पूजा मन की पवित्रता है, आडम्बर नहीं । ईश्वर भेदभाव नहीं करता, सच तो यही है कि वह फुटपाथ पर सोता है । वह कब किसकी झोली में आशीष बन आ जाए, कोई नहीं समझ सकता ।
आपके आगे कोई अजनबी भी आ जाए, हाथ बढ़ा दे तो उसे प्रसाद न देकर, आप किसी अपने को दें, तो वह पूजा व्यर्थ है । दुआएँ तभी फलती हैं, जब आपका मन, आपकी दृष्टि में भेदभाव ना हो । ईश्वर सब कुछ बारीकी से देखता है !
वाकई ईश्वर की नजर से कुछ भी नहीं छुपता..विचारणीय भूमिका के साथ सुंदर बुलेटिन..आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचनाओं का संकलन। मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया। मुकेश सिन्हा की कविता अत्यंत उल्लेखनीय।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंईश्वर सब कुछ बारीकी से देखता है ! इसीलिए शायद उसकी लाठी में भी आवाज नहीं होती !
जवाब देंहटाएंसच में ईश्वर सब कुछ बारीकी से देखता है !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बुलेटिन।
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