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मंगलवार, 13 सितंबर 2016

हौसलों की उड़ान - ब्लॉग बुलेटिन

रियो ओलम्पिक 2016 में गए भारतीय दल में इस बार सिर्फ दो बेटियों ने पदक प्राप्त किये. उसी के बाद संपन्न हुए पैरा ओलम्पिक में देश का गौरव अभी तक तीन पदकों के साथ बना हुआ है. इन तीन पदकों में स्वर्ण पदक मरियप्पन थंगवेलु को, रजत पदक दीपा मलिक को तथा कांस्य पदक वरुण भाटी को प्राप्त हुआ. पैरा स्पोर्ट्स उसे कहते हैं, जिसमें शारीरिक रूप से निःशक्तजन भागीदारी करते हैं.
जीवट और हौसले के धनी इन तीनों खिलाड़ियों को शुभकामनायें, बधाइयाँ.
पैरालंपिक 2016 के पदक विजेता 
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पैरा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाने वाले मरियप्पन थंगवेलु का दाँया पैर पाँच वर्ष की उम्र में एक बस दुर्घटना में घुटने से नीचे पूरी तरह कुचल गया था. मरियप्पन का पैर भले ही बस ने कुचल दिया हो पर उनके हौसले को कोई नहीं कुचल पाया. 21 साल के हो चुके मरियप्पन ने जब पैरा ओलंपिक में टी42 ऊँची कूद में स्वर्ण छलांग लगाई तो पूरी दुनिया उनकी मुरीद हो गई. मरियप्पन तमिलनाडु के गाँव पेरिया वडखनपट्टी के एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं. तमिलनाडु के सेलम जिले के पेरियावादागामपट्टी के रहने मरियप्पन की माँ सब्जियाँ बेचती हैं और मजदूरी करती हैं. पिता ने कई साल पहले उन्हें छोड़ दिया था.
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हरियाणा की दीपा मलिक ने रियो पैरालंपिक में गोलाफेंक स्पर्धा में रजत पदक जीत कर इतिहास रच दिया है. वे पैरालंपिक में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गयी हैं. दीपा मलिक ने गोला फेंक एफ-53 स्पर्धा में 4.61 मीटर की सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया. वे सेना अधिकारी की पत्नी और दो बच्चों की माँ हैं. रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर के इलाज के दौरान पिछले 17 वर्षों में उनको 31 से अधिक बार ऑपरेशन से गुजरना पड़ा और कमर से पैरों तक 183 टाँके लगे. कमर से नीचे का हिस्सा पैरालाइज होने के कारण वे व्हील चेयर से चलती हैं. इसके बाद भी वे हिमालयन कार रैली में भाग ले चुकी हैं. एथलीट के अलावा वे अंतर्राष्ट्रीय तैराक और हिमालयन बाइकर भी हैं. उन्होंने तैराकी की कई अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीते हैं. उनको 2012 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
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ग्रेटर नोएडा के जमालपुर गाँव वरुण भाटी ने पैरा ओलम्पिक की ऊँची कूद स्पर्धा में कांस्य पदक जीत देश का नाम रोशन किया है. 21 वर्ष के वरुण भाटी को बचपन में ही पोलियो हो गया था. इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और ऊँची कूद को अपना जुनून लिया बना लिया. धीरे-धीरे एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में उनकी पहचान बनने लग गई. वह पिछले दो वर्षों से लगातार पैरा ओलंपिक की तैयारी कर रहे थे और अवसर मिलने पर उन्होंने 1.86 मीटर कूद कर कांस्य पदक अपने नाम कर लिया.
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आइये इनकी ख़ुशी में सम्मिलित होकर आज की बुलेटिन का आनंद उठायें.

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10 टिप्‍पणियां:

  1. तीनों खिलाड़ियों को बधाई और शुभकामनायें । बहुत सुन्दर प्रस्तुति सेंगर जी ।

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  2. बहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
    हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  3. अच्छा लगा यहाँ आकर, आपका हौसला आफजाई करने का माध्यम गजब का है सूचनाओं की सहायता से। आपका आभार जो मुझे भी शामिल कर लिये। हिन्दी दिवस की असीम शुभकामनाओं सहित

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  4. अच्छा लगा यहाँ आकर, आपका हौसला आफजाई करने का माध्यम गजब का है सूचनाओं की सहायता से। आपका आभार जो मुझे भी शामिल कर लिये। हिन्दी दिवस की असीम शुभकामनाओं सहित

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  5. इस बीच एक और स्वर्ण पदक की प्राप्ति हो चुकी है !! सभी विजेताओं को हार्दिक बधाइयाँ !!

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  6. आभारी हूं आप सभी का। धन्यवाद।

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  7. प्रतिकूल परिस्थितयों में हमारे जांबाज़ खिलाड़ियों ने कमाल करके दिखाया है. अब तो जेवलिन थ्रो में हमारे खिलाड़ी ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़कर एक और स्वर्ण, भारत के नाम किया है. अच्छा है इस बार हमारे इन बहादुर पदक विजेताओं को पुरस्कार और सम्मान दोनों ही मिल रहे हैं.

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