नमस्कार
साथियो,
आपातकाल
के लिए 25 जून को याद किया जाता है. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा
गाँधी ने भले ही आपातकाल की नींव 25 जून 1975 की रात्रि को रखी हो किन्तु इसका असर
अगले दिन यानि 26 जून 1975 से दिखाई
देना शुरू हुआ था. इसी दिन सुबह छह बजे इंदिरा गाँधी ने सभी मंत्रियों को बैठक के लिए
बुलाया. बैठक के तुरंत बाद ही उन्होंने रेडियो पर अपने भाषण के द्वारा आपातकाल
लगाये जाने की जानकारी देश को दी. उस समय फ़ख़रुद्दीन अली अहमद देश के राष्ट्रपति
थे. कैबिनेट की बैठक में आपातकाल के प्रस्ताव को स्वीकृति मिल चुकी थी. उस पर अंतिम
मुहर राष्ट्रपति को लगानी थी. इंदिरा और सिद्धार्थ शंकर ने राष्ट्रपति भवन पहुँच
राष्ट्रपति को देश के हालात के बारे में अवगत कराया और आपातकाल की उपयोगिता बताई.
इसके बाद राष्ट्रपति ने इंदिरा गांधी के कहने पर भारतीय संविधान की धारा 352 के तहत आपातकाल की घोषणा कर दी. यह अपने आपमें विचित्र स्थिति है कि आपातकाल
की घोषणा रेडियो पर पहले कर दी गई बाद में उस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए थे. आपातकाल
के बाद देश भर में गिरफ़्तारियों का दौर शुरू हुआ. खास बात यह रही कि महज तीन नेताओं
की गिरफ़्तारी की इजाजत नहीं दी गई थी. ये तीन नेता तमिलनाडु के कामराज, बिहार के जयप्रकाश नारायण के साथी गंगासरन सिन्हा और पुणे के एसएम जोशी
थे.
इंदिरा
गाँधी ने आपातकाल का सहारा लेकर राजनैतिक विरोधियों को नियंत्रण में लेने का
प्रयास किया. स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद काल रहा. आपातकाल में
चुनाव स्थगित हो गए थे. नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई. इंदिरा गांधी
के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया. प्रेस को प्रतिबंधित कर दिया गया था. उनके
बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया. जयप्रकाश
नारायण ने इसे भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि कहा था. आपातकाल लागू करने
के बाद इंदिरा गाँधी के राजनैतिक विरोधी और अधिक सक्रिय हो गए. विरोध की लगातार
बढ़ती तीव्रता के कारण लगभग दो साल बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकसभा
भंग कर चुनाव कराने की सिफारिश कर दी. चुनाव में आपातकाल लागू करने का फ़ैसला कांग्रेस
के लिए घातक साबित हुआ. इंदिरा गांधी अपने गढ़ रायबरेली से चुनाव हार गईं. संसद में
कांग्रेस 153 पर सिमट गई और केंद्र में किसी ग़ैर कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ. जनता
पार्टी भारी बहुमत से सत्ता में आई और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने. कांग्रेस को
उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में एक भी सीट नहीं मिली. नई सरकार ने आपातकाल के दौरान
लिए गए फ़ैसलों की जाँच के लिए शाह आयोग का गठन किया.
देश
में यह पहली स्थिति नहीं थी जबकि आपातकाल लगाया गया हो. देश ने 1962 में चीन के साथ एवं 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध
के दौरान आपातकाल का सहा था. देश में आंतरिक अशांति का खतरा होने पर, किसी बाहरी देश के आक्रमण होने पर अथवा वित्तीय संकट की स्थिति दिखाई देने
पर आपातकाल लगाया जा सकता है. इंदिरा गाँधी द्वारा आंतरिक अशांति के नाम पर अनुच्छेद
352 का सहारा लेकर 25 जून 1975 की मध्यरात्रि
जो आपातकाल लगाया गया वह 21 मार्च 1977 तक लागू रहा. यह विशुद्ध राजनैतिक हथकंडा था और यह लोकतान्त्रिक तानाशाही
का सशक्त उदाहरण बनकर सामने आया.
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शुभ संध्या राजा साहब
जवाब देंहटाएंशानदार बुलेटिन
आभार
सादर
बहुत जरूरी है इस काल में आपातकाल को याद करना। बहुत सुन्दर बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंकाले दिन की यादों को भूलना आसान नहीं होगा जनता के लिए ...
जवाब देंहटाएंआज के दिन मेरी ग़ज़ल को बुलेटिन में शामिल करने का शुक्रिया ....
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
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