स्वयं को रुद्राक्ष बना लो अपनी सोच में
शिव की शिला सी बांहों में बांध दो खुद को
विष के हर प्याले को रिक्त कर दो
आत्मा की सात्विक सतह पर करो तांडव
और फिर ॐ की ध्वनि प्रतिध्वनि में
स्वयं को छोड़ दो
फिर शिव तुम, तुम शिव
सत्य और सुंदर तुम्हारा हर आगत
"मेरा मन": अब नहीं होता बर्दाश्त,...
...
वाह!
जवाब देंहटाएंThnk u so much mam..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं