सभी हिन्दी ब्लॉगर्स को मेरा सादर नमस्कार।
है अँधेरी रात पर ,
दीवा जलाना कब मना है ?
क्या हवाएँ थीं की उजड़ा
प्यार का वह आशियाना
कुछ न आया काम तेरा
शोर करना , गुल मचाना ,
नाश की उन शक्तियों के
साथ चलता ज़ोर किसका ,
किंतु ऐ निर्माण के प्रतिनिधि ,
तुझे होगा बताना जो बसे हैं
वे उजड़ते हैं प्रकृति के जड़ नियम से ,
पर किसी उजड़े हुए को
फ़िर बसाना कब मना है ?
है अँधेरी रात पर
दीवा जलाना कब मना है ?
दीवा जलाना कब मना है ?
है अँधेरी रात पर ,
दीवा जलाना कब मना है ?
क्या हवाएँ थीं की उजड़ा
प्यार का वह आशियाना
कुछ न आया काम तेरा
शोर करना , गुल मचाना ,
नाश की उन शक्तियों के
साथ चलता ज़ोर किसका ,
किंतु ऐ निर्माण के प्रतिनिधि ,
तुझे होगा बताना जो बसे हैं
वे उजड़ते हैं प्रकृति के जड़ नियम से ,
पर किसी उजड़े हुए को
फ़िर बसाना कब मना है ?
है अँधेरी रात पर
दीवा जलाना कब मना है ?
- डॉ . हरिवंश राय 'बच्चन'
सभी देशवासियों को दीपोत्सव के पावन पर्व 'दीपावली' की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ। सादर ... अभिनन्दन।।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभ संध्या। सादर ...अभिनन्दन।।
दीपावली महापर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबुलेटिन में पोस्ट को जगह देने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंदीपावली महापर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ
दीप पर्व की शुभकामनाएं। बहुत सुन्दर प्रस्तुति हर्षवर्धन।
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