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गुरुवार, 23 अगस्त 2018

छाता और आत्मविश्वास

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

छाता बारिश को तो नहीं रोक सकता परन्तु बारिश में खड़े रहने का हौसला अवश्य देता है।
इसी प्रकार आत्मविश्वास सफलता को सुनिश्चित तो नहीं करता परन्तु सफलता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा अवश्य देता है।

सादर आपका 
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समय के पदचिन्ह...

बारौठी , एक हरियाणवी रिवाज़ जो अब लुप्त हो गई है ---

बत्तीस साल बहुत से सवालों की उम्र होती है...

झील सी गहरी आँखें

भारतीय पत्रकारिता के कुलदीप रहे हैं , कुलदीप नैय्यर

पाया परस जब नेह का

वो आँखें

कुलदीप नैयर - एक क़द का उठ जाना

नकारात्मक खबरें और बढ़ता ‘आप’ का क्षरण

कुछ यूं ही

दो निर्णय

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

7 टिप्‍पणियां:

  1. क्या करे आदमी बारिश अगर करने लगें छातायें भी :) । सुन्दर बुलेटिन शिवम जी।

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  2. आत्मविश्वास एक और बात भी करता है, वह जीवन को संघर्ष से खेल में बदल देता है..सुंदर सूत्रों से सजा बुलेटिन..आभार !

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  3. बहुत सुन्दर सार्थक सूत्र आज के बुलेटिन में ! मेरी रचना, "वो आँखें" को आज के बुलेटिन में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शिवम् जी ! सस्नेह वन्दे !

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  4. क्या खूब रंग सजाये हैं ब्लॉग बुलेटिन में ..!
    धन्यवाद्

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  5. मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए धन्यवाद |

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  6. उम्दा बुलेटीन|मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
    |

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