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शनिवार, 17 अगस्त 2019

ब्लॉग लेखन में साहित्य की धमक कम नहीं....

हिंदी ब्लॉग लेखन से लेखक/लेखिकाओं की बढ़ती दूरियों पर बहुत बात होती है मगर ब्लॉग बुलेटिन के लिए ब्लॉग पोस्ट के चयन करते समय यह मिथ्या बयानी लगती है. आज की बुलेटिन में एक से एक दिग्गज ब्लॉगर्स जो साहित्य एवं पत्रकारिता में एक अच्छा मुकाम हासिल करने के बाद भी ब्लॉग लेखन से विमुख नहीं हुए हैं.  लिखने वाले ने लिख दिये हैं, अब पाठक की जिम्मेदारी कि पढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया भी दे.....

बरखा सावन में खूब बरस कर भादो में भी जलवे बिखेर रही अपने. इस मौसम की एक रोमांटिक कथा अंशुमाला पिरो रहीं अपने शब्दों में. वस्तुत: यह कथा नहीं उस विवाहित जोड़े की गाथा है जो हर मौसम में अच्छा समय चुराने का मौका निकाल लेता है.
http://mangopeople-anshu.blogspot.com/2019/08/blog-post_16.html?m=1

शिखा वार्ष्णेय जानी मानी ब्लॉगर हैं. रूस से जर्नलिज्म कोर्स करने के बाद लंदन में बसे होने के बाद भी विशुद्ध भारतीय शिखा पत्रकारिता के साथ रेडियो पर अपनी विशिष्ट रेसीपीज बनाना भी सिखाती हैं. "स्मृतियों में रूस" में अपने रूस प्रवास के अनुभव साझा करने के बाद हाल ही में अपनी पुस्तक "देशी चश्मे से लंदन डायरी" में लंदन को अपनी नजर से दिखाती हैं. उनके इस दिखाने को  एक और जानी मानी ब्लॉगर वंदना अवस्थी दुबे  ने अपने ब्लॉग पर समीक्षा के रूप में साझा किया है यहाँ पर...

http://wwwvandanablog.blogspot.com/2019/08/blog-post.html

उलूक टाइम्स पर सुशील जोशी अपने विशेष अंदाज में लिखने के पैमाने और लिखने के नशे पर लिख लिख कर ही दिखा रहे हैं....
https://ulooktimes.blogspot.com/2019/08/blog-post_17.html?m=1

बुलंद आवाज में भी शास्त्रीयता की धाक जमाने वाली शुभा मुद्गल से कौन परीचित नहीं होगा. ब्लॉगर और जानी मानी लेखिका प्रतिभा जी की कविता " ओ अच्छी लड़कियों " पर शुभा जी और अनीस जी की चर्चा को संस्मरण में लिखा खूबसूरत अंदाज में...

https://pratibhakatiyar.blogspot.com/2019/08/blog-post_17.html

निर्मल शुक्ल के नवगीत संग्रह पर शशि पुरवार जी ने मुहावरों का मुक्तांगन एक अरण्य काल (एक अध्ययन) में बहुत विस्तार से लिखा है...

http://sapne-shashi.blogspot.com/2019/08/blog-post_16.html

9 टिप्‍पणियां:

  1. क्या कहने जी...आनन्दम..बहुत शुक्रिया लिंक शामिल करने के लिए। 🙏

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  2. कभी सावन-भादो की बरसात, कभी ज्येष्ठ की दुपहरी तो कभी पूस की ठिठुरन, सदा एक सा कहाँ मौसम! बस निरंतरता बनी रहे, यही है जरुरी ब्लॉग लेखन के लिए
    बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

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  3. बहुत खूब। सुंदर, सार्थक लिंक। आभार।

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  4. कुछ अलग तरीके से ब्लॉग बुलेटिन की प्रस्तुति रही | मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद |

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