सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।
मन्ना डे (अंग्रेज़ी: Manna Dey, मूल नाम: 'प्रबोध चन्द्र डे', जन्म: 1 मई, 1920 - मृत्यु: 24 अक्टूबर, 2013) भारतीय सिनेमा जगत में हिन्दी एवं बांग्ला फ़िल्मों के सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक थे। 1950 से 1970 के दशकों में इनकी प्रसिद्धि चरम पर थी। इनके गाए गीतों की संख्या 3500 से भी अधिक है। इन्हें 2007 के प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए चुना गया। भारत सरकार ने इन्हें सन 2005 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। इन्होंने अपने जीवन के 50 साल मुंबई में बिताये।
मन्ना डे ने अपने पांच दशक के कैरियर में लगभग 3500 गीत गाए। भारत सरकार ने मन्ना डे को संगीत के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए पद्म भूषण और पद्मश्री सम्मान से नवाजा। इसके अलावा 1969 में 'मेरे हज़ूर' और 1971 में बांग्ला फ़िल्म 'निशि पद्मा' के लिए 'सर्वश्रेष्ठ गायक' का राष्ट्रीय पुरस्कार भी उन्हें दिया गया। उन्हें मध्यप्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा और बांग्लादेश की सरकारों ने भी विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा है।[4] मन्ना डे के संगीत के सुरीले सफर में एक नया अध्याय तब जुड़ गया जब फ़िल्मों में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए उन्हें फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मन्ना डे का लंबी बीमारी के बाद बंगलोर शहर के एक अस्पताल में 24 अक्टूबर 2013 को सुबह तड़के निधन हो गया। 94 वर्षीय मन्ना डे को पांच माह पहले सांस संबंधी समस्याओं की वजह से नारायण हृदयालय में भर्ती कराया गया था। उन्होंने तड़के 3 : 50 मिनट पर अंतिम सांस ली। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि अंतिम समय में मन्ना डे के पास उनकी पुत्री शुमिता देव और उनके दामाद ज्ञानरंजन देव मौजूद थे। मन्ना डे की दो बेटियां हैं। एक बेटी अमेरिका में रहती है।
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आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर...अभिनन्दन।।
मन्ना डे ने अपने पांच दशक के कैरियर में लगभग 3500 गीत गाए। भारत सरकार ने मन्ना डे को संगीत के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए पद्म भूषण और पद्मश्री सम्मान से नवाजा। इसके अलावा 1969 में 'मेरे हज़ूर' और 1971 में बांग्ला फ़िल्म 'निशि पद्मा' के लिए 'सर्वश्रेष्ठ गायक' का राष्ट्रीय पुरस्कार भी उन्हें दिया गया। उन्हें मध्यप्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा और बांग्लादेश की सरकारों ने भी विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा है।[4] मन्ना डे के संगीत के सुरीले सफर में एक नया अध्याय तब जुड़ गया जब फ़िल्मों में उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए उन्हें फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मन्ना डे का लंबी बीमारी के बाद बंगलोर शहर के एक अस्पताल में 24 अक्टूबर 2013 को सुबह तड़के निधन हो गया। 94 वर्षीय मन्ना डे को पांच माह पहले सांस संबंधी समस्याओं की वजह से नारायण हृदयालय में भर्ती कराया गया था। उन्होंने तड़के 3 : 50 मिनट पर अंतिम सांस ली। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि अंतिम समय में मन्ना डे के पास उनकी पुत्री शुमिता देव और उनके दामाद ज्ञानरंजन देव मौजूद थे। मन्ना डे की दो बेटियां हैं। एक बेटी अमेरिका में रहती है।
आज महान गायक मन्ना डे के 97वें जन्मदिवस पर हम सब उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। सादर।।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
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आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर...अभिनन्दन।।
मन्ना डे के 97वें जन्मदिवस पर उन्हें श्रद्धा सुमन। सुन्दर प्रस्तुति हर्षवर्धन। आभार 'उलूक' के सूत्र को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंश्रद्धा सुमन...डे दादा को
जवाब देंहटाएंकिसने कहा वे नहीं है अब
50 के दशक के लोग अब भी उनके प्रशंसक हैं
आभार
सादर
आज के बुलेटिन में इतनी सुन्दर सार्थक पठनीय प्रस्तुतियों के साथ मेरी प्रस्तुति को स्थान देने के लिए आपका ह्रदय से आभार हर्षवर्धन जी !
जवाब देंहटाएंसुर न सजे ... गाने वाले सुरों के बादशाह को नमन ...
जवाब देंहटाएंआभार मुझे आज शामिल करने का ...
बहुत अच्छी सामयिक बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमन्ना डे जी को हार्दिक श्रद्धा सुमन
हार्दिक आभार ब्लॉग बुलेटिन।
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