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गुरुवार, 3 अगस्त 2017

राष्ट्रकवि का जन्मदिन और ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार मित्रो,
आज राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्मदिन है. उनका जन्म 03 अगस्त 1886 को चिरगाँव (झाँसी) उत्तर प्रदेश में हुआ था. उनके पिता का नाम सेठ रामचरण और माता का नाम श्रीमती काशीबाई था. इनके पिता कनकलता उपनाम से कविता करते थे और राम के विष्णुत्व में अटल आस्था रखते थे. गुप्त जी को कवित्व प्रतिभा और रामभक्ति पैतृक मिली थी. वे बाल्यकाल में ही काव्य रचना करने लगे थे. उनके एक छंद को पढ़कर उनके पिता ने आशीर्वाद देते हुए कहा था कि तू आगे चलकर हमसे हज़ार गुनी अच्छी कविता करेगा. बाद में यह आशीर्वाद अक्षरशः सत्य हुआ.


उनकी प्रारम्भिक शिक्षा चिरगाँव, झाँसी के राजकीय विद्यालय में हुई. इसके पश्चात् उनका प्रवेश झाँसी के मेकडॉनल हाईस्कूल में करवाया गया किन्तु वहाँ इनका मन न लगा. इस कारण दो वर्ष पश्चात् घर पर शिक्षा का प्रबंध किया गया. इन्होंने घर पर ही संस्कृत, हिन्दी तथा बांग्ला साहित्य का व्यापक अध्ययन किया. वे स्वभाव से लोकसंग्रही कवि थे और अपने युग की समस्याओं के प्रति संवेदनशील भी थे. लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक, विपिनचंद्र पाल, गणेश शंकर विद्यार्थी और मदनमोहन मालवीय उनके आदर्श रहे. बाद में महात्मा गांधी, राजेन्द्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू और विनोबा भावे के सम्पर्क में आने के कारण वह सुधारवादी आंदोलनों के समर्थक बने.

मुंशी अजमेरी और महावीर प्रसाद द्विवेदी का इनके लेखन पर गहरा प्रभाव था. मुंशी अजमेरी ने इनकी काव्य-प्रतिभा को निखारा तो महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया. 1909 में उनका पहला काव्य जयद्रथ-वध आया. इसकी लोकप्रियता ने उन्हें लेखन और प्रकाशन की प्रेरणा दी. अपने साहित्यिक गुरु महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से इन्होंने भारत-भारती की रचना की. भारत-भारती के प्रकाशन से ही इनको  अत्यंत प्रसिद्धि मिली. इस कृति के प्रकाशन पश्चात् गांधी ने मैथिली काव्यमान ग्रन्थ भेंट करते हुए उन्हें राष्ट्रकवि का सम्बोधन दिया. 59 वर्षों में गुप्त जी ने गद्य, पद्य, नाटक, मौलिक तथा अनूदित आदि सहित हिन्दी को 74 रचनाएँ प्रदान की. इनमें दो महाकाव्य, 20 खंडकाव्य, 17 गीतिकाव्य, चार नाटक और गीतिनाट्य हैं. मैथिलीशरण गुप्त जी को 1952 में राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया. सन 1954 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया. हिन्दी साहित्य को अनमोल कृतियाँ देने वाले मैथिलीशरण गुप्त जी का देहावसान 12 दिसंबर 1964 को चिरगांव में ही हुआ.

(मैथिलीशरण गुप्त जी के बारे में विस्तार से जानने के लिए पढ़ें)

आज उनकी जन्मतिथि पर उनको बुलेटिन परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बुलेटिन आपके सामने प्रस्तुत है.

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5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति। नमन मैथली शरण गुप्त जी को।

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  2. बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति के लिए आभार... मैथली शरण गुप्त जी को।नमन ....

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  3. ब्लॉग बुलेटिन में सार्थक पोस्टों का चयन ब्लॉगर्स को सकारात्मक लेखन के लिए प्रेरित करता है।

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  4. बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति .....
    राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी के जन्मदिन पर विनम्र श्रद्धांजलि

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  5. ब्लॉग बुलेटिन बहुत सार्थक रही। मैथली शरण गुप्त जी के विषय में जानकारी तो पहले से है लेकिन कुछ नया जान सके। सभी लिंक उपयोगी हैं।

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