सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।
आशापूर्णा देवी ( Ashapoorna Devi, जन्म: 8 जनवरी 1909 कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता); मृत्यु: 13 जुलाई 1995 ) बांग्ला भाषा की प्रख्यात उपन्यासकार हैं जिन्होंने मात्र 13 वर्ष की आयु में लिखना प्रारंभ कर दिया था और तब से ही उनकी लेखनी निरंतर सक्रिय बनी रही। वह एक मध्यवर्गीय परिवार से थीं, पर स्कूल-कॉलेज जाने का सुअवसर उन्हें कभी नहीं मिला। उनके परिवेश में उन सभी निषेधों का बोलबाला था, जो उस युग के बंगाल को आक्रांत किए हुए थे, लेकिन पढ़ने, गुनने और अपने विचार व्यक्त करने की भरपूर सुविधाएं उन्हें शुरू से मिलती रहीं। उनकेपिता कुशल चित्रकार थे, मां बांग्ला साहित्य की अनन्य प्रेमी और तीनों भाई कॉलेज के छात्र थे। ज़ाहिर है, उस समय के जाने-माने साहित्यकारों और कला शिल्पियों को निकट से देखने-जानने के अवसर आशापूर्णा को आए दिन मिलते रहे। ऐसे परिवेश में उनके मानस का ही नहीं, कला चेतना और संवेदनशीलता का भी भरपूर विकास हुआ। भले ही पिता के घर और फिर पति के घर भी पर्दे आदि के बंधन बराबर रहे, पर कभी घर के किसी झरोखे से भी यदि बाहर के संसार की झलक मिल गई, तो उनका सजग मन उधर के समूचे घटनाचक्र की कल्पना कर लेता। इस प्रकार देश के स्वतंत्रता संघर्ष, असहयोग आंदोलन, राजनीति के क्षेत्र में नारी का पर्दापण और फिर पुरुष वर्ग की बराबरी में दायित्वों का निर्वाह, सब कुछ उनकी चेतना पर अंकित हुआ।
[ साभार - http://bharatdiscovery.org/india/आशापूर्णा_देवी ]
आज आशापूर्णा देवी जी की 21वीं पुण्यतिथि पर हम सब उन्हें स्मरण करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर...
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे, तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंआज के बुलेटीन का सुन्दर प्रारम्भ |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद हर्ष वर्धन जी |
बढ़िया प्रस्तुति हर्षवर्धन ।
जवाब देंहटाएंआशापूर्णा देवी के कई उपन्यासों का हिंदी अनुवाद मैंने वर्षों पूर्व पढ़ा है, बकुल कथा विशेष स्मरण है. उनकी पुण्य स्मृति को सदर नमन..सुंदर सूत्र संकलन के लिए बधाई व आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंआशापूर्णा देवी जी की पुण्यतिथि पर हार्दिक श्रद्धा सुमन!