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रविवार, 12 जून 2016

वकील साहब की चतुराई - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
 
वो एक्सप्रेस ट्रेन करीब करीब खाली ही थी। वकील साहब जिस ऐसी 3 कोच में बैठे थे उसमें भी बहुत कम यात्री थे और उनके वाले पोर्शन में उनके अलावा दूसरा कोई पैसेंजर नहीं था।

तभी एक महिला कोच में उनके वाले पोर्शन में आई और वकील साहब से बोली, "मिस्टर, तुम्हारे पास जो भी मालपानी रुपया, पैसा, सोना, घड़ी, मोबाइल है सब मुझे सौंप दो नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी कि, तुमने मेरे साथ छेड़ छाड़ की है।"

वकील साहब ने शांति से अपने ब्रीफकेस से एक कागज निकाला और उस पर लिखा, "मैं मूक बधिर हूँ, ना बोल सकता हूँ और ना ही सुन सकता हूँ। तुम्हें जो कुछ कहना है, इस कागज पर लिख दो।"

महिला ने जो भी कहा था वो उसी कागज पर लिख कर दे दिया।

वकील साहब ने उस कागज को मोड़कर हिफाजत से अपनी जेब में रखा और बोले, "हाँ, अब चिल्लाओ कि, मैंने तुम्हारे साथ छेड़ छाड़ की है। अब मेरे पास तुम्हारा लिखित बयान है।"

यह सुनते ही महिला वहाँ से यूँ भागी जैसे उसने भूत देख लिया हो।

सादर आपका
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तीन मुक्तक

चाय मसाला बनाने की विधि

शक्ति का बिखराव

चाँद का पैगाम

बाघा बार्डर से जालि‍यांवाला बाग तक....

" शून्य के भीतर शून्य ........."

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सत्ता, साहित्य और अवाम

ये शाम अंधेरे में ही सही....

लेख .... स्त्री अधिकार और डॉ. आंबेडकर - शरद सिंह

समाज के विकास में आबादी की भूमिका - २

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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!! 

14 टिप्‍पणियां:

  1. वकील वो कील है जो गड़ गई तो गड़ गई। वकील लोग नाराज ना होवें कहावत कही है वैसे वकील और पुलिस मित्र होना भी गर्व का विषय होता है :) सुंदर वकील बुलेटिन ।

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  2. इसी को तो वकील का दिमाग कहते है। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  3. इसी को तो वकील का दिमाग कहते है। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  4. Waah..bahut badhiya kiya wakil sahab ne.
    Meri rachna shamil karne ke liye aabhar.

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  5. वकील साहब ने बहुत अच्छी शिक्षा दी ।बहुत बढ़िया ।

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    1. मेरी रचना को स्थान देने का तहेदिल से शुक्रिया ।

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    2. मेरी रचना को स्थान देने का तहेदिल से शुक्रिया ।

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  6. वकील साहब ने बहुत अच्छी शिक्षा दी ।बहुत बढ़िया ।

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  7. शिवम् भाई आपका ब्लॉग पोस्ट्स की चर्चा करने का अंदाज़ ही निराला है, अच्छे लिंक्स ढूंढ कर लाएं हैं!

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  8. वकील साहब तो खैर वकील ठहरे पर ऐसी कौनसी ट्रेन थी जिसमें डिब्बा इतना खाली था? सूत्रों पर जाते हैं अब।

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  9. बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार

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