Pages

मंगलवार, 26 सितंबर 2017

जिन खोजा तिन पाइया




इधर से उधर भागते हुए 
प्रश्नों के उत्तर तलाशते हुए 
मैं खोज लेती हूँ वह कलम 
जिनके अपने विशिष्ट मायने होते हैं 
अपनी लगन होती है 
जो इंसान को कुछ न कुछ दे ही जाती है 
... 

गोपाल मिश्रा 

हर उद्देश्य की सफलता ध्यान में है, जितनी सच्चाई ध्यान में होगी, उतनी सफलता रंग लाएगी !
बाधाएँ आती हैं, लेकिन निष्ठा के आगे वह एक दिन घुटने टेक ही देती है 
ऐसी छवि अपने साथ कइयों को अर्थ दे जाती है  ... 

3 टिप्‍पणियां:

  1. लिखते लिखते लिखने वाले भी खोज लेना। समय देना इस सब के लिये इतना आसान नहीं हैं । इसी तरह हौसला अफजाई करते रहेंगी कलमों की यही कामना है। बहुत सुन्दर बुलेटीन।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति ,,

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!