वर्तमान की दिनचर्या में
अतीत की वो लड़की
आज भी जादुई मछली की प्रतीक्षा में
नन्हीं सी डोर नदी में डाले बैठी है ... !!!
सपनों के काँटे में मछली फँसे
तो ...
सपनों के कितने रुपहले परदे जादुई मछली की बाट जोहते हैं :)
ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श ..सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन ... ब्लॉग बुलेटिन ...
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!
सुन्दर बुलेटिन । आभार रश्मि जी 'उलूक' के अखबार की पाँच साल बासी एक खबर को बात बात में आज के बुलेटिन में स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंसपनों के दम पर ही तो जीवन चलता है ... :)
जवाब देंहटाएंसपने जरुरी हैं जिन्दा रहने के लिए।
जवाब देंहटाएं. बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!