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गुरुवार, 13 अक्टूबर 2016

आँखों ही आँखों में इशारा हो गया - ब्लॉग बुलेटिन

नमस्कार मित्रो,
आज, 13 अक्टूबर को विश्व दृष्टि दिवस है. यह दिवस प्रतिवर्ष अक्टूबर माह के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य खराब दृष्टि, अंधेपन के साथ-साथ दृष्टि संबंधित समस्याओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है. इस वर्ष विश्व दृष्टि दिवस का विषय कार्रवाई करने के लिए मिलजुल कर सशक्त बनें है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के अनुसार, विश्व में लगभग 285 मिलियन लोग नेत्रहीन हैं. ऐसा माना जाता है कि लगभग 80 प्रतिशत अंधेपन का उपचार या रोकथाम की जा सकती है. आँखों को स्वस्थ बनाए रखना केवल एक व्यक्ति का ही कर्तव्य नहीं बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है. अपनी आँखों की सुरक्षा के साथ-साथ नेत्रदान करके बड़ी संख्या में लोगों को लाभान्वित किया जा सकता हैं. किसी दृष्टिहीन को दृष्टि देने के लिए आज ही अपनी आँखें दान करने की शपथ लें. यदि आज समाज का एक-एक व्यक्ति नेत्रदान करने का संकल्प कर ले तो समाज से दृष्टिहीनता की स्थिति को बहुत हद तक समाप्त किया जा सकता है.


आँखें किसी भी व्यक्ति के जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग हैं. उनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य के लिए सभी को सजग रहने की आवश्यकता होती है. कुछ सामान्य से कदम उठाकर आँखों की पर्याप्त देखभाल की जा सकती है. अच्छी दृष्टि के लिए स्वस्थ आहार एवं संतुलित आहार का सेवन करें. सूर्य की रोशनी के प्रभाव को रोकने के लिए ऐसा धूप का चश्मा पहनें जो आंखों की सुरक्षा के लिए बेहतर हो. लंबी अवधि तक कंप्यूटर पर काम करने वालों को बीच-बीच में अपनी आँखों को विश्राम देना चाहिए. आँखों का सूखापन कम करने के लिए आँखों को अधिक से अधिक बार झपकाएं. कम रौशनी में कतई में न पढ़ें. इसके साथ-साथ आँखों के बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अपनी आँखों की नियमित जाँच कराते रहनी चाहिए.

आइये, अपनी आँखों की रौशनी का ख्याल और समाज के नेत्रहीन लोगों को रौशनी देने का संकल्प करते हुए आज की बुलेटिन का आनंद उठायें.

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7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    काफी से से अधिक अच्छी
    आभार
    सादर

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  2. आपका आभार राजा कुमारेन्द्र सिंह जी, आपका वक्तव्य और लिंक्स बहुत उपयुक्त और कुछ सोचने को प्रेरित करती हुई .

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  3. बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!

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  4. बहुत बहुत शुक्रिया और आभार आपका राजा साहब । सुन्दर बुलेटिन

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  5. पहली बार इस ब्लाग को देखा, प्रसन्नता हुई। समसामयिक विषयों को एक मंच पर लाने का प्रयास सराहनीय है। यह मंच रचनात्मकता की नई इबारत लिख रहा है। इस दुरूह प्रयास के लिए आभार।

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