प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज आप सब की ख़िदमत में एक खूबसूरत सा शे'र पेश है ... मुलाहिजा फरमाए ...
प्रणाम |
आज आप सब की ख़िदमत में एक खूबसूरत सा शे'र पेश है ... मुलाहिजा फरमाए ...
नोंक है ये समय, बुलबुला जान है;
बीच में ख़ौफ है, जिन्दगी नाम है!"
- अज्ञात
सादर आपका
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♥सीलन...
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
खूबसूरत भी और डरावना भी जो भी कह लो शेर लाजवाब है और बुलेटिन हमेशा की तरह सुन्दर। आभार है 'उलूक' के सूत्र को भी आज के सूत्रों में जगह देने के लिये शिवम जी।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन बुलेटिन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
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