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मंगलवार, 4 अक्टूबर 2016

आठवां रंग





'माँ...हमारा घर कहाँ है'
................
'मेरी गोद तुम्हारी धरती
मेरी बाहों का घेरा कमरा
मेरी आँखें खिड़कियाँ
मेरी दुआएं आकाश ...'

'माँ माँ
ये घर हमेशा होगा न ...'

'हमेशा रहता तो है
पर कभी कभी अदृश्य सा हो जाता है
तब इन दीवारों का सामर्थ्य लेकर
एक एक घर
फिर तुम बनाना ...'

'माँ , हम कैसे बनायेंगे
हमें तो वही रंग अच्छे लगते हैं
जो तुम लाती हो
हमें तो पता ही नहीं और कुछ ...'

'मुझे कहाँ पता था !
मुझे  इन रंगों की भाषा मेरी माँ ने सिखाया
... यही तो क्रम है ............
वरना
यूँ  तो कहने को रंग सात हैं
 पर आठवां रंग - प्यार का
उनको अदभुत बनाता है
बिना आठवें रंग के सारे रंग बदरंग होते हैं
दीवारों पे ठहरते नहीं....'

' माँ
हम तो इससे अलग होंगे ही नहीं
क्योंकि हमें पता है -
ये आठवां रंग तुम हो...
विश्वास रखो माँ
हम भी आठवां रंग बनेंगे
बिल्कुल तुम्हारी तरह !'


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Raj Bhatia and 2 others commented on this.
ब्रेकिंग : अँधेरी रात में भारतीय सेना द्वारा किये गए सर्जिकल आपरेशन के चित्र जारी किये गए।
आशा है इन चित्रों को देखने के बाद काफ़ी लोगो की बोलती बंद हो जाएगी।
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Comments
राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर हमारे पास इसके आगे के भी चित्र हैं.... ;)
Like · Reply · 1 · 3 hrs
Raj Bhatia
Raj Bhatia मेरे यहां नही दिखते यह चित्र ... शायद खुन खराबे के होंगे, सेंसर ने बन्द कर दिये हो
Like · Reply · 1 · 2 hrs
Ajay Kumar Jha
Ajay Kumar Jha उफ़ ..इत्ता खून खराबा ..ई तो सरासर ज्यादती है ...दाढी कहीं है और मियाँ खुद कहीं पड़े हुए ...अब यूं टुकड़ों में हूर मिली भी तो करेंगे क्या बिचारे ..घनघोर फोटो साटे हैं ..
Like · Reply · 1 · 1 hr
Rashmi Prabha
Write a comment...
नाम लिखते वो
मिटा देते हैं
जाने किस
जुर्मे-तमन्ना की
सज़ा देते हैं
दाग़ दिल के तो
खुशनसीबी है
वो मियाँ !
चुटकियों में
दाग़ छुटा देते हैं
क्या वो बारूद हैं
असलाह या
हैं विस्फोटक ?
जाने क्यूँ लोग उन्हें
आग लगा देते हैं
कोई बता दे
वो दरवेश
कहाँ मिलते हैं
मार के चिमटे से
जो भाग जगा देते हैं
हम वो दीवाने जो
उग जाते हैं
पेड़ों की तरह
इश्क़ की आरी से
गर्दन भी कटा देते हैं
कोई शिक़वा न करें
उनको भी
रुसवा न करें
चलो ! ऐसा करें
हम खुद को हटा देते हैं

2 टिप्‍पणियां:

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!