प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
बहुत समय पहले एक नगर में एक राजा था। एक दिन उसने
एक सर्वे करने का सोचा, जिससे कि यह पता चल सके कि उसके राज्य के लोगों की
घर गृहस्थि पति से चलती है या पत्नी से।
उसने एक ईनाम रखा कि "जिसके घर में पति का हुक्म चलता हो उसे मनपसंद घोडा़ ईनाम में मिलेगा और जिसके घर में पत्नि की सरकार हो वह एक सेब ले जाए।"
एक के बाद एक सभी नगरजन सेब उठाकर जाने लगे। राजा को चिंता होने लगी कि क्या मेरे राज्य में सभी सेब वाले ही हैं?
इतने में एक लम्बी-लम्बी मूछों वाला, मोटा तगडा़ और लाल-लाल आखों वाला जवान आया और बोला, "राजा जी मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है! लाओ घोडा़ मुझे दीजिये!"
राजा खुश हो गए और कहा, "जा अपना मनपसंद घोडा़ ले जा।"
जवान काला घोडा़ लेकर रवाना हो गया। घर गया और फिर थोडी़ देर में दरबार में वापिस लौट आया।
राजा: क्या हुआ? वापिस क्यों आये हो?
आदमी: महाराज, घरवाली कहती है काला रंग अशुभ होता है, सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है तो आप मुझे सफेद रंग का घोडा़ दीजिये!
राजा: घोडा़ रख और सेब लेकर निकल।
इसी तरह रात हो गई दरबार खाली हो गया लोग सेब लेकर चले गए।
आधी रात को महामंत्री ने राजा के कमरे का दरवाजा खटखटाया!
राजा: बोलो महामंत्री कैसे आना हुआ?
महामंत्री: महाराज आपने सेब और घोडा़ ईनाम में रखा, इसकी जगह एक मण अनाज या सोना रखा होता तो लोग कुछ दिन खा सकते थे या जेवर बना सकते थे।
राजा: मुझे तो ईनाम में यही रखना था लेकिन महारानी ने कहा कि सेब और घोडा़ ही ठीक है इसलिए वही रखा।
महामंत्री: महाराज आपके लिए सेब काट दूँ!
राजा को हँसी आ गई और पूछा, "यह सवाल तुम दरबार में या कल सुबह भी पूछ सकते थे। तो आधी रात को क्यों आये?"
महामंत्री: मेरी धर्मपत्नी ने कहा अभी जाओ और पूछ के आओ सच्ची घटना का पता चले।
राजा (बात काटकर): महामंत्री जी, सेब आप खुद ले लोगे या घर भेज दिया जाए।
शिक्षा: समाज चाहे कितना भी पुरुष प्रधान हो लेकिन संसार स्त्रीप्रधान है!
उसने एक ईनाम रखा कि "जिसके घर में पति का हुक्म चलता हो उसे मनपसंद घोडा़ ईनाम में मिलेगा और जिसके घर में पत्नि की सरकार हो वह एक सेब ले जाए।"
एक के बाद एक सभी नगरजन सेब उठाकर जाने लगे। राजा को चिंता होने लगी कि क्या मेरे राज्य में सभी सेब वाले ही हैं?
इतने में एक लम्बी-लम्बी मूछों वाला, मोटा तगडा़ और लाल-लाल आखों वाला जवान आया और बोला, "राजा जी मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है! लाओ घोडा़ मुझे दीजिये!"
राजा खुश हो गए और कहा, "जा अपना मनपसंद घोडा़ ले जा।"
जवान काला घोडा़ लेकर रवाना हो गया। घर गया और फिर थोडी़ देर में दरबार में वापिस लौट आया।
राजा: क्या हुआ? वापिस क्यों आये हो?
आदमी: महाराज, घरवाली कहती है काला रंग अशुभ होता है, सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है तो आप मुझे सफेद रंग का घोडा़ दीजिये!
राजा: घोडा़ रख और सेब लेकर निकल।
इसी तरह रात हो गई दरबार खाली हो गया लोग सेब लेकर चले गए।
आधी रात को महामंत्री ने राजा के कमरे का दरवाजा खटखटाया!
राजा: बोलो महामंत्री कैसे आना हुआ?
महामंत्री: महाराज आपने सेब और घोडा़ ईनाम में रखा, इसकी जगह एक मण अनाज या सोना रखा होता तो लोग कुछ दिन खा सकते थे या जेवर बना सकते थे।
राजा: मुझे तो ईनाम में यही रखना था लेकिन महारानी ने कहा कि सेब और घोडा़ ही ठीक है इसलिए वही रखा।
महामंत्री: महाराज आपके लिए सेब काट दूँ!
राजा को हँसी आ गई और पूछा, "यह सवाल तुम दरबार में या कल सुबह भी पूछ सकते थे। तो आधी रात को क्यों आये?"
महामंत्री: मेरी धर्मपत्नी ने कहा अभी जाओ और पूछ के आओ सच्ची घटना का पता चले।
राजा (बात काटकर): महामंत्री जी, सेब आप खुद ले लोगे या घर भेज दिया जाए।
शिक्षा: समाज चाहे कितना भी पुरुष प्रधान हो लेकिन संसार स्त्रीप्रधान है!
सादर आपका
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रावण द्वारा अपहरण से पहले ही सीता जी गायब
इंटरनेट और इंट्रानेट क्या है? इनमे क्या अंतर है?
कमलेश श्रीवास्तव की ग़ज़लें
चीज़ स्टिक.
#करवा चौथ
इच्छाएँ
करवाचौथ पर्व पुनीत प्रेम का
हर क्षण बदलता जीवन
हमको तो दीवाली की सफाई मार गई ---
अभयारण्य की देख भाल करने के लिए जरुरी है, जीवट, धैर्य व साहस
अतिथि तुम कब जाओगे?
आज कुछ हड्डी की बात थोड़ा चड्डी की बात कुछ कबड्डी की बात
इंतज़ार
फ़िल्म - 'बधाई हो'
साईकिल पर कोंकण यात्रा भाग ४: मलकापूर- आंबा घाट- लांजा- राजापूर (९४ किमी)
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
सहमत कि समाज चाहे कितना भी पुरुष प्रधान हो लेकिन संसार स्त्रीप्रधान है पर स्त्रियाँ मानने को कहाँ तैयार हैं। वैसे ये प्रश्न स्त्रियों के लिये होता तो राजा का अस्तबल खाली हो जाता और राजा बैठ कर सेब खाता। बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति और साथ में आभार 'उलूक' की कबड्डी को भी आज के अंक में जगह देने के लिये शिवम जी।
जवाब देंहटाएंबढ़िया ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका सादर आभार ।सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंhttps://mysayaribck.blogspot.com/2018/10/blog-post_24.html?m=1
जवाब देंहटाएंहमें शामिल करने के लिये आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार शिवम् जी
जवाब देंहटाएंसभी सेब वाले ही मिलते हैं अगर ऐसा नहीं तो गृहस्थी लड़खड़ाती रहेगी
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
very nice... Also visit - www.tipsreport.com
जवाब देंहटाएंरोचक लघु-कथा।घर में शांति चाहिए तो सेब वाला ही बनना पड़ता है। रोचक लिंक्स को आपने संकलित किया है। मेरी रचना को इस बुलेटिन में स्थान देने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसमस्त रचनाएं बेहतरीन हैं। मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार 🙏
जवाब देंहटाएं