प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
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एक दादा और दादी ने अपने जवानी के दिनों को याद करके का सोचा।
उन्होंने फैसला किया कि हम फिर से दरिया के किनारे मिलेंगे जहाँ हम पहली बार मिले थे।
दादा सुबह जल्दी उठकर तैयार होकर गुलाब लेकर पहुँच गए पर दादी नहीं आयी।
दादा जी गुस्से में घर पहुंचकर बोले,"तुम आयी क्यों नहीं, मैं इंतज़ार करता रहा तुम्हारा?"
दादी ने भी शर्मा के जवाब दिया,"माँ ने जाने ही नहीं दिया।"
सादर आपका
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अब आज्ञा दीजिये ...
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~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
सुन्दर सी प्रेम कहानी के साथ पेश किये गये एक सुन्दर बुलेटिन में 'उलूक' की बकबक का जिक्र करने के लिये आभार शिवम जी।
जवाब देंहटाएंइतने अच्छे लिंक देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंऔर मेरी रचना शामिल करने के लिए दिल से धन्यवाद
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंVaah
जवाब देंहटाएंबहुत खुब
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएंवाह,,,
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