मैं एक सैनिक की माँ हूँ" इससे मेरी कविताओं की पुस्तकों का कोई लेना-देना नहीं। इस आधार पर वह बिक जाएँ, यह ग़लत है। वजूद अपना होता है, और उसके बल पर चला जाता है।
डिफेन्स हो या आम जनता, यह एक दुखद स्थिति है कि हम किसी भी स्तर पर उतरकर, कुछ भी कह देते हैं ... कहीं कोई बंदिश ही नहीं है। जितने माध्यम अभिव्यक्ति के बनते गए , उतनी ही गिरावट आती गई !
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मैं इस विषय पर नहीं लिखना चाहती, क्योंकि बात , गुरमेहर की हो या सहवाग की, ... हर शख्स अपनी चाल चल रहा है, और सबसे आसान है मखौल उड़ाना !
विरोध किया तो इज़्ज़त ले लेंगे, यानि विकृति की हदें पार कर देंगे।
गुलमेहर किसकी बेटी है, यह मुख्य मुद्दा यहाँ है ही नहीं, - यह एक अलग लड़ाई है और गुरमेहर क्या कह रही है, क्यूँ कह रही है - इसे समझना है।
गुरमेहर के पिता की आड़ में एक राजनैतिक चाल चल रहे सब, गुलमेहर एक सशक्त मोहरा है, ...
सब कुछ अच्छा नहीं है
जवाब देंहटाएंजो हो रहा है वो सब
कहीं किताबों में क्यूँ नहीं है ?
जिस विडियो का ये हिस्सा है वो 28 april 2016 में आया था यानी लगभग नौ महीने पहले. कुछ भी धारणा बनाने से पहले गुजारिश है उस पूरे विडियो को देखें. सारी बातें क्लियर हो जाएँगी.
जवाब देंहटाएं‘शाश्वत शिल्प’ को स्थान प्रदान करने हेतु आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगुमनाम है वतन पर मर मिटने वाले ...
जवाब देंहटाएंग़द्दार नारे लगा लगा मशहूर हुए जाते हैं ...
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