नमस्कार
दोस्तो,
आज
12 जून है और यह दिन विश्व बालश्रम निषेध दिवस के रूप
में मनाया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा समाज में बालश्रम निषेध को लेकर जागरूकता लाने के
लिए सन 2002 से इस दिवस को मनाये जाने की शुरूआत की गई. भारत
में बालश्रम की समस्या को देखते हुए भारत सरकार ने इसे समाप्त करने को क़दम उठाए हैं.
भारतीय संविधान के द्वारा खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाया
गया है. केंद्र सरकार की ओर से सन 1986 में बालश्रम निषेध
और नियमन अधिनियम पारित भी किया गया. इसके अनुसार खतरनाक उद्योगों में बच्चों की
नियुक्ति निषिद्ध है. इसके अलावा सन 1987 में राष्ट्रीय बालश्रम
नीति भी बनाई गई. भारतवर्ष में बच्चों को ईश्वर का रूप मानने के बाद भी वर्तमान
परिदृश्य भिन्न है. ग़रीब बच्चे शोषण का शिकार हो रहे हैं. वे स्कूल छोड़कर बालश्रम
हेतु मजबूर हैं. इससे बच्चों का मानसिक, शारीरिक, आत्मिक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास प्रभावित होता है.
इसी कारण से बालश्रम को मानवाधिकारों का उल्लंघन माना जाता है. इसके बाद भी आज घरेलू
नौकर, होटलों, कारखानों, सेवा-केन्द्रों,
दुकानों आदि में बच्चों को काम करते देखा जा सकता है. इनके अलावा कूड़ा
बीनना, पॉलीथीन उठाना आदि अनेक कार्य हैं जिनके द्वारा बच्चे
अपने बचपन के बजाय नरक जी रहे होते हैं. ऐसे कार्यों से वे अपने परिवार का पेट पालते
हैं. ऐसे कामों में लम्बे समय तक संलिप्त रहने के कारण ये धीरे-धीरे नशे का,
यौन शोषण का शिकार होने लगते हैं.
पिछले
कुछ वर्षों से भारत सरकार एवं राज्य सरकारों की पहल इस दिशा में सराहनीय है. बच्चों
के उत्थान के लिए अनेक योजनाओं को प्रारंभ किया गया है, जिससे
बच्चों के जीवन और शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव दिखे. शिक्षा का अधिकार भी इस दिशा में
एक सराहनीय कदम है. भारतीय संविधान ने अधिकारों और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांत
की विभिन्न धाराओं के माध्यम से व्यवस्था की है कि
चौदह साल के कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्टरी या खदान में काम करने के
लिए नियुक्त नहीं किया जायेगा और न ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जायेगा
(धारा 24)
राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करेंगे कि श्रमिकों, पुरुषों और महिलाओं का स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरक्षित रह सके और बच्चों
की कम उम्र का शोषण न हो तथा वे अपनी उम्र व शक्ति के प्रतिकूल काम में आर्थिक आवश्यकताओं
की पूर्ति के लिए प्रवेश करें (धारा 39-ई)
बच्चों को स्वस्थ तरीके से स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में विकास के अवसर
तथा सुविधाएं दी जायेंगी और बचपन व जवानी को नैतिक व भौतिक दुरुपयोग से बचाया जायेगा
(धारा 39-एफ)
संविधान लागू होने के 10 साल के भीतर राज्य 14 वर्ष तक की उम्र के सभी बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रयास
करेंगे (धारा 45)
इसके
बावजूद बालश्रम की समस्या अभी भी एक विकट समस्या के रूप में विराजमान है. हम सभी
को मिलकर प्रयास करने चाहिए कि देश की भावी पीढ़ी का बहुत बड़ा भाग इस तरह खुद को
अंधकारमय जीवन में धकेलने को मजबूर न हो. उनकी शिक्षा, उनके जीवन-यापन के उचित
प्रबंधन के लिए सरकारों को बराबर सक्रिय बनाये रखने के लिए हम सबको भी सजग, सक्रिय
रहना होगा. इस कामना के साथ कि हम बालश्रम को बढ़ावा नहीं देंगे, बालश्रम का समर्थन
नहीं करेंगे, अपने आसपास बालश्रम नहीं होने देंगे बढ़ते हैं आज की बुलेटिन की तरफ.
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वाह.....
जवाब देंहटाएंशुभ मध्यान्ह
बेहतरीन वुलेटिन
ज्वलन्त मुद्दे के साथ
आभार
सादर
बहुत अच्छी प्रस्तुति और बुलेटिन प्रस्तुति, धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंइस ज्वलन्त मुद्दे को उठाने के लिए आपका आभार, राजा साहब |
जवाब देंहटाएंबाल श्रम पर ध्यान देने की आवश्यकता है , आभार आपका !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं'किस्सा एक लोकर का' शामिल करने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदेर से पहुंचने के लिये माफ़ी.... लिंक शामिल करने के लिये शुक्रिया :)
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