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मंगलवार, 24 जुलाई 2018

सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाविद प्रोफ़ेसर यशपाल की प्रथम पुण्यतिथि : ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार मित्रो,
आज देश के मशहूर वैज्ञानिक और शिक्षाविद प्रोफ़ेसर यशपाल की प्रथम पुण्यतिथि है. देश की वैज्ञानिक प्रतिभाओं को निखारने में उनका विशेष योगदान माना जाता है. उनका जन्म 26 नवम्बर 1926 को झांग, वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक शहर, नामक स्थान पर हुआ था. उन्होंने 1949 में पंजाब विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान से अपना स्नातक पूर्ण किया था। इसके बाद उन्होंने 1958 में मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेकनोलॉजी से भौतिक विज्ञान में ही पीएचडी की. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च से जुड़कर उन्होंने अपने कैरियर का आरम्भ किया. वे कॉस्मिक रे समूह के सदस्य के रूप में इस संस्था से जुड़े थे.


सन 1973 में भारत सरकार ने उन्हें स्पेस एप्लीकेशन सेंटर का पहला डॉयरेक्टर नियुक्त किया. 1983-1984 में वे योजना आयोग के मुख्य सलाहकार रहे. सन 1986 से सन 1991 तक वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष तथा सन 2007 से सन 2012 तक जेएनयू के कुलपति रहे. इसके अलावा वे विज्ञान व तकनीकी विभाग में सचिव पद पर भी कार्यरत रहे. इन कार्यों के अतिरिक्त उन्होंने दूरदर्शन पर टर्निंग पॉइंट नामक एक वैज्ञानिक कार्यक्रम का सञ्चालन भी किया था.

शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा. वर्ष 1992 में भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक राष्‍ट्रीय सलाहकार समिति बनाई. इसमें देश भर के आठ शिक्षाविदों को शामिल किया गया. प्रोफेसर यशपाल को इस समिति का अध्‍यक्ष बनाया गया. इस समिति को इस पर विचार करना था कि शिक्षा के सभी स्‍तरों पर विद्यार्थियों, विशेषकर छोटी कक्षा के विद्यार्थियों, पर पढ़ाई के दौरान पड़ने वाले बोझ को कैसे कम किया जाए, साथ ही शिक्षा की गुणवत्‍ता में कैसे सुधार लाया जाए. समिति ने अपने स्तर से अभिभावकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों तथा शिक्षा में रुचि रखने वाले अन्‍य व्‍यक्तियों से विभिन्‍न माध्‍यमों से संपर्क किया गया. इन सभी से प्राप्‍त मतों, विचारों, सुझावों आदि के आधार पर समिति ने जुलाई 1993 में सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी. समिति ने शिक्षा की तमाम मुश्किलों की जाँचते-परखते हुए लिखा कि बच्‍चों के लिए स्‍कूली बस्‍ते के बोझ से ज्‍यादा बुरा है न समझ पाने का बोझ. स्‍कूलों के उस समय के माहौल और मुश्किलों का बड़े पैमाने पर विश्‍लेषण करते हुए यशपाल समिति ने महत्‍वपूर्ण सिफारिशें दी थीं, जिन्हें स्वीकारने का विश्वास सरकार ने दिखाया था. बाद में सन 2005 में प्रोफेसर यशपाल की अध्‍यक्षता में ही राष्‍ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा बनाने के लिए एक राष्‍ट्रीय संचालन समिति का गठन किया गया. इस समिति में 38 सदस्‍य थे. इस समिति ने पाठ्यचर्या की रूपरेखा बनाते समय प्रोफेसर यशपाल की सिफारिशों को ध्‍यान में रखा.

उनकी उपलब्धियों का सम्मान करते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया. उन्हें सन 1976 में पद्म भूषण तथा सन 2013 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया. वर्ष 2009 में यूनेस्को ने उन्हें विज्ञान को बढ़ावा देने और उसे लोकप्रिय बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने के कारण कलिंग सम्मान से सम्मानित किया. शिक्षा क्षेत्र में व्यापक धरातलीय कार्य करने वाले प्रोफ़ेसर यशपाल जी की मृत्यु 24 जुलाई 2017 को नोएडा उत्तर प्रदेश में हुई.

बुलेटिन परिवार की तरफ से उन्हें सादर नमन.

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4 टिप्‍पणियां:

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