प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
पत्नी: मैं आठ दिनों के लिए मायके जा रही हूँ। मुझे मालूम है कि तुम्हें खाना बनाना नहीं आता और रात का खाना तुम्हें ताजा और गर्म चाहिए। इसीलिए मैंने अपनी सहेली स्वाति को बोल दिया है कि, वो रात में आकर खाना बना दिया करे। अगर रात में उसे देर हो गई तो वो यहीं रह जाएगी और सुबह तुम्हारा चाय, नाश्ता और टिफिन बनाकर ही अपने घर जाएगी।
इसी प्रकार अगर कभी बोरियत महसूस करो तो, सामने बिल्डिंग में रहने वाली स्मिता को फोन करना, वो आ जाएगी गप्पें मारने, मैंने उसे भी बोल दिया है, वैसे तो वो खुद के घर में एक काम नहीं करती, यहाँ आकर तुम्हें कंपनी तो देगी।
मैं नहीं हूँ सोचकर रोज भी पियोगे तो प्रॉब्लम नहीं है, भैया ने तुम्हें जो स्कॉच व्हिस्की की बॉटल दिए थे, वो टीवी के पास ही रखी है। कंपनी देने के लिए पड़ोसी शर्मा जी और भाभी को बुला लेना, वैसे तो वो मियाँ-बीवी रस्ता ही देखते रहते हैं, बुलावे का, लेकिन तुम लिमिट में ही पीना।
ऐसी बीवी हिमालय पर दस साल तपस्या करने के बाद भी नहीं मिलती!
सपने हैं सपनो का क्या?
इसी प्रकार अगर कभी बोरियत महसूस करो तो, सामने बिल्डिंग में रहने वाली स्मिता को फोन करना, वो आ जाएगी गप्पें मारने, मैंने उसे भी बोल दिया है, वैसे तो वो खुद के घर में एक काम नहीं करती, यहाँ आकर तुम्हें कंपनी तो देगी।
मैं नहीं हूँ सोचकर रोज भी पियोगे तो प्रॉब्लम नहीं है, भैया ने तुम्हें जो स्कॉच व्हिस्की की बॉटल दिए थे, वो टीवी के पास ही रखी है। कंपनी देने के लिए पड़ोसी शर्मा जी और भाभी को बुला लेना, वैसे तो वो मियाँ-बीवी रस्ता ही देखते रहते हैं, बुलावे का, लेकिन तुम लिमिट में ही पीना।
ऐसी बीवी हिमालय पर दस साल तपस्या करने के बाद भी नहीं मिलती!
सपने हैं सपनो का क्या?
सादर आपका
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फूफा जी का डांस
मुक्त सदा जो मन तनाव से
सुनो...
सफ़ेद मछली
आईने में दरार पड़ चुकी है
व्यथा
दहलीज़ पर कालिदास
छठवांवेद ---------mangopeople
दशरथ मांझी की राह चला एक और मांझी
डर है तो इंसान है , वर्ना हैवान है ...
अंतिम विदा
सेना और राष्ट्र का गौरव खंडित हुआ कश्मीर में सीज फॉयर से
Meenakshi Temple , Madurai
संविधान ...खतरे में।।
९ वीं बरसी पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
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अब आज्ञा दीजिए ...
जय हिन्द !!!
मेरी पोस्ट ब्लॉग बुलेटिन में शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्र आज के बुलेटिन में ! मेरी रचना को आज के बुलेटिन में शामिल करने के किये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्य्वादेवं आभार शिवम् जी !
जवाब देंहटाएं😆
जवाब देंहटाएंसुन्दर बुलेटिन
जवाब देंहटाएंरोचक भूमिका..सपने तो सपने ही होते हैं..यानि टूटने के लिए ही..पठनीय सूत्रों से सजा बुलेटिन..आभार मुझे भी इसका हिस्सा बनाने के लिए
जवाब देंहटाएंमेरी ब्लॉग पोस्ट बुलेटिन में समिल्लित करने हेतु आभार!
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