प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
यदि आप पहली अप्रैल को मूर्ख बने तो एक ही दिन के लिए मूर्ख बनोगे।
परन्तु यदि आप चुनाव वाले दिन को मूर्ख बने तो अगले पांच साल मूर्ख बने रहोगे।
आगामी लोकसभा चुनावों में अपना कीमती वोट दे कर समझदार बनें।
शुभ अप्रैल फूल।
अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
सादर आपका
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
~~~~~~~~~~~~~~~~~~लालकृष्ण आडवाणी शाम को प्रधान मंत्री पद की शपथ लेंगे , नरेंद्र मोदी कांग्रेस अध्यक्ष बने
अप्रैल फूल
सफेद बैंगन
लघुकथा - ब्रह्मराक्षस
मूर्ख दिवस पर -- समझदारी की बातें
पता नहीं कितने दिन और मिलेगी कच्चे चूल्हे की रोटी?
शर्ट के टूटे बटन में रह गए ...
शरारत
कविता और कुछ नहीं...
‘उलूक’ हर दिन अपने आईने में देखता है चेहरे पर लिखा अप्रैल फूल होता है
डॉ. हेडगेवार की १३० वीं जयंती
अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
बधाई 'उलूक' दिवस की केवल अपने जैसे मूर्ख मित्रों को मूर्खो की ओर से। आभार शिवम जी 'उलूक' के मूर्ख दिवस पन्ने को आज की विशेष बुलेटिन में जगह देने के लिये। बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं पठनीय अप्रतिम।
सामयिक लिंक्स। मुझे सम्मिलित करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंकितना खजाना है आज ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए ...
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन आज का |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |
आपका हार्दिक आभार शिवम जी
जवाब देंहटाएंरोचक भूमिका के साथ आज के बुलेटिन की सुंदर प्रस्तुति ! आभार
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंभारतीय परम्परा में किसी को मुर्ख नहीं बनाया जाता है। मूर्ख दिवस का औचित्य समझ के परे है। हम होली में हँसी ठिठोली कर लेते हैं। इधर साहित्यिक यात्राओं में भी सांस्कृतिक प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्रतिदिन हम समारोह का नाम सुनते हैं। यह सर्वज्ञात है कि आरोह करने के बाद अवरोह भी किया जाता है। फिर भी हम तमाम समारोह मानते हैं। आरोह के स्थान पर उत्सव शब्द का प्रयोग अच्छा होता है। इसी प्रकार का एक शब्द सौजन्य है। लोग सौजन्य से काम करते हैं। विचार कर देखें।
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंरोचकता के साथ प्रस्तुत आज की बुलेटिन
सभी रचनाकारो को बधाई
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर