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शुक्रवार, 9 दिसंबर 2016

2016 अवलोकन माह नए वर्ष के स्वागत में - 25


कुछ बातें किसी एक वर्ष के घेरे में नहीं होती, हर वर्ष वे दोहराई जाती हैं,उनके सज़दे किये जाते हैं, बर्फ शरीर में भी आग धधकती है  ... 

पढ़िए, सुनते हुए और अच्छा लगेगा ।  
अलग अलग सोच की कोपलें फूटेंगी, दिल कहेगा रब एक विक्रम फिर से चाहिए




कारगिल वॉर के हीरो शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा की अनसुनी लव स्टोरी
सुशांत तलवार
कारगिल विजय के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा की जाबांजी के किस्से तो आपने खूब सुने होंगे. हम सभी देश के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले उस हीरो की जिंदगी से जुड़े तमाम पहलुओं को जानना चाहते हैं. हम कैप्टन बत्रा की जिंदगी के उन खूबसूरत लम्हों से अबतक अनजान हैं, जिनके सहारे उनकी हमसफर अपना जीवन बिता रही है. कारगिल युद्ध में शहीद हुए कैप्टन बत्रा की लव स्टोरी भी उतनी ही खूबसूरत है जितना की उनकी बहादुरी के किस्से. 
मिलिए कारगिल वॉर में शहीद हुए कैप्टन विक्रम बत्रा की गर्लफ्रेंड- डिंपल चीमा से.
कैप्टन विक्रम बत्रा की जयंती के मौके पर डिंपल चीमा ने द क्विंट से बात की. इस दौरान उन्होंने 17 साल पुरानी उन खूबसूरत यादों को साझा किया, जिनके सहारे वह जिंदगी बिता रहीं हैं.
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डिंपल चीमा की द क्विंट के साथ पूरी बातचीत यहां पढ़िएः

मैं साल 1995 में चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में पहली बार विक्रम से मिली थी. हम दोनों ने एमए इंग्लिश में एडमिशन लिया था. लेकिन न मैं पास हुई और न ही वो. मुझे लगता है कि वही हमारा नसीब था जो हमें करीब लाया. इंडियन मिलिट्री एकेडमी में सिलेक्शन होने के बाद विक्रम ने जब मुझे फोन किया था, उस आवाज की खनक मुझे अभी भी हूबहू याद है. उस खबर ने हमारे रिलेशन को मजबूत कर दिया था.
मेरे परिवारवाले जब मेरे लिए कोई रिश्ता लेकर आते और मैं उस बारे में विक्रम को बताती तो वो कहता, ‘जिसे प्यार करती हो, उसे हासिल करने की कोशिश करो...वरना लोग तुम्हें उससे प्यार करने को कहेंगे, जो तुम्हें मिलेगा’ उसकी इस बात को मैं आज भी फॉलो करती हूं.
हम अक्सर मंसा देवी मंदिर और गुरुद्वारा श्री नाडा साहिब जाते थे. एक बार हम मंदिर में परिक्रमा कर रहे थे और वह मेरे पीछे चल रहा था.
जैसे ही परिक्रमा पूरी हुई. उसने अचानक कहा- मुबारक हो मिसेज बत्रा. मैंने देखा उसने एक हाथ से मेरा दुपट्टा पकड़ रखा था...और मेरे पास अपनी खुशी बयां करने के लिए शब्द नहीं रह गए थे. रिश्ते को निभाने के लिए ये विक्रम का समर्पण था. 
वह हमेशा आगे बढ़ते रहने वाला शख्स था, कभी न थकने वाला. वह हमेशा कुछ न कुछ करता रहता था, वह कभी दो पल के लिए भी शांत नहीं बैठता नहीं था. एक बार हम एक रेस्तरां में अपने ऑर्डर का इंतजार कर रहे थे. इतने में वह टेबल बजाने लगा. जब मैंने रोका तो अपने पैर हिलाने लगा. आखिर मैं जब मैंने उसे आंखें दिखाई तो वो पानी पीने लगा. उसे देखकर कारगिल वॉर में जाने की बेकरारी साफ देखी जा सकती थी. मैं जब भी सोचती हूं तो मुझे महसूस होता है कि वो कारगिल में जाने के लिए उन दिनों कितना उत्सुक होगा.
एक बार जब वह आया तो मैंने उसे शादी के लिए बोला, उस वक्त शायद मैं डरी हुई थी. उसने बिना कुछ कहे अपनी जेब से ब्लेड निकाला और अपना अंगूठा काटकर अपने खून से मेरी मांग भर दी. मेरी जिंदगी में मुझे सबसे ज्यादा खुशी उसी दिन हुई. उस दिन के बाद से मैं उसे ‘पूरा फिल्मी’ बोलकर छेड़ने लगी थी.
4 साल के रिलेशन में बनाई उन यादों को चंद लफ्जों में बयां करना तो नामुमकिन है. 17 साल में एक दिन ऐसा नहीं गुजरा, जब मैंने खुद को तुमसे अलग पाया हो. मुझे हमेशा लगता है, किसी पोस्टिंग पर तुम मुझसे दूर गए हो. मुझे गर्व होता है, जब लोग तुम्हारी उपलब्धियों पर बात करते हैं. लेकिन दिल के किसी कोने में एक अफसोस जरूर है. कि काश तुम यहीं होते और अपनी बहादुरी की कहानियां सुन रहे होते...तो अच्छा होता. मुझे भरोसा है कि वो वक्त आएगा, जब हम फिर मिलेंगे. एक होंगे.

2 टिप्‍पणियां:

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