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गुरुवार, 28 सितंबर 2017

दो विभूतियों का जन्मदिन मनाता देश - ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार साथियो,
देश भर में रोज ही हजारों लोग जन्म लेते हैं, आज भी लेते हैं, पहले भी जन्मते रहे हैं. उनमें से बहुत से लोग तो इतिहास के पन्नों में गुमनाम होकर चले गए. उन्हीं में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो सदियों के लिए अपना नाम अमर करवा जाते हैं. आज, २८ सितम्बर को भी बहुत से लोगों का जन्मदिवस होता है. उन्हीं में से कुछ नाम ऐसे हैं जो सदियों तक देशवासियों के दिल-दिमाग में अपनी उपस्थिति बनाये रहेंगे.

ऐसे लोगों में एक नाम ऐसा है जो अब हमारे बीच नहीं है मगर समूचे युवाओं के लिए आज भी प्रेरणास्त्रोत है. ये नाम है अमर शहीद सरदार भगत सिंह का. जो बहुत कम उम्र में देश की आज़ादी के लिए अपने आपको बलिदान कर गए. सरदार भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के ज़िला लायलपुर में बंगा गाँव में हुआ था. देशभक्त परिवार में जन्म होने के कारण उन पर भी इसका अनुकूल प्रभाव पड़ा.
दूसरा नाम है भारत रत्न से सम्मानित मशहूर पार्श्वगायिका लता मंगेशकर. उन्होंने विगत कई वर्षों से संगीत की दुनिया को अपनी सुमधुर आवाज़ से रसमय बनाया हुआ है. स्‍वर कोकिला के नाम से प्रसिद्द लता मंगेशकर ने बीस भाषाओं में तीस हजार से अधिक गाने गाये हैं. लता मंगेशकर का जन्म इंदौर मध्यप्रदेश में 28 सितम्बर 1929 को हुआ था. उन पर भी अपने परिवार का प्रभाव पड़ा था. उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर एक कुशल रंगमंचीय गायक थे. उन्होंने लता मंगेशकर को तब से संगीत सिखाना शुरू किया जब वे पाँच साल की थी.



यह संयोग ही है कि जिस समय युवा भगत सिंह देश की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने को तत्पर थे, हँसते-हँसते फाँसी का फंदा चूमने को चल पड़े थे तब आज की स्वर कोकिला महज दो वर्ष की थीं. देश की दोनों प्रतिभाओं पर अपने-अपने परिवार का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा. उन दोनों ने अपने-अपने को अपने मनपसंद जिस क्षेत्र में अर्पित किया उसमें अपने को पूरी तत्परता से झोंक सा दिया था. यही कारण है कि दोनों लोग जो सन्देश समाज को देना चाहते थे, स्पष्ट रूप से दे गए.

सरदार भगत सिंह का असेम्बली में बम फेंकने के बाद स्वयं को गिरफ्तार करवाने का मंतव्य भी यही था कि वे अदालती कार्यवाही में देश के सामने तथ्यात्मकता पेश कर सकें. इसमें वे पूरी तरह सफल हुए और अंग्रेजी सरकार के कुत्सित निर्णयों को जनता के सामने अदालत के माध्यम से प्रस्तुत कर सके. इसी तरह लता मंगेशकर के नाजुक कन्धों पर परिवार की जिम्मेवारी आ गई. उन्होंने अपने सुखों, अपने जीवन को अपने छोटे भाई-बहिनों के लिए समर्पित कर दिया.


सरदार भगत सिंह की क्रांति ने आज भी युवाओं को प्रभावित कर रखा है. उसी तरह लता मंगेशकर की मधुरतम गायकी ने सभी उम्र के लोगों को अपना प्रशंसक बनाया हुआ है.

आज जन्मदिन के अवसर पर सरदार भगत सिंह को सादर श्रद्धांजलि और लता मंगेशकर को शुभकामनायें कि वे स्वस्थ रहें और भारतीय संगीत को कुछ न कुछ नया सुर प्रदान करती रहें.


लीजिये, आज की बुलेटिन आपके लिए...

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3 टिप्‍पणियां:

  1. जन्मदिवस पर इन विभूतियों का सुन्दर स्मरण। पठनीय लिंक।

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  2. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति

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  3. बहुत-बहुत धन्यवाद आपका मान्यवर।
    मुझ अकिंचन को आपने यहाँ स्थान देकर मेरा मान बढ़ाया। कृपया मेरे ब्लॉग पर आकर मेरा मार्गदर्शन कीजिये।

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