प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज का ज्ञान:
प्रणाम |
आज का ज्ञान:
आप चाहे कितने ही काबिल बन जाओ लेकिन अगर सब्जी वाले से धनिया मुफ्त नहीं ला सकते तो घर वालों की नज़र में आपसे ज्यादा नाकाबिल इंसान कोई नहीं है।
सादर आपका
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पञ्चचामर छन्द
मुकम्मल अधूरेपन की एक अतृप्त सच्ची झूठी गाथा।
हे सुंदरी! तुम कौन हो?
फर्क नहीं पड़ता।
भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद...
पैशन और पढ़ाई
बच्चे भी काम पर जाते है
मेरा कोना भीग रहा है
ध्रुव त्यागी की हत्या पर इतना सन्नाटा क्यों है भाई?
ख़ता है अपनी या....
ये कानपुर है मेरी जान...
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अब एक ख़ास लिंक,
यहाँ आप रश्मि प्रभा जी की कविताओं और कहानियों को पढ़ सकते हैं ... सुन भी सकते हैं...
स्टोरी मिरर पर रश्मि प्रभा
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अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
धन्यवाद् सरजी.
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार|
जवाब देंहटाएंसुंदर बुलेटिन। सादर आभार।
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