प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
डॉ॰ वर्गीज़ कुरियन (26 नवम्बर 1921 - 9 सितंबर 2012) एक प्रसिद्ध भारतीय
सामाजिक उद्यमी थे और 'फादर ऑफ़ द वाइट रेवोलुशन' के नाम से अपने 'बिलियन
लीटर आईडिया' (ऑपरेशन फ्लड) - विश्व का सबसे बड़ा कृषि विकास कार्यक्रम -
के लिए आज भी मशहूर हैं। इस ऑपरेशन ने 1998 में भारत को अमरीका से भी ज़यादा तरक्की दी और दूध -अपूर्ण देश से दूध का सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया| डेयरी खेती भारत की सबसे बड़ी आत्मनिर्भर उद्योग बन गयी। उन्होंने पदभार संभालकर भारत
को खाद्य तेलों के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता दी। उन्होंने लगभग 30
संस्थाओं की स्थापना की (AMUL, GCMMF, IRMA, NDDB) जो किसानों द्वारा
प्रबंधित हैं और पेशेवरों द्वारा चलाये जा रहे हैं। गुजरात
सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF), का संस्थापक अध्यक्ष होने के नाते डॉ॰
कुरियन अमूल इंडिया के उत्पादों के सृजन के लिए ज़िम्मेदार थे। अमूल की एक
महत्वपूर्ण उपलब्धि थी कि उन्होंने प्रमुख दुग्ध उत्पादक राष्ट्रों में गाय
के बजाय भैंस के दूध का पाउडर उपलब्ध करवाया| डॉ॰ कुरियन की अमूल
से जुडी उपलब्धियों के परिणाम स्वरुप तब प्रधान मंत्री लाल बहादुर
शास्त्री ने उन्हें 1965 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का संस्थापक
अध्यक्ष नियुक्त किया तांकि वे राष्ट्रव्यापी अमूल के "आनंद मॉडल" को दोहरा
सकें. विश्व में सहकारी आंदोलन के सबसे महानतम समर्थकों में से एक, डॉ॰
कुरियन ने भारत
ही नहीं बल्कि अन्य देशों में लाखों लोगों को गरीबी के जाल से बाहर निकाला
है। डॉ॰ कुरियन को पद्म विभूषण (भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान),
विश्व खाद्य पुरस्कार और सामुदायिक नेतृत्व के लिए मैगसेसे पुरस्कार सहित
कई पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया था|
आज उनकी पाँचवीं पुण्यतिथि के अवसर पर ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से हम सब डॉ॰ कुरियन को शत शत नमन करते हैं |
सादर आपका
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बुद्धा..चाइनिज मन्दिर-सारनाथ
एक उम्मीद जरूरी है जीने के लिए
अगर रवीश कुमार ने पीएम को गुंडा नहीं कहा तो सवाल है कि....?
558. हिसाब-किताब के रिश्ते
ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कब और कैसे हुई ?
छोड़ दे माजी के ग़म रोता है क्या
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महाभारत की लोककथा - भाग 24
२७६. पिता
डिज़ाइनर नेता और स्तरहीन पत्रकारिता
चित्रकथा - 35: शायर व गीतकार ज़फ़र गोरखपुरी का फ़िल्म संगीत में योगदान
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
श्याम बेनेगल साहब की फ़िल्म "मंथन" की प्रेरणा भी यही थे और उस फ़िल्म के निर्माता थे आनंद ज़िले के सभी निवासी जिन्होंने दो दो रुपये का योगदान इस फ़िल्म के निर्माण में दिया! एक क्रान्ति थी यह - श्वेत क्रान्ति!
जवाब देंहटाएंThe Milkman of India पद्मविभूषण वर्गीस कुरियन साहब को मेरी श्रद्धांजलि!!
डॉ॰ कुरियन के बारे में बहुत अच्छी जानकारी, उन्हें शत शत नमन!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
उम्दा सूत्रों के साथ आज की बढ़िया बुलेटीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र. मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसुन्दर बुलेटिन, पठनीय लिंक, आभार मेरी रचना शामिल करने के लिए
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार |
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