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परशुराम जयन्ती वैशाख शुक्ल तृतीया अर्थात् अक्षय तृतीया को मनाई जाती है। परशुराम की कथाएं रामायण, महाभारत एवं कुछ पुराणों में पाई जाती हैं। पूर्व के अवतारों के समान इनके नाम का स्वतंत्र पुराण नहीं है।
परशुराम बाल जीवन से ही क्षत्रिय कर्मा थे। ये सदा एक परशु अर्थात् फावड़ा लिए रहते थे। एक बार इनके पिता महर्षि जमदग्नि इनकी माता रेणुका पर अति क्रोदित हो गये। उन्होंने अन्य पुत्रों से उनकी माता का सिर काट लेने की कठोर आज्ञा दी। किन्तु उनकी हिम्मत नहीं पडी। परशुराम यद्यपि माता के अन्य उपासक थे, तथापि पिता की आज्ञा पाकर उन्होंने अपनी माता का सिर काट डाला। क्रोध वेश में भरे महर्षि जमदग्नि भी परशुराम की यह पितृ भक्ति देखकर विस्मित हो उठे, कादाम्चित उन्हें यही विश्वास हो रहा होगा कि अन्य पुत्रों पे भ्रांति पर परशुराम को माता का सिर काट लेने में तनिक भी विलम्भ नहीं लगा तो दोवड कर पुत्र को अपने गले से लगा लिया और उनसे वरदान माँगने का अनुरोध करने लगे। मात्रु भक्ति पर परशुराम ने अपने तेजस्वी एवं सर्व समर्थ पिता से वरदान माँगते हुए प्रार्थना की तात! मेरी माता तुरन्त जीवित हो जाय और उन्हें मेरे द्वारा शराचेध की इस घटना का स्मरण भी रहे। माता और पिता के आग्यानुसारी पुत्र की मनोकामनाएँ कब पूरी नहीं हुईं ? देवी रेणुका का जीवित हो उठी और उनका प्रेम पूरख परशुराम पर यावज्जीवन पूर्ववत बना रहा है।
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
परशुराम बाल जीवन से ही क्षत्रिय कर्मा थे। ये सदा एक परशु अर्थात् फावड़ा लिए रहते थे। एक बार इनके पिता महर्षि जमदग्नि इनकी माता रेणुका पर अति क्रोदित हो गये। उन्होंने अन्य पुत्रों से उनकी माता का सिर काट लेने की कठोर आज्ञा दी। किन्तु उनकी हिम्मत नहीं पडी। परशुराम यद्यपि माता के अन्य उपासक थे, तथापि पिता की आज्ञा पाकर उन्होंने अपनी माता का सिर काट डाला। क्रोध वेश में भरे महर्षि जमदग्नि भी परशुराम की यह पितृ भक्ति देखकर विस्मित हो उठे, कादाम्चित उन्हें यही विश्वास हो रहा होगा कि अन्य पुत्रों पे भ्रांति पर परशुराम को माता का सिर काट लेने में तनिक भी विलम्भ नहीं लगा तो दोवड कर पुत्र को अपने गले से लगा लिया और उनसे वरदान माँगने का अनुरोध करने लगे। मात्रु भक्ति पर परशुराम ने अपने तेजस्वी एवं सर्व समर्थ पिता से वरदान माँगते हुए प्रार्थना की तात! मेरी माता तुरन्त जीवित हो जाय और उन्हें मेरे द्वारा शराचेध की इस घटना का स्मरण भी रहे। माता और पिता के आग्यानुसारी पुत्र की मनोकामनाएँ कब पूरी नहीं हुईं ? देवी रेणुका का जीवित हो उठी और उनका प्रेम पूरख परशुराम पर यावज्जीवन पूर्ववत बना रहा है।
अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ल तृतीया को कहा जाता है। वैदिक कलैण्डर के चार सर्वाधिक शुभ दिनों में से यह एक मानी गई है। 'अक्षय' से तात्पर्य है 'जिसका कभी क्षय न हो' अर्थात् जो कभी नष्ट नहीं होता। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वृन्दावन में ठाकुर जी के चरण दर्शन इसी दिन होते हैं। अक्षय तृतीया को सामान्यत: 'अखतीज' या 'अक्खा तीज' के नाम से भी पुकारा जाता है। वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 'अक्षय तृतीया' के नाम से लोक विख्यात है। अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु ने परशुराम अवतार लिया था। अत: इस दिन व्रत करने और उत्सव मनाने की प्रथा है।
रबीन्द्रनाथ ठाकुर अथवा रबींद्रनाथ टैगोर (अंग्रेज़ी: Rabindranath Thakur, जन्म- 7 मई, 1861, कलकत्ता, पश्चिम बंगाल; मृत्यु- 7 अगस्त, 1941, कलकत्ता) एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर की बड़ी भूमिका रही तथा आमतौर पर उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार माना जाता है।
विश्व अस्थमा दिवस (अंग्रेज़ी: World Asthma Day) मई महीने के पहले मंगलवार को पूरे विश्व में घोषित किया गया है। अस्थमा के मरीजों को आजीवन कुछ सावधानियां अपनानी पड़ती हैं। अस्थमा के मरीज़ों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है। अपने स्वास्थ्य को समझकर, अस्थमा या दमा के मरीज़ भी मौसम का मज़ा ले सकते हैं। वातावरण में मौजूद नमी अस्थमा के मरीज़ों को कई प्रकार से प्रभावित करती है।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
मनीषियों को सादर नमन..
जवाब देंहटाएंआभार हर्ष भाई...
बढ़िया बुलेटिन..
सादर...
बढ़िया बुलेटिन..हर्ष |
जवाब देंहटाएंभारत रत्न रवींद्रनाथ टैगोर के वो 7 विचार जो आपकी जिंदगी वाकई में बदल सकती है| आपकी खबर बहुत ही बढ़िया है। रविंद्रनाथ टैगोर की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करे https://newsup2date.com/eminent-personality/rabindranath-tagore-life-quotes-in-hindi/
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