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शनिवार, 7 अक्टूबर 2017

जाने भी दो यारो ...

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

लेखक और निर्देशक कुंदन शाह का शनिवार की सुबह मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया । सिर्फ 12 दिनों बाद उनका 70वां जन्मदिन होना था। 19 अक्टूबर 1947 को जन्में कुंदन शाह की आखिरी फिल्म 'पी से पीएम तक' थी जो 2014 में रिलीज़ हुई थी। कुंदन शाह ने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट अॉफ इंडिया, पुणे से पढ़ाई की थी। उन्होंने हिंदी सिनेमा में व्यंग्यात्मक कॉमेडी की शुरुआत की थी। बतौर डायरेक्टर जाने भी दो यारों उनकी पहली फिल्म थी जो कि आज भी हिंदी सिनेमा की कल्ट फिल्मों की लिस्ट में सबसे ऊपर है। फिल्में जाने भी दो यारों (1983) के अलावा उन्होंने कभी हां कभी ना (1993) का निर्देशन किया और टीवी शो नुक्कड़ (1986) और वागले की दुनिया (1988) का बनाया ।

सन 2000 में आई 'क्या कहना 'का कुंदन शाह ने ही निर्देशन किया था। इस फिल्म में मुख्य अदाकार प्रीति जिंटा थीं। यह फिल्म उस समय की लीग से हटकर फिल्म थी। चूंकि इसमें एक सिंगल टीनएज मां को दिखाया गया था। आपको बता दें कि, इस साल 19 मई को फिल्म क्या कहना को 17 साल पूरे हो गए हैं। यह फिल्म सोशल कंट्रोवर्शियल इशू सिंगल पैरेंटहुड पर बेस्ड थी। इस फिल्म ने प्रीति ने बॉलीवुड में एंट्री की थी। इसके बाद 2002 में उन्होंने फिल्म दिल है तुम्हारा का निर्देशन किया।

बिगड़े सिस्टम पर चोट करने का उनका अपना ही तरीका था। समाज के परंपरागत स्थापित विचारों को अपने नजरिये से बदलने का उनमें हुनर था। और इसी कारण कुंदन शाह ने एंटरटेनमेंट की दुनिया में नाम कमाया। फिल्में हो या टीवी सीरियल कुंदन शाह के काम पर हमेशा उनकी छाप रही। वो अब हमारे बीच नहीं हैं।

उनका निधन फिल्म और कला जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है ... ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम सब उनको शत शत नमन करते हैं |

सादर आपका 

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गांधी चबूतरा

क्रांतिकारियों की शक्ति स्रोत - दुर्गा भाभी की ११५ वीं जयंती

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

12 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

निर्देशक कुंदन शाह को श्रद्धाँजलि। सुन्दर सूत्र चयन सुन्दर बुलेटिन।

Ritu asooja rishikesh ने कहा…

श्रंद्धाजलि आदरणीय कुंदन शाह जी को

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त फिल्म निर्देशक कुंदन शाह जी को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि। 2007 में उनकी एक फिल्म "थ्री सिस्टर्स" की स्क्रीनिंग के दौरान ग्वालियर में उनसे मुलाक़ात हुई थी। बड़े ही सरल व्यक्तित्व के धनी थे आदरणीय कुंदन शाह जी। अब उनकी स्मृतियाँ और कृतित्व ही हमें उनकी याद दिलाता रहेगा।उनकी अर्थपूर्ण फिल्मों के संदेश हमें प्रभावित करते हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे और परिवार को दुःख सहन करने की शक्ति दे।

Devendra Gehlod ने कहा…

श्री कुंदन शाह को श्रद्धांजली |

Manish Kumar ने कहा…

श्रंद्धाजलि कुंदन शाह जी को

Harsh Wardhan Jog ने कहा…

कुंदन शाह को श्रधांजलि

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

इनके लिए मेरे मन की जो बात है उसके लिए एक पोस्ट लिखनी होगी! पहले टॉम ऑल्टर और अब कुंदन शाह... दो बेहतरीन लोगों का इस तरह छोड़कर जाना... एक अपूरणीय क्षति!! परमात्मा उनकी आत्मा को शान्ति दे!!

कविता रावत ने कहा…

बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति ,,,

सदा ने कहा…

हमेशा की तरह बेहतरीन लिंक्स एवं प्रस्तुति ....

अपर्णा वाजपेयी ने कहा…

कुन्दन शाह जी को श्रद्धा पूर्वक नमन. बेहतरीन सूत्र संकलन. Saadar

Virat Beniwal ने कहा…

Nice post ... keep sharing this kind of article with us......visit www.dialusedu.blogspot.in for amazing posts ......jo sayad hi aapne kbhi padhe ho.....ek bar jarur visit kren

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार।

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