नमस्कार साथियो,
आज 23 मार्च, शहीद दिवस. देश की आज़ादी के लिए तीन युवा बेटे भगत सिंह, सुखदेव और
राजगुरु को आज ही के दिन अंग्रेजी हुकूमत ने फाँसी दे दी थी. तीनों वीर पुत्रों को
श्रद्धा-सुमन अर्पित हैं.
इन तीन शहीदों के
बारे में शायद ही ऐसा कुछ हो जो कोई न जानता हो. उनकी शहादत, उनकी वीरता, देश के
प्रति उनका ज़ज्बा, आज़ादी के प्रति उनकी लगन, उनकी वैचारिकता आदि-आदि आज सबके सामने
है, सबके बीच है.
बहुत कुछ न कहते हुए
श्रीकृष्ण सरल द्वारा रचित ग्रन्थ क्रांति गंगा से उनकी रचना के चंद पद आपके समक्ष
प्रस्तुत हैं. यह कविता उन्होंने भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को श्रद्धांजलिस्वरूप
लिखी थी.
आज लग रहा कैसा जी को कैसी आज घुटन है
दिल बैठा सा जाता है, हर साँस
आज उन्मन है
बुझे बुझे मन पर ये कैसी बोझिलता भारी है
क्या वीरों की आज कूच करने की तैयारी है?
हाँ सचमुच ही तैयारी यह, आज
कूच की बेला
माँ के तीन लाल जाएँगे, भगत
न एक अकेला
मातृभूमि पर अर्पित होंगे, तीन फूल ये पावन,
यह उनका त्योहार सुहावन, यह
दिन उन्हें सुहावन।
फाँसी की कोठरी बनी अब इन्हें रंगशाला है
झूम झूम सहगान हो रहा, मन क्या
मतवाला है।
भगत गा रहा आज चले हम पहन वसंती चोला
जिसे पहन कर वीर शिवा ने माँ का बंधन खोला।
झन झन झन बज रहीं बेड़ियाँ, ताल दे रहीं स्वर में
झूम रहे सुखदेव राजगुरु भी हैं आज लहर में।
नाच नाच उठते ऊपर दोनों हाथ उठाकर,
स्वर में ताल मिलाते, पैरों
की बेड़ी खनकाकर।
पुनः वही आलाप, रंगें हम आज
वसंती चोला
जिसे पहन राणा प्रताप वीरों की वाणी बोला।
वही वसंती चोला हम भी आज खुशी से पहने,
लपटें बन जातीं जिसके हित भारत की माँ बहनें।
उसी रंग में अपने मन को रँग रँग कर हम झूमें,
हम परवाने बलिदानों की अमर शिखाएँ चूमें।
हमें वसंती चोला माँ तू स्वयं आज पहना दे,
तू अपने हाथों से हमको रण के लिए सजा दे।
अंत में शहीद भगत सिंह द्वारा अकसर गुनगुनाये
जाने वाले शेर के साथ आज की बुलेटिन प्रस्तुत है.....
जबसे सुना है मरने का नाम
जिन्दगी है
सर से कफन लपेटे कातिल को
ढूँढ़ते हैं।।
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शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
जवाब देंहटाएंवतन पर मरने वालों का, यही बाकी निंशा होगा।
इलाही वो भी दिन होगा, जब अपना राज देखेंगे
तब अपनी भी जमीं होगी और अपना आसमां होगा।।
...शत शत नमन...
शहीदों को नमन। सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंशहीदों को नमन। सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंbhut hi sundr rchna hai...
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