सभी हिंदी ब्लॉगर्स को नमस्कार।
23 मई को संपूर्ण विश्व में विश्व कछुआ दिवस (World Turtle Day) मनाया जाता है। यह दिवस कछुओं की दुर्लभ प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने के लिए लोगों में जागरूकता हेतु मनाया जाता है। कछुओं की प्रजाति विश्व की सबसे पुरानी जीवित प्रजातियों में से एक मानी जाती है। ये प्राचीन प्रजातियों स्तनधारियों, चिड़ियों सांपों और छिपकलियों से भी पहले धरती पर अस्तित्व में आ चुके थे। जीव-वैज्ञानिकों के अनुसार कछुए इतने लंबे समय तक सिर्फ इस लिए खुद को बचा सके क्योंकि उनका कवच उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है। अंटार्कटिका को छोड़कर ये लगभग सभी महाद्वीपों में पाए जाते हैं। बोग कछुए जो कि लंबाई में 4 इंच के होते हैं, सबसे छोटे कछुए होते हैं। भारत में असम राज्य के जिला दीमा हसाओं में स्थित हेजोंग झील (जिसे कछुआ झील के नाम से पुकारा जाता है) में लगभग 400-500 कछुए निवास करते हैं।
कछुआ धीरे –धीरे विलुप्त होने की कगार पर है, यदि इनके प्रति लोगों में जागरूकता नही फैलायी गयी तो यह प्रजाति पूरी तरह से ख़त्म हो सकती है। कछुओं की प्रजाति विश्व की सबसे पुरानी जीवित प्रजातियों (लगभग 200 मिलियन वर्ष) में से एक मानी जाती है और ये प्राचीन प्रजातियां स्तनधारियों, चिड़ियों ,सांपों और छिपकलियों से भी पहले धरती पर अस्तित्व में आ चुके थे। जीववैज्ञानिकों के मुताबिक, कछुए इतने लंबे समय तक सिर्फ इसलिए खुद को बचा सके क्योंकि उनका कवच उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है। आईये एक संकल्प लें दुनिया की प्राचीन प्रजाति को बिलुप्त होने से बचाने का, इनके संरक्षण का। अपने आसपास के तालाबों, नदियों, जंगलों में इन्हें सुरक्षित रहने दें।
23 मई को संपूर्ण विश्व में विश्व कछुआ दिवस (World Turtle Day) मनाया जाता है। यह दिवस कछुओं की दुर्लभ प्रजातियों को लुप्त होने से बचाने के लिए लोगों में जागरूकता हेतु मनाया जाता है। कछुओं की प्रजाति विश्व की सबसे पुरानी जीवित प्रजातियों में से एक मानी जाती है। ये प्राचीन प्रजातियों स्तनधारियों, चिड़ियों सांपों और छिपकलियों से भी पहले धरती पर अस्तित्व में आ चुके थे। जीव-वैज्ञानिकों के अनुसार कछुए इतने लंबे समय तक सिर्फ इस लिए खुद को बचा सके क्योंकि उनका कवच उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है। अंटार्कटिका को छोड़कर ये लगभग सभी महाद्वीपों में पाए जाते हैं। बोग कछुए जो कि लंबाई में 4 इंच के होते हैं, सबसे छोटे कछुए होते हैं। भारत में असम राज्य के जिला दीमा हसाओं में स्थित हेजोंग झील (जिसे कछुआ झील के नाम से पुकारा जाता है) में लगभग 400-500 कछुए निवास करते हैं।
कछुआ धीरे –धीरे विलुप्त होने की कगार पर है, यदि इनके प्रति लोगों में जागरूकता नही फैलायी गयी तो यह प्रजाति पूरी तरह से ख़त्म हो सकती है। कछुओं की प्रजाति विश्व की सबसे पुरानी जीवित प्रजातियों (लगभग 200 मिलियन वर्ष) में से एक मानी जाती है और ये प्राचीन प्रजातियां स्तनधारियों, चिड़ियों ,सांपों और छिपकलियों से भी पहले धरती पर अस्तित्व में आ चुके थे। जीववैज्ञानिकों के मुताबिक, कछुए इतने लंबे समय तक सिर्फ इसलिए खुद को बचा सके क्योंकि उनका कवच उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है। आईये एक संकल्प लें दुनिया की प्राचीन प्रजाति को बिलुप्त होने से बचाने का, इनके संरक्षण का। अपने आसपास के तालाबों, नदियों, जंगलों में इन्हें सुरक्षित रहने दें।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
पता ही नहीं था कि विश्व कछुआ दिवस भी होता है...बढ़िया जानकारी,बेहतरीन बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंमुझे नहीं मालूम था कछुआ दिवस भी होता है। शुक्रिया। मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंविश्व कछुआ दिवस पर सटीक जानकारी के साथ वैचारिक सूत्रों से सजा ब्लॉग बुलेटिन असरदार है. मेरी रचना को स्थान देने के लिये आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर कछुवा दिवस बुलेटिन।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंविश्व कछुआ दिवस पर रोचक जानकारी, पठनीय रचनाओं के सूत्र देता सुंदर बुलेटिन, आभार!
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! नई जानकारी उपलब्ध कराता सारगर्भित बुलेटिन ! मेरी रचना 'सियासी खेल' को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से आभार हर्षवर्धन जी !
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