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मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

अमर शहीद पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' जी की ७९ वीं पुण्यतिथि

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' (२३ जुलाई, १९०६ - २७ फरवरी, १९३१) ऐतिहासिक दृष्टि से भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अत्यन्त सम्मानित और लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे महान क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् १९२२ में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले ९ अगस्त १९२५ को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गये। इसके पश्चात् सन् १९२७ में 'बिस्मिल' के साथ ४ प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स का वध करके लिया एवम् दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।

जन्म तथा प्रारम्भिक जीवन

पण्डित चन्द्रशेखर आजाद का जन्म उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले के बदरका गाँव में २३ जुलाई सन् १९०६ को हुआ था। आजाद के पिता पण्डित सीताराम तिवारी संवत् १९५६ में अकाल के समय अपने पैतृक निवास बदरका को छोडकर पहले कुछ दिनों मध्य प्रदेश अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते रहे फिर जाकर भावरा गाँव में बस गये। यहीं बालक चन्द्रशेखर का बचपन बीता। उनकी माँ का नाम जगरानी देवी था। आजाद का प्रारम्भिक जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भावरा गाँव में बीता अतएव बचपन में आजाद ने भील बालकों के साथ खूब धनुष बाण चलाये। इस प्रकार उन्होंने निशानेबाजी बचपन में ही सीख ली थी । बालक चन्द्रशेखर आज़ाद का मन अब देश को आज़ाद कराने के अहिंसात्मक उपायों से हटकर सशस्त्र क्रान्ति की ओर मुड़ गया। उस समय बनारस क्रान्तिकारियों का गढ़ था। वह मन्मथनाथ गुप्त और प्रणवेश चटर्जी के सम्पर्क में आये और क्रान्तिकारी दल के सदस्य बन गये। क्रान्तिकारियों का वह दल "हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ" के नाम से जाना जाता था।


 अमर शहीद चन्द्रशेखर 'आजाद' जी को ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से शत शत नमन ! 

इंकलाब ज़िंदाबाद ...

वंदे मातरम ||
सादर आपका

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

सरगोशी .....

निवेदिता श्रीवास्तव at झरोख़ा 


वक़्त, तुम और मैं ...

रश्मि प्रभा... at कुनू और जुनू 


२९९. मेरे कस्बे का स्टेशन


5 टिप्‍पणियां:

  1. इतने ख़ास व्यक्तित्व के पन्ने पर कुनू जुनू के साथ बुलेटिन पर, मज़ा आ गया

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  2. सुन्दर लिंक्स. मेरी कविता शामिल की. शुक्रिया

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  3. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

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  4. आजाद जी को मेरा सत सत नमन

    उनके बारे में खास बातें जानकर बहोत बहोत अच्छा लगा,
    हर किसी मे जोश भर देने वाली थी।

    सारे लिंक्स उम्दा थे।
    आजाद जी के टाइटल वाली बुलेटिन में मेरे पागलपन को शामिल के लिए बहोत बहोत शुक्रिया

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