताना और अपने से कमतर पर अत्यधिक क्रोध का प्रदर्शन करना अपने अहम् का तुष्टिकरण भर है | अन्यथा संसार में क्रोध से किसी का भला हुआ ये आज तक सुनने में नहीं आया है | सच है ये हमारी बौद्धिक दुर्बलता के सिवाय कुछ नहीं | सार्थक रचना के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनायें आपको |

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  8. आजके विशेष अवलोकन में सुधा देवरानी जी के ब्लॉग 'नयी सोच '' से उनकी रचना का लिया जाना ब्लॉग बुलेटिन के निष्पक्ष चयन का प्रतीक है| |सुधा जी आज ब्लॉग जगत में किसी परिचय की मोहताज नहीं | उनके लेखन के ही समकक्ष उनका एक उदार पाठक होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है | एक प्रबुद्ध पाठिका के रूप में उनका ब्लॉग जगत में बहुत सम्मान और पहचान है | किसी भी रचना की गहनता से पड़ताल के बाद , रचना की आत्मा का मर्म पहचानने में उनका कोई सानी नहीं | हर नये पुराने रचनाकार की रचनाओं पर उनका समभाव से भ्रमण उनकी सहृदयता और उदारता का परिचायक है | ब्लॉग बुलेटिन मंच को हार्दिक शुक्रिया और आभार एक संवेदनशील रचनाकार के लेखन को सम्मान देने के लिए  सुधा बहन को एक बार फिर बधाई |

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  9. आपका हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार रेणु जी
    इतना स्नेह एवं मान देने के लिए...।
    रचना पर आपकी सुन्दर एवं सारगर्भित प्रतिक्रिया रचना को विस्तार देकर सार्थकता प्रदान करती है
    आपका सहयोग एवं स्नेह पाकर गौरवान्वित हूँ मैं , भगवान से प्रार्थना है आप पर हमेशा कृपादृष्टि रखे
    और हमरा साथ यूँ ही बना रहे।

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  10. बहुत सुंदर और संदेश देती रचना,आपको ढेरो शुभकामनाएं एवम सादर नमन

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