सभी हिन्दी ब्लॉगर्स को सादर नमस्कार।
ललिता पवार (अंग्रेज़ी: Lalita Pawar, जन्म- 18 अप्रैल, 1916; मृत्यु- 24 फ़रवरी, 1998) हिन्दी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री थीं। जिन्होंने अभिनय की यात्रा का सात दशक लंबा सफर तय किया। भारतीय नारी का जीवन जीते हुए एक संजीदा कलाकार जिन्होंने सिनेमा को कई यादगार फ़िल्में दीं। ‘जंगली’ की सख्त मां, ‘श्री 420’ की केला बेचने वाली, ‘आनंद’ की संवेदनशील मातृछवि और ‘अनाड़ी’ की मिसेज डिसूजा सहित अनेक चरित्रों की जीवंत छवियों को कैसे भूला जा सकता है। रामानन्द सागर द्वारा निर्मित 'रामायण' धारावाहिक में मंथरा की भूमिका को सजीव भी ललिता पवार ने ही बनाया था।
ललिता पवार (वास्तविक नाम: 'अंबा लक्ष्मण राव शागुन') ने नासिक के नाम से निकट येवले में 18 अप्रैल, 1916 को जन्म लिया। उन्होंने भारतीय सिनेमा में एक लंबा सफर तय किया। वे सिनेमा के आरंभिक दौर से लेकर आधुनिक समय तक की दृष्टा और साक्षी थीं। मूक फ़िल्मों की मौन भाषा से लेकर बोलती फ़िल्मों के वाचाल जादू के दौर को उन्होंने देखा। भारतीय सिनेमा को परवान चढ़ते देखा। इस विकास-क्रम का एक हिस्सा बनीं। स्त्री-जीवन के विविध आयामों को पर्दे पर निभाया। बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक विभिन्न स्त्री-छवियों में ललिता घुल-मिल गईं। भारतीय नारी के हर एक चरित्र में ढल गईं। ललिता पवार हिंदी सिनेमा में भारतीय नारी जीवन की एक महान् कलाकार थीं। इस क्रम में एक परंपरागत सास की छवि को उन्होंने इतना बखूबी निभाया कि यह उनकी पहचान ही बन गई।
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
ललिता पवार (वास्तविक नाम: 'अंबा लक्ष्मण राव शागुन') ने नासिक के नाम से निकट येवले में 18 अप्रैल, 1916 को जन्म लिया। उन्होंने भारतीय सिनेमा में एक लंबा सफर तय किया। वे सिनेमा के आरंभिक दौर से लेकर आधुनिक समय तक की दृष्टा और साक्षी थीं। मूक फ़िल्मों की मौन भाषा से लेकर बोलती फ़िल्मों के वाचाल जादू के दौर को उन्होंने देखा। भारतीय सिनेमा को परवान चढ़ते देखा। इस विकास-क्रम का एक हिस्सा बनीं। स्त्री-जीवन के विविध आयामों को पर्दे पर निभाया। बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक विभिन्न स्त्री-छवियों में ललिता घुल-मिल गईं। भारतीय नारी के हर एक चरित्र में ढल गईं। ललिता पवार हिंदी सिनेमा में भारतीय नारी जीवन की एक महान् कलाकार थीं। इस क्रम में एक परंपरागत सास की छवि को उन्होंने इतना बखूबी निभाया कि यह उनकी पहचान ही बन गई।
आज ललिता पवार जी की 20वीं पुण्यतिथि पर हम सब उन्हें शत शत नमन करते हैं।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
हिंदीवाणी ब्लॉग को यहां दर्ज करने के लिए बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंललिता पवार जी की पुण्यतिथी पर उन्हें नमन। आज की सुन्दर प्रस्तुति में 'उलूक' के अखबार को जगह देने के लिये आभार हर्षवर्धन।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार हर्षवर्धन भाई , ख़ुशी हुई आपके ब्लॉग पर अपनी रचना देखकर , आप आगे बढ़ते रहें शुभकामनायें आपको !
जवाब देंहटाएंकुछ राही यूँ ही चलते रहे मंजिल न सही रास्ते मिलते गए।
जवाब देंहटाएं