आज भले
बुधवार का दिन हो, बाकी
तारीख तेरह है. माने
लोग एगो भयंकर मोहावरा बनाए हुये है: फ्राइडे
– द थर्टींथ! कोई हमसे पूछकर देखे त त
फ्राइडे द थर्टींथ से जादा भयंकर अऊर डरावना हमरे बास्ते कोनो मन-डे यानी सोमवार
होता है. हमरा सारा कारीबी लोग जानते हैं कि हमको ई जनम में कोनो से डर लगता है, त ऊ सोमवार है. मगर अंधबिस्वास है, त हइये है, उसका
कोनो इलाज नहीं.
जमाना
चाहे केतना भी एड्भांस हो जाए, अंधबिस्वास
खतम नहीं होता है. अऊर अंधबिस्वास भी अजीब-अजीब तरह का पालता है लोग जिसका कोनो
सिर पैर नहीं होता है. अब बताइए कि दही खाकर काम करने से ऊ काम सफल होता है, त सफलता में दही का हाथ है कि अदमी के मेहनत का! करिया बिलाई
रस्ता काट दे त काम बिगड़ जाता है. अऊर कहीं बिलाइये का एक्सीडेण्ट हो जाए त कौन
दोसी. घर से निकलते कोई छींक दिया त काम खराब. अऊर काम अच्छा हो गया तब?
अब
केतना गिनाया जाए. जेतना समाज, ओतना
अंधबिस्वास. कहाँ से सुरू हुआ, अऊर कब
से चला आ रहा है ई सब, कोई
नहीं जानता है. अब देखिए न, हम जोन
अपार्टमेंट में रहते हैं, उसमें
फ्लैट नं. 420 का नम्बर मिटा के भाई लोग 421 बना दिया है. अब सोचिए त, नम्बर 420 होने
से अदमी दू नम्बरी हो जाता है का? बाकी
मन का भरम का कोनो ईलाज नहीं.
नम्बर से एगो अऊर
बात याद आ गया. होस्पिटल में कभी देखे हैं 13 नम्बर बेड नहीं होता है. अरे भाई तेरह नम्बर का पावर एतना तगड़ा हो गया कि
डाक्टर का काबलियत भी हार जाता है! कमाल है!! अब इम्तेहान में रोल नम्बर 13 हो गया, त पढाइए छोड़ कर बईठ थोड़े जाता है अदमी. बाबा नानक देव त 13 के नम्बर से समर्पन का दर्सन सिखा गये दुनिया को.
अब एगो मजेदार बात बताते हैं. सायद बहुत सा लोग को मालूम होगा. बाकी जो लोग नहीं जानता है उनको बताते हैं. चंडीगढ शहर में बहुत सेक्टर है, लेकिन 13 नम्बर सेक्टर नहीं है. इहो अंधबिस्वास का नतीजा है. लेकिन इसमें भी खूब सुंदर अंधबिस्वास छिपा है. जेतना सेक्टर है, उसका नम्बर एतना हिसाब से बइठाया हुआ है कि आप कोनो आमने सामने वाला दूगो सेक्टर का नम्बर जोड़िए त ऊ 13 का गुणक होगा. जैसे 44 सेक्टर का सामने 34 सेक्टर, दुनो का जोड़ हुआ 44+34=78 और 78= 13X6. अब एही फार्मूला सब सेक्टर के नम्बर पर लागू होता है. केतना खूबसूरत गणित है...चाहे खूबसूरत अंधबिस्वास. 13 नम्बर सेक्टर नहीं है, मगर सभे सेक्टर के बीच मौजूद है.
मगर आज
का तारीख के साथ बहुत सा ऐतिहासिक घटना भी जुड़ा हुआ है. आज ही के रोज नाना फड़नवीस
का निधन हुआ था जो पेशवा साम्राज्य में परभावसाली मंत्री थे अऊर आज भी भरत के
मेकाइवली के रूप में जाने जाते हैं. महान सितार वादक उस्ताद विलायत ख़ाँ का भी निधन
आज ही के रोज हुआ था. अऊर आज के दिन महान क्रांतिकारी ऊधम सिंह लंदन में एक सभा के
दौरान गवर्नर माइकल ओडवायर को
मारकर जालियाँवाला बाग के भीसन नरसन्हार का बदला लिये थे.
आइये
उन सब महान लोग को याद करते हुये हमरे तरफ से न तीन में न तेरह में... सॉरी न तेईस
में न चौबीस में यानि 2350
वाँ ब्लॉग बुलेटिन में
सामिल ब्लोग-पोस्ट का आनंद लें!!
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मंदिर को जाती सड़क
बेटियों की जिंदगी सहेजने के लिए विदेशी दूल्हों पर सख्ती जरूरी
तितली तेरे रंग
यादें
ताकि सनद रहे ( मेरे देश की पुलिस और उसके कानून ) डॉ लोक सेतिया
बेटी कल विदा होंगी
बरगद होने के बाद तुम समझोगे
विरह गीत
पेड़ और कविता
मरुधर में बोने सपने हैं
७९ साल पहले लिया गया था जलियाँवाला नरसंहार का प्रतिशोध
कुछ पैगाम भेजे हैं
चिट्ठाजगत और घर की बगल की गली का शोर एक सा हुआ जाता है
उसकी थकान - भगवत रावत
अस्माकं विद्यालय
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बहुत ही शानदार प्रस्तुति, सुंदर संकलन, खोज कर लाया गया मेटिरियलसब कुछ उम्दा से पेशतर वाह¡
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को ब्लॉग बुलेटिन में शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार ।
सभी रचनाकारों को बधाई ।
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंलाज़वाब प्रस्तुति...रोचक सूत्र..आभार
जवाब देंहटाएंजायका बदल जाते हैं जब भी सलिल जी आते हैं थोड़ा सा कंजूसी आने जाने में मगर कर ही जाते हैं। बधाई 2350 पर पहुँचने की ब्लॉग बुलेटिन टीम को और आभार 'उलूक' की बकबक को सम्मान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंविरह गीत नहीं मिल रहा है।
जवाब देंहटाएंBlog has been removed
Sorry, the blog at poetryanita.blogspot.com has been removed. This address is not available for new blogs.
@सुशील कुमार जोशी सर पोस्ट का लिंक सुधार दिया गया है ... अब लिंक खुल रहा है ... आभार आपका ध्यान दिलाने के लिए |
जवाब देंहटाएंसभी पाठकों और पूरी बुलेटिन टीम को 2350 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाइयाँ |
जवाब देंहटाएंऐसे ही स्नेह बनाए रखिए |
सलिल दादा को सादर प्रणाम |
बेहतरीन बुलेटिन प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंपूरी बुलेटिन टीम को 2350 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाइयाँ |
मुझे स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय
सादर
2350वीं पोस्ट !!बधाई .
जवाब देंहटाएंलाजवाब पेशकश !
जवाब देंहटाएंअनंत शुभकामनाएं व बधाईयाँ 2350 वे अंक के लिए
'बेटी कल विदा होगी' रचना को स्थान देने के लिए आभार .....सादर
13 न तेरा है, न मेरा है
जवाब देंहटाएंबस यहाँ भूतों का डेरा है।
शानदार प्रस्तुति सदा की तरह...!
वाह, जोरदार भूमिका और सुंदर सूत्रों का संकलन..बहुत बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन ... मेरी पोस्ट शामिल की आपने | आभार
जवाब देंहटाएंढेरो शुभकामनाएं बहुत ही सुंदर
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