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मंगलवार, 2 अगस्त 2016

पिंगली वैंकैया - भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पक

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

 
आज २ अगस्त है ... आज पिंगली वैंकैया जी की १४० वीं जयंती है ... वे भारत के राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पक हैं। वे भारत के सच्चे देशभक्त एवं कृषि वैज्ञानिक भी थे।

जीवनी

पिंगली वैंकैया का जन्म 2 अगस्त, 1876 को वर्तमान आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के निकट भाटलापेन्नुमारु नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम हनुमंतारायुडु और माता का नाम वेंकटरत्नम्मा था और यह तेलुगु ब्राह्मण कुल नियोगी से संबद्ध थे। मछलीपत्तनम से हाई स्कूल उत्तीर्ण करने के बाद वो अपने वरिष्ठ कैम्ब्रिज को पूरा करने के लिए कोलंबो चले गये। भारत लौटने पर उन्होंने एक रेलवे गार्ड के रूप में और फिर बेल्लारी में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में काम किया और बाद में वह एंग्लो वैदिक महाविद्यालय में उर्दू और जापानी भाषा का अध्ययन करने लाहौर चले गए।

वेंकैया कई विषयों के ज्ञाता थे, उन्हें भूविज्ञान और कृषि क्षेत्र से विशेष लगाव था। वह हीरे की खदानों के विशेषज्ञ थे। वेंकैया ने ब्रिटिश भारतीय सेना में भी सेवा की थी और दक्षिण अफ्रीका के एंग्लो-बोअर युद्ध में भाग लिया था। यहीं यह गांधी जी के संपर्क में आये और उनकी विचारधारा से बहुत प्रभावित हुए।

1906 से 1911 तक पिंगली मुख्य रूप से कपास की फसल की विभिन्न किस्मों के तुलनात्मक अध्ययन में व्यस्त रहे और उन्होनें बॉम्वोलार्ट कंबोडिया कपास पर अपना एक अध्ययन प्रकाशित किया। वह पट्टी वैंकैया (कपास वैंकैया) के रूप में विख्यात हो गये।

इसके बाद वह वापस मछलीपट्टनम लौट आये और 1916 से 1921 तक विभिन्न झंडों के अध्ययन में अपने आप को समर्पित कर दिया और अंत में वर्तमान भारतीय ध्वज विकसित किया। उनकी मृत्यु 4 जुलाई, 1963 को हुई।


ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से आज स्व॰ पिंगली वैंकैया जी की १४० वीं जयंती के अवसर पर हम सब उन्हें शत शत नमन करते हैं|

सादर आपका

6 टिप्‍पणियां:

  1. राष्ट्र ध्वज की वन्दना और नमन उसके रचनाकार को!!

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  2. हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज के अभिकल्पक पिंगली वैंकैया जी के बारे में बहुत अच्छी जानकारी के साथ सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
    पिंगली वैंकैया जी को नमन!

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  3. नमन है राष्ट्र ध्वज की प्रेरणा स्त्रोत को ...
    आभार मुझे आज जे बुलेटिन में शामिल
    करने का ....

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