Pages

शुक्रवार, 27 जनवरी 2017

दलबदल ज़िन्दाबाद - ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार साथियो, 

देश के पाँच राज्यों में चुनावी माहौल है। राजनैतिक दलों में भागमभाग मची हुई है। ऐसे माहौल में ये लघुकथा याद आ गई। आप भी इसका आनंद उठाते हुए आज की बुलेटिन का आनंद लें।

जय हिन्द 




+++++ 

जोर-शोर से नारेबाजी हो रही थी। महाशय मंत्री बनने के बाद अपने शहर में पहली बार आ रहे थे। उनके परिचित तो परिचित, अपरिचित भी अपनेपन का एहसास दिलाने के लिए उनकी अगवानी में खड़े थे। शहर की सीमा-रेखा को निर्धारित करती नदी के पुल पर भीड़ पूरे जोशोखरोश से अपने नवनिर्वाचित मंत्री को देखने के लिए आतुर थी। उस सम्बन्धित दल के एक प्रमुख नेता माननीय भी मुँह लटकाये, मजबूरी में, नाराज होने के बाद भी उस मंत्री के स्वागत हेतु खड़े दिखाई पड़ रहे थे। मजबूरी यह कि पार्टी में प्रमुख पद पर होने के कारण साथ ही ऊपर तक अपने कर्तव्यनिष्ठ होने का संदेश भी देना है। नाराज इस कारण से थे कि नवनिर्वाचित मंत्री ने अपने धन-बल से उन महाशय का टिकट कटवा कर स्वयं हासिल कर लिया था। 

तभी भीड़ के चिल्लाने और रेलमपेल मचने से नवनिर्वाचित मंत्री के आने का संदेश मिला। माननीय ने स्वयं को संयमित कर, माला सँभाल महाशय की ओर सधे कदमों से बढ़े। भीड़ में अधिसंख्यक लोग धन-सम्पन्न मंत्री के समर्थक थे। उनका पार्टी के समर्थकों, कार्यकर्ताओं, वोट बैंक से बस जीतने तक का वास्ता था। पार्टी के असल कार्यकर्ता हाशिये पर थे और बस नारे लगाने का काम कर रहे थे। माननीय हाथ में माला लेकर आगे बढ़े किन्तु हो रही धक्कामुक्की के शिकार होकर गिर पड़े। मंत्री जी की कार उनकी माला को रौंदती हुई आगे बढ़ गई। अनजाने में ही सही किन्तु एक बार फिर महाशय के द्वारा पछाड़े जाने के बाद माननीय खिसिया कर रह गये। अपनी खिसियाहट, खीझ और गुस्से को काबू में करके वे अपनी पार्टी के असली समर्थकों के साथ मिलकर नारे लगाने में जुट गये। अब वे जान गये थे कि वर्ग विशेष का भला करने निकला उनका दल अब धन-कुबेरों के बनाये दलदल में फँस गया है, जहाँ बाहुबलियों और धनबलियों का ही महत्व है। उन जैसे समर्थित और संकल्पित कार्यकर्ता अब सिर्फ नारे लगाने और पोस्टर चिपकाने के लिए ही रह गये हैं। 

++++++++++













4 टिप्‍पणियां:


  1. मंत्री बनने के बाद तो विधायक भी मंत्री जी से मिलने के लिए तरस जाते हैं, कुछ ही खास लोगों के अपने होते हैं मंत्री बाकी तो उनकी नज़रों में संतरी ही होते हाँ ..
    बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ..

    जवाब देंहटाएं
  2. 'जैसलमेर वार म्यूजियम' को शामिल करने के लिये शुक्रिया सेंगर जी

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ... अच्छा संयोजन ...
    आभार मुझे शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!