प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
एक बार एक लड़के ने एक बुजुर्ग से पूछा, "बाबा, जब एक दिन दुनिया से जाना है तो फिर लोग पैसे के पीछे क्यों भागते हैं?"
"जब जमीन जायदाद जेवर यहीं रह जाते हैं तो लोग इनको अपनी जिंदगी क्यों बनाते हैं?"
"जब रिश्ते निभाने की बारी आती है तो दोस्त ही दुश्मनी क्यों निभाते हैं?"
बुजुर्ग ने गौर से तीनों सवाल सुने। फिर उसने माचिस की डिब्बी से तीन तीलियां निकालीं। दो तीलियां उसने फेंक दीं और एक तीली को आधा तोड़कर उसका ऊपर वाला भाग फेंक दिया। उसके बाद नीचे वाले भाग को नुकीला बनाकर अपना दांत कुरेदते हुए बोला,
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
"चल भाग यहाँ से, मुंझे नहीं पता।"
सादर आपका
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
लघुत्तम व्यंग्यः मोदी के बचाव में सबसे बड़ी दलील
गुड़िया (बाल कविता )
२४७.पिता
ओरछा महामिलन की अंतिम बेला के अविस्मरणीय क्षण
मेरी कविता में तुम
तकनीक को सेवक बना कर ही रखें
पतनशील पत्नियों के नोट्स
कि तुम मेरी कोई नहीं...
बन रहा है बीमार मन का समाज
अपना भविष्य अपने हाथ...
यूपी में हिन्दू-मुसलमान कौन ज्यादा चिल्ला रहा है?
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
आभार
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने हेतु ।
बाकि लिंक भी रोचक और उपयोगी है ।
बढ़िया सवाल और सटीक जवाब :) सुन्दर बुलेटिन शिवम जी ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया सूत्र। आभार।
जवाब देंहटाएंबढ़िया सूत्र।
जवाब देंहटाएंआभारी हूं।
जवाब देंहटाएंआज के अंक में मेरी रचना की लिंक शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स. मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआप सब का बहुत बहुत आभार|
जवाब देंहटाएंशमिल करने का आभार ... अच्छे लिनक्स मिले
जवाब देंहटाएं