नमस्कार साथियो,
आज सुप्रसिद्ध गायक, अभिनेता किशोर कुमार का जन्मदिन है. उनका
जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्य प्रदेश के खंडवा शहर में हुआ था. उनका असली नाम आभास कुमार
गांगुली था. उन्होंने हिन्दी के अलावा बंगाली, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी,
मलयालम, उड़िया और उर्दू सहित कई भारतीय भाषाओं
में गीत गाये. फिल्म इंडस्ट्री में उनके शुरूआती दौर में उनको संगीतकारों ने गंभीरता
से नहीं लिया और हल्के स्तर के गीत गाने को दिए. बाद में 1957 में बनी फ़िल्म फंटूस
में ‘दुखी मन मेरे,
सुन मेरा कहना’ गीत से उनकी ऐसी धाक जमी कि जाने माने संगीतकारों
को उनकी प्रतिभा का लोहा मानना पड़ा.
गायन के साथ-साथ किशोर कुमार ने 81 फ़िल्मों में अभिनय और 18 फ़िल्मों
का निर्देशन भी किया. एक फिल्म में तो उन्होंने गायन, अभिनय, निर्देशन के साथ-साथ
कथा लेखन, संवाद लेखन, संगीत निर्देशन आदि का कार्य करके अद्भुत रिकॉर्ड बनाया. उनको
पहला फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार 1969 में आराधना फ़िल्म के गीत ‘रूप तेरा मस्ताना प्यार मेरा दीवाना’ के लिए मिला था. उनको सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायन हेतु 8 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
प्राप्त हुए. इसी श्रेणी में उन्होंने सबसे ज्यादा फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड
भी बनाया.
उनकी एक फिल्म चलती का नाम गाड़ी में उनके गाये ‘पाँच रुपैया बारह आना’ की अपनी ही अलग कहानी है. जब वे इन्दौर के क्रिश्चियन
कॉलेज में पढ़ते थे तो कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर दोस्तों के संग मौज-मस्ती करते
हुए भोजन करते थे. ऐसा करते-करते उनके ऊपर कैंटीन का पाँच रुपया बारह आना उधार हो गया.
जब भी कैंटीन मालिक इसे चुकाने को कहता तो वे कैंटीन में बैठकर टेबल पर गिलास और चम्मच
की मदद से पाँच रुपया बारह आना गा-गाकर कई धुन निकाल कर कैंटीन वाले की बात अनसुनी
कर देते थे. बाद में उन्होंने इसका बहुत ही खूबसूरत उपयोग अपने गाने में किया.
वे जितने अच्छे कलाकार थे, उतने ही अच्छे इन्सान भी थे.
जरूरतमंदों की मदद करने में, दोस्तों की सहायता करने में वे सदैव आगे रहते थे. वे
अक्सर कहा करते थे कि दूध जलेबी खाएंगे खंडवा में बस जाएंगे. उनका इरादा वापस
खंडवा लौटने का था लेकिन यह सपना पूरा नहीं हो सका. 18 अक्टूबर 1987 को दिल का दौरा
पड़ने से उनका निधन हो गया. उन्हें उनकी मातृभूमि खंडवा में ही दफनाया गया, जहाँ उनका मन बसता था. वह भले ही आज हमारे बीच
नहीं हैं, लेकिन उनकी खूबसूरत आवाज मधुर गीतों के रूप में आज
भी लोगों के मन-मस्तिष्क में झंकृत हो रही है.
अद्भुत कला के धनी किशोर कुमार को उनके जन्मदिन पर याद करते
हुए प्रस्तुत है आज की बुलेटिन.
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किशोर कुमार जी के बारे में बहुत जानकारी के साथ सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंएक अदभुत प्रतिभा थे किशोर जी । नमन । सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंआभार आप का...
किशोर कुमार को मैं भी पसंद करता हूँ... "आज भी रिमझिम गिरे सावन" सुनकर लगता है कि बारिश में भीग गए और "पल पल दिल के पास" सुनकर महबूब को बाहों में घेर लेने का एहसास होता है!
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा इस माहन गायक को याद करना!