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गुरुवार, 10 अगस्त 2017

मिलिए देश की पहली महिला संगीतकार से आज की बुलेटिन में

नमस्कार साथियो,
आज, 10 अगस्त को भारत की पहली महिला संगीतकार सरस्वती जी की पुण्यतिथि है. तीस और चालीस के दशक में हिन्दी सिनेमा में काम करने वाली सरस्वती जी का जन्म सन 1912 में मुम्बई के एक संपन्न और सम्मानित पारसी परिवार में हुआ था. उनका वास्तविक नाम खुर्शीद मिनोखर होमजी था. बचपन से ही उन्हें संगीत से अत्यंत लगाव था. जिस कारण से उनके पिता ने उन्हें शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दिलवाई. उनकी संगीत की आरंभिक शिक्षा विख्यात संगीताचार्य विष्णु नारायण भातखंडे के निर्देशन में संपन्न हुई. मैट्रिक पास करने के बाद लखनऊ के प्रसिद्ध मॉरिस कॉलेज ऑफ हिन्दुस्तानी म्यूजिक (वर्तमान भातखण्डे संगीत विश्वविद्यालय) से शिक्षा प्राप्त की और वहीं अध्यापन भी किया.


बीस के दशक में मुम्बई में रेडियो स्टेशन खुलने पर सरस्वती जी अपनी बहन माणिक के साथ मिलकर होमजी सिस्टर्स के नाम से एक संगीत कार्यक्रम को प्रस्तुत करने लगीं. उनका यह कार्यक्रम अत्यंत लोकप्रिय हुआ. इसी दौरान सन 1933-34 में उनकी मुलाकात हिमांशु राय से हुई. हिमांशु राय ने खुर्शीद को बॉम्बे टाकीज़ में संगीतकार बनने और उनकी बहन माणिक को अभिनय और गायन का निमंत्रण दिया. चूँकि उस समय पारसी समाज में महिलाओं का फिल्मों में काम करना अच्छा नहीं माना जाता था, इस कारण कुछ हिचकिचाहट के बाद दोनों बहनें बॉम्बे टाकीज़ के लिए काम करने को राज़ी हो गईं. उनके इस निर्णय का पारसी समाज ने विरोध किया. इस विरोध के कारण हिमांशु राय ने ही खुर्शीद को सरस्वती देवी और माणिक को चन्द्रप्रभा नाम दिया.

सरस्वती देवी को शुरु में देविका रानी को संगीत सिखाने का काम सौंपा गया था. इसी दौरान वे जवानी की हवा के लिए भी संगीत तैयार करने लगीं. इसी क्रम में बॉम्बे टाकीज़ से सन 1935 में उनकी पहली फ़िल्म जवानी की हवा आई. पारसी समाज द्वारा इसके ख़िलाफ़ मोर्चा निकाल कर इस फ़िल्म के प्रदर्शन में बाधा पैदा करने की कोशिश की गई. जिसके चलते पुलिस की निगरानी में इम्पीरियल सिनेमा में फ़िल्म को रिलीज़ किया गया. हिमांशु राय से पूरी तरह सरस्वती जी का साथ दिया और पारसी समाज के विरोध के बाद भी उनको बतौर संगीतकार काम दिया. इस तरह वे देश की पहली महिला संगीतकार के रूप में चर्चित हुईं. इसके बाद सन 1936 में उन्होंने फ़िल्म जीवन नैया के लिये संगीत दिया. इसके अलावा अछूत कन्या, बंधन, नया संसार, प्रार्थना, भक्त रैदास, पृथ्वी वल्लभ, खानदानी, नकली हीरा, उषा हरण आदि में भी उन्होंने संगीत दिया. एक संगीतकार के रूप में सन 1961 में उनकी आखिरी फिल्म राजस्थानी फ़िल्म, बसरा री लाडी आई थी. इसके बाद उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों से संन्यास लेकर संगीत सिखाने का कार्य आरम्भ किया था.

देश की प्रथम महिला संगीतकार सरस्वती जी का निधन 10 अगस्त 1980 को हो गया था. उनको विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए प्रस्तुत है आज की बुलेटिन.

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