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रविवार, 19 अगस्त 2018

परमात्मा को धोखा कैसे दोगे ? - ओशो

 
सम्राट सोलोमन के जीवन में कथा है। एक रानी उसके प्रेम में थी और वह उसकी परीक्षा करना चाहती थी कि सच में वह इतना बुद्धिमानं है जितना लोग कहते हैं? अगर है, तो ही उससे विवाह करना है। तो वह आई। उसने कई परीक्षाएं लीं। वे परीक्षाएं बड़ी महत्वपूर्ण हैं।

उसमें एक परीक्षा यह भी थी-वह आई एक दिन, राज दरबार में दूर खड़ी हो गई। हाथ में वह दो गुलदस्ते, फूलों के गुलदस्ते लाई थी। और उसने सोलोमन से कहा दूर से कि इनमें कौन से असली फूल हैं, बता दो। बड़ा मुश्किल था। फासला काफी था। वह उस छोर पर खड़ी थी राज दरबार के। फूल बिलकुल एक जैसे लग रहे थे।

सोलोमन ने अपने दरबारियों को कहा कि सारी खिड़कियां और द्वार खोल दो। खिड़कियां और द्वार खोल दिए गए। न तो दरबारी समझे और न वह रानी समझी कि द्वार-दरवाजे खोलने से क्या संबंध है। रानी ने सोचा कि शायद रोशनी कम है, इसलिए रोशनी की फिकर कर रहा है, कोई हर्जा नहीं। लेकिन सोलोमन कुछ और फिकर कर रहा था। जल्दी ही उसने बता दिया कि कौन से असली फूल हैं, कौन से नकली। क्योंकि एक मधुमक्खी भीतर आ गई बगीचे से और वह जो असली फूल थे उन पर जाकर बैठ गई। न दरबारियों को पता चला, न उस रानी को पता चला।

वह कहने लगी, कैसे आपने पहचाना? सोलोमन ने कहा, तुम मुझे धोखा दे सकती हो, लेकिन एक मधुमक्खी को नहीं।

एक छोटी सी मधुमक्खी को धोखा देना मुश्किल है, तुम तो परमात्मा को भी धोखा देना चाहते हो। परमात्मा को कैसे धोखा दोगे?
🌹ओशो 🌹

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हिन्दी की लोकप्रिय पत्रिका 'उदंती' में प्रकाशित अशोक चक्र विजेता मेजर अरुण जसरोटिया को दी गई श्रद्धांजलि स्वरूप मेरा लिखा एक संस्मरण -----

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10 टिप्‍पणियां:

  1. नमन ओशो! बहुत प्यारी कथा है और ओशो के श्रीमुख से सुनी है!

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  2. काफी से बेहतर प्रस्तुति
    सादर

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  3. सुंदर प्रस्तुति बेहतरीन रचनाएं

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  4. अच्छी कथा एवम मज़ेदार लेखन।

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  5. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

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  6. सुंदर प्रस्तुति...
    मेरी रचना 'इतवार- एक लघु कथा' को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार आपका

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  7. अच्छी कथा एवम बहुत बढ़िया बुलेटिन |

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  8. देवकुमार जी, आपका बहुत बहुत आभार, मेरी ब्‍लॉगपोस्‍ट को इस संकलन में शामिल करने के लिए ।

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