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सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

एयरमेल हुआ १०८ साल का - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय  ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

वर्तमान में ई-मेल का जमाना है क्लिक करते ही संदेश एक स्थान से दूसरे तक पहुंच जाता है किंतु पिछले दशक तक लाल नीले स्ट्रिप बार्डर वाले पत्र की खास अहमियत थी और एयरमेल सेवा ही सबसे तेज थी। हार्ड कापी को जल्द से जल्द भेजने का माध्यम आज भी एयरमेल सेवा ही बनी हुई है जिसे शुरू हुए अब एक सौ आठ साल हो रहे हैं।
फ्रेंच पायलट हैनरी पिक्वइट ने पहला एयरमेल लेटरों के पैकेट को इलहाबाद से एयर लिफ्ट करके नैनी पहुंचाया था। इस पहली एयरमेल फ्लाइट के आयोजकों को भलीभांति आभास हो गया था कि वह एक इतिहास बनाने जा रहे हैं, इसी लिये इस लोक उपयोगी सेवा की शुरूआत को एक अन्य चेरिटी के काम से जोड़ते हुए शुरू किया। 18 फरवरी 1911 को हुई इस पहली फ्लाइट से भेजे गये पत्रो से हुई आय को बैंगलूर के ट्रिनिटी चर्च के एक हॉस्टल निर्माण के लिये दान कर दिया गया।
राइट्स बंधुओं के द्वारा पहली पावर फ्लाइट की कामयाबी के बाद महज सात साल बाद हुई इस ऐतिहासिक उडान में 6500 पत्र ले जाये गये थे जिनमें पं. मोतीलाल नेहरू द्वारा अपने पुत्र जवाहर लाल नेहरू को लिखे चर्चित खत के अलावा किंग जार्ज पंचम और नीदरलैंड की महारानी के नाम लिखे गये खत भी शामिल थे। 

हैनरी पर भी जारी हुआ था डाक टिकट 

 
सन 2011 मे विश्व की पहली एयरमेल सेवा के लिए इस्तेमाल होने वाले वायुयान को चलाने वाले फ्रेंच पाइलट हैनरी पिक्वट पर भी उनकी यादगार शुरूआत में साहसिक योगदान के लिए फ्रांस में एक स्पेशल पोस्टल स्टाप भी जारी किया गया था| 
 
सादर आपका

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देश-समाज के प्रति समर्पित लोगों को मिडिया में तवज्जो मिले

बस चुप हो देखिये

बेनाम-सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता ....

बेगूसराय में रंग-ए-माहौल

लघुकथा : ध्वज

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शहादत को नमन

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बदला लो

जलसेना विद्रोह (मुम्बई) - १८-२३ फ़रवरी सन् १९४६ की ७३ वीं वर्षगांठ

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अब आज्ञा दीजिए ... 

जय हिन्द !!! 

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका धन्यवाद शिवम् जी

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  2. रोचक जानकरी और सुंदर लिंक्स से सुसज्जित बुलेटिन। मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।

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