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गुरुवार, 21 जून 2018

अफीम सा नशा बन रहा है सोशल मीडिया

आजकल फोटोग्राफी लगभग हर किसी का शौक हो चला है... लगभग हर किसी की जेब में दस, बारह या फिर सोलह या फिर उससे भी ज्यादा मेगापिक्सल वाले मोबाइल कैमरे होते हैं... अलग अलग सॉफ्टवेयर आपके फोटो को बेहतर बनाते हैं.. फिर फोटोशॉप जैसे एप्पलीकेशन जो किसी भी दृश्य को ऐसा बनाने में सक्षम हैं जो आप कल्पना भी न कर सकें... कैमरे को वह दिखता है जो आपकी आँख को नहीं दिखता.. सो कैमरे के बाजीगर आपकी इसी कल्पना से खेलते हैं... फिल्मों में वर्चुअल ग्राफिक्स का एक नया दौर है.. स्क्रीन में कम्प्यूटर पर बैठे बैठे मल्टीपल लेयर्स के काल्पनिक सीन बनाए जा सकते हैं, दिन को रात और सूरज को चंद्रमा या फिर कैमरे की बाजीगरी से किसी टिमटिमाते हुए तारे के समान बनाया जा सकता है... इतना सब होने के बावजूद एक बात तो है कि आज भी बहुतायत लोग ओरिजनल फोटो या फिर रियलिस्टिक फोटो को ही पसन्द करते हैं। फोटोग्राफी में नए नए प्रोस्पेक्टिव बनाए जाते हैं, हर फोटोग्राफर अपने फोटो में नित नए प्रयोग कर खुद को अलग दिखाने का प्रयास करता है और इसमें वह खतरा लेने से नहीं चूकता.. केरल के एक फोटोग्राफर का एक फोटो बड़ा वायरल हुआ जिसमें उसने बन्दर की तरह पेड़ से लटक कर नए शादीशुदा जोड़े का फोटो लिया था... अब लोग खतरा उठाकर भी अलग दिखने/दिखाने के चक्कर में लगे हुए हैं..

मित्रों इस दुनिया में सेल्फी लेने की एक नया चलन चल पड़ा है.. सेल्फी स्टिक ने इस काम को काफी आसान किया है... लेकिन यदि आंकड़ों पर गौर किया जाए तो विश्व में सबसे अधिक सेल्फी डेथ भारत में ही होती हैं... पहाड़ी के सिरे पर झूलते हुए सेल्फी लेने का प्रयास, साँप को हाथ में लेकर सेल्फी लेने का प्रयास... एक ने तो स्काई डायविंग में पैराशूट खोलने की जगह सेल्फी लेने के चक्कर में बर्बाद किया... एक ने नई कार ली और हाइवे पर स्पीडोमीटर के साथ खुद की सेल्फी लेने के चक्कर में एक्सीडेंट कर जीवन समाप्त किया... अजीब है लेकिन यह सब सत्य है... 

लेकिन ऐसा क्यों है? ह्यूमन सायकोलोजी के विशेषज्ञों का मानना है कि आजकल हर युवा एक प्रकार के सिंड्रोम से गुज़र रहा है और यह किसी नशे की तरह है.. यह सिंड्रोम सोशल मीडिया की लत को किसी शराब/ सिगरेट या फिर अफीम गांजे की ही समान लत तक लेकर जाता है.. किसी के कितने फालोवर और किसी के कितने लाइक/शेयर की ही मारामारी है और लोग आभासी दुनिया में इतने फंसे कि असली दुनिया ही भूल गए... फालोवर्स बढ़ाने के चक्कर में लोगों ने जान/पहचान छोड़ किसी को भी फ्रेंड लिस्ट में जोड़ रखा है और इस कारण सेलिब्रेटी बनने के चक्कर में आपराधिक तत्वों को भी आपकी गतिविधि पर नज़र रखने का मौका दिया है। यहाँ अमेरिका में एक पूरा परिवार फेसबुक पर फोटो लगाता है और एक बीच पर चेक-इन करता है कि एंजोयिंग ऑन बीच.. पीछे से चोर घर साफ कर देते हैं... चौंकिए मत ऐसा आपके साथ भी हो सकता है...
क्या करें?

सोशल मीडिया का इस्तेमाल किसी कम्युनिकेशन मीडियम की तरह कीजिए, केवल अपने मित्रों को जोड़िये उनके साथ अपने फोटो शेयर कीजिए, विचार/विमर्श कीजिए... अलग अलग ग्रुप में कॉन्टैक्टस को ग्रुप कर लीजिए और क्या किससे साझा करना है को खुद कंट्रोल कीजिए... थोड़ा सतर्क और सावधान रहिए.. फैमिली समय को फैमिली के लिए रखिए.. सेल्फी लेने के चक्कर में पगलाईए मत.. जीवन अनमोल है.. जीवन की कदर कीजिए.. 
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7 टिप्‍पणियां:

  1. सही विश्लेषण। सुन्दर प्रस्तुति।

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  2. सच सोशल मीडिया का नशा किसी भी नशे से कम नहीं है
    बहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति के साथ बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति

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  3. सटीक विश्लेषण किया है आपने. आजकल युवाओं में इसका बहुत प्रभाव है.

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  4. ekdum sahi baat hai ajkal social media ek nasha ban chuka hai.
    wasim recently poted.APM SEO ke jaruri kyu hai

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